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शोध पत्र
स्नो अपडेट रिपोर्ट-2024 : हिंदुकुश हिमालय पर इस वर्ष बर्फबारी में रिकॉर्ड स्तर की कमी, पानी बोओ शुरू करना होगा
Posted on 18 Jun, 2024 04:17 PMहिंदुकुश हिमालयी क्षेत्र में इस वर्ष हिमपात में अभूतपूर्व कमी आने से जल संकट की संभावना और भी मजबूत हो गई है। हाल ही में प्रकाशित एक शोधपत्र में वैज्ञानिकों ने इस पर गंभीर चेतावनी जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से हिमालय पर हिमपात की मात्रा में कमी के कारण, पहाड़ों के नीचे बसे समुदायों को पेयजल की गंभीर कमी का सामना करना पड़ सकता है। 'नेपाल स्थित ‘अंतर्राष्ट्रीय पर्वतीय
दक्षिण बिहार की जीवनदायिनी 'पारम्परिक आहर-पईन जल प्रबन्धन प्रणाली' की समीक्षा (भाग 1)
Posted on 11 Jun, 2024 09:46 PMतकनीकी एवं औद्योगिक उन्नति के इस युग में आज भी भारत देश की अर्थव्यवस्था तथा 70% से अधिक भारतीय जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए कृषि और संबद्ध गतिविधियों पर निर्भर है। पिछले सौ वर्षों में जल प्रवन्धन के क्षेत्र में हमने कई बड़े बदलाव देखे हैं मुख्यतः आज़ादी के बाद सरकारों ने जल प्रबन्धन में व्यक्तियों एवं जनसमुदायों की भूमिका अप्रत्यक्ष रूप से निभाई है। वर्षा जल संचयन जैसी सरल तकनीक का हास हुआ है और
प्रकृति का अनुपम उपहार हैं पहाड़ी नौले-धारे
Posted on 11 Jun, 2024 08:31 AMपेयजल के भरोसेमंद स्रोत नौला मनुष्य द्वारा विशेष प्रकार के सूक्ष्म छिद्र युक्त पत्थर से निर्मित एक सीढ़ीदार जल भण्डार है, जिसके तल में एक चौकोर पत्थर के ऊपर सीढ़ियों की श्रृंखला जमीन की सतह तक लाई जाती है। सामान्यतः तल पर कुंड की लम्बाई- चौड़ाई 5 से 8 इंच तक होती है, और ऊपर तक लम्बाई-चौड़ाई बढ़ती हुई 4 से 8 फीट (लगभग वर्गाकार) हो जाती है। नौले की कुल गहराई स्रोत पर निर्भर करती है। आम तौर पर गहर
गर्म होते महासागर, ऑक्सीजन की कमी और अम्लीकरण : महासागरों में 10 गुना बढ़ेंगे 'Hot Days'
Posted on 06 Jun, 2024 02:15 PMभारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान की हीटवेव अध्ययन
एक हालिया अध्ययन के मुताबिक, वर्ष 2020 से लेकर 2100 तक हिंद महासागर की सतह का तापमान 1.7 से 3.8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। इस बढ़ोतरी से समुद्री हीटवेव्स और चरम चक्रवातों की घटनाएं बढ़ेंगी, जिससे मानसून पर असर पड़ेगा और समुद्र का जलस्तर ऊंचा हो जाएगा।
पर्यावरण प्रदूषण : एक वैश्विक चुनौती
Posted on 03 Jun, 2024 03:58 PMपर्यावरण प्रदूषण एक वैश्विक चुनौती है, क्योंकि पेंटागन की एक रिपोर्ट में 2004 में ही चेतावनी दी गयी थी कि इससे जान-माल दोनों के नुकसान होने की संभावना है। एन्ड्रयू मार्शल द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया था कि वातावरण में अचानक आने वाले परिवर्तनों से पूरे विश्व में अफरा-तफरी मच सकती है। रिपोर्ट के प्रमुख लेखकों डा० रेडाल व पीटर स्क्वार्ट्ज़ ने आगाह किया था कि इन बदलावों पर तत्काल प्रभाव स
केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड द्वारा अनुमोदित भूमिजल पुनर्भरण करने के तरीके व तकनीकें (भाग 1)
Posted on 01 Jun, 2024 08:09 PMकेंद्रीय भूमि जल बोर्ड ने आठवीं योजना से कृत्रिम जल भरण (Artificial Recharge) पर काफी अध्ययन करके विभिन्न तकनीकों की जानकारी दी है जो विभिन्न भौगोलिक एवं जमीन के नीचे की स्थितियों के लिए उपयुक्त हैं। शहरी क्षेत्रों (Urban-Areas) के लिए शहरी क्षेत्रों में कच्चा स्थान कम होने के कारण इमारतों की छत व पक्के क्षेत्रों से प्राप्त वर्षा-जल व्यर्थ चला जाता है। यह जल जलभृतों (Aquifer) में पुनर्भरित (Rec
हिमालय : भारतीय उप महाद्वीप के जल चक्र का नियामक
Posted on 28 Mar, 2024 10:16 AMहिमालय का संबंध केवल भारत से ही नहीं है। इससे निकलने और बहने वाली नदियां केवल भारतीय भूभाग में ही नहीं बहतीं बल्कि एशिया महाद्वीप के कई देशों में बहती हैं।भारतीय उपमहाद्वीप की अति विशिष्ट पारिस्थितिकी की कुंजी हिमालय का भूगोल है लेकिन पिछले दो सौ बरसों में हिमालय के बारे में हमारे अज्ञान का निरंतर विस्तार हुआ है। हिमालय जितना पराया फिरंगियों के लिए था, आज हमारे लिए उससे भी अधिक पराया हो गया है।
जल दर्शन एवं विज्ञान
Posted on 27 Mar, 2024 05:37 PMपृथ्वी पर रहने वाले प्राणी मात्र में चार हिस्सा जल और शेष पांचवा हिस्सा अन्य सभी तत्त्वों का होता है। आधुनिक जीव विज्ञान (Zoology) के अनुसार भी प्राणी मात्र में 78 प्रतिशत पानी होता है। उसमें एक प्रतिशत भी घटे तो जीवन के लिए संकट खड़ा हो जाता है। पानी चैतन्य का भी प्रतीक है। मनुष्य शरीर के जिन अवयवों में जल नहीं होता, जैसे-लोम, केश, नाखून आदि निर्जीव सामग्री हैं, इन्हें काटने से किसी पीड़ा का अ
तीर्थ स्थानों का मूल स्थम्ब है जल
Posted on 27 Mar, 2024 12:33 PMतीर्थ विज्ञान
'तीर्थ' तीन कारणों से पवित्र माने जाते हैं, जैसे- स्थल की कुछ आश्चर्यजनक प्राकृतिक विशेषताओं के कारण, या किसी जलीय स्थल की अनोखी रमणीयता के कारण, या किसी तपः पूत ऋषि या मुनि के वहां स्नान करने, तप साधना करने आदि के लिए वास के कारण।
आहर-पइन एवं गोआम ही क्यों?
Posted on 26 Mar, 2024 03:20 PMआहर-पइन आधारित खेती पर दक्षिण बिहार के अधिकांश गाँव निर्भर हैं। गैर-नहरी क्षेत्रों में तो आहर-पइन से खेतों की सिंचाई होती ही है, कोयल, सकरी, सोन, दुर्गावती आदि नदियों से निकाली गई नहरों के इलाकों में भी आहर-पइन से सिंचाई हो रही है। आहर-पइन वाले इलाकों के किसान निर्भर तो इसी पर हैं पर सपना अभी भी नहरों का देख रहे हैं।