साक्षात्कार

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‘पानी’ एक भविष्योन्मुखी फिल्म है: शेखर कपूर
Posted on 23 Nov, 2014 09:09 AM

गोवा का मेरियट होटल मांडवी नदी के किनारे है और यहां की लॉबी में खड़े होकर लगता है कि आप समुद्र के सामने हैं। एक विशाल जल-राशि के सामने अगर ‘पानी’ फिल्म बना रहे शेखर कपूर से बातचीत हो ये सुखद संयोग ही है। शेखर बहुत ही आत्मीय ढंग से बात करते हैं। होटल की लॉबी में मिलते ही कहते हैं अरे ‘मैं अपना मोबाइल अपनी कार में ही भूल गया। लेकर आता हूं’।

Shekhar Kapur
कारसेवा का करिश्मा : निर्मल कालीबेई
Posted on 21 Oct, 2014 01:28 PM होशियारपुर के धनोआ गांव से निकलकर कपूरथला तक जाती है 160 किमी लंबी कालीबेई। इसेे कालीबेरी भी कहते हैं। कुछ खनिज के चलते काले रंग की होने के कारण ‘काली’ कहलाई। इसके किनारे बेरी का दरख्त लगाकर गुरुनानक साहब ने 14 साल, नौ महीने और 13 दिन साधना की। एक बार नदी में डूबे, तो दो दिन बाद दो किमी आगे निकले। मुंह से निकला पहला वाक्य था: “न कोई हिंदू, न कोई मुसलमां।’’ उन्होंने ‘जपजीसाहब’ कालीबेईं के किनारे ही रचा। उनकी बहन नानकी भी उनके साथ यहीं रही। यह 500 साल पुरानी बात है।

अकबर ने कालीबेईं के तटों को सुंदर बनाने का काम किया। व्यास नदी इसे पानी से सराबोर करती रही। एक बार व्यास ने जो अपना पाट क्या बदला; अगले 400 साल कालीबेईं पर संकट रहा।
<i>संत सीचेवाल के मेहनत से साफ हुई नदी</i>
किसान वैज्ञानिक से खास बातचीत
Posted on 16 Sep, 2014 09:31 AM कुछ लोगों की निगाह में नई चीजों का आविष्कार सिर्फ पढ़े-लिखे लोग ही कर सकते हैं, लेकिन इसी देश में कई ऐसे लोग हैं जो पढ़े-लिखे नहीं हैं, लेकिन रिसर्च के नाम पर एक बड़ी उपलब्धि है उनके खाते में। ऐसे ही एक कारीगर हैं मदनलाल कुमावत। वे बहुफसली थ्रेशर बनाकर आज भारत ही नहीं दुनियाभर में छाए हुए हैं। उन्हें फोब्स ने प्रमुख शक्तिशाली ग्रामीण भारतीय उद्यमी माना है। राजस्थान के सीकर जिले के छोटे से गांव दां
theresar
सामूहिक प्रयास से सफल हुई पानी की खेती
Posted on 05 Sep, 2014 11:12 AM राजस्थान के मेवाड़ अंचल में सोलहवीं शताब्दी में तत्कालीन महाराणा राजसिंह ने भीषण अकाल, पेयजल की आपूर्ति, नगर के सौन्दर्यीकरण एवं रोजगार को ध्यान में रखकर राजसमन्द झील का निर्माण कराया था। पिछले तीन दशक में मार्बल खनन एवं प्रसंस्करण उद्योग के कचरे ने झील के जलागम क्षेत्र को अवरुद्ध कर दिया था। नतीजतन यह जलाशय लगभग सूख गया था। ऐसी स्थिति में कछु बुद्धिजीवियों
देखना, रोशनी देने का काम फिर होगा रौशन
Posted on 29 Aug, 2014 08:59 AM

जलपुरुष श्री राजेन्द्र सिंह से साक्षात्कार पर आधारित लेख

pani ke log
कितना सुरक्षित है बोतलबंद पानी?
Posted on 17 Aug, 2014 10:07 AM बूंद-बूंद से मुनाफे का कारोबार
किस हद तक हो रहा बीआईएस नियमों का पालन

गांवों के संस्थागत ढांचे का विकास पंचायत की सहभागिता से : कुशवाहा
Posted on 07 Aug, 2014 01:45 PM भारत की आत्मा गांवों में बसती हो या नहीं, पर उसका पिछड़ापन वहीं निवास करता है और इसी पिछड़ेपन को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने मॉडल विलेज बनाने की बात कही है। मोदी सरकार के पहले बजट में ग्रामीण विकास के लिए घोषित योजनाओं और सरकार की नीतियों पर केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा से पंचायतनामा के लिए संतोष कुमार सिंह ने विशेष बातचीत की। प्रस्तुत है प्रमुख अंश :
पर्यावरण संरक्षण में पंचायती राज का हो सकता है अहम योगदान
Posted on 11 Jun, 2014 11:06 AM भारतीय संविधान के 73वें संशोधन के उपरांत ग्यारहवीं अनुसूची के अंतर्गत पंचायती राज सहकारिता विषय निम्न प्रकार है :
कल्याणकारी (प्राकृतिक) खाद द्वारा कृषि विकास
जल संग्रहण विकास
सामाजिक वानिकी
लघु वन उत्पाद
जल निकायों का निकर्षण एवं साफ–सफाई
व्यर्थ जल संग्रहण एवं निष्कासन
सामुदायिक बायोगैस प्लांटों की स्थापना
र्इंधन व चारा विकास
वनों पर स्थानीय लोगों का अधिकार हो
Posted on 28 May, 2014 01:41 PM भुवन पाठक द्वारा एस.पी.सत्ती का लिया गया साक्षात्कार।

आप अपना परिचय दीजिए।
मेरा नाम एस.पी. सती है। मैं, वर्तमान में गढ़वाल विश्वविद्यालय में भू-विज्ञान पढ़ाता हूं और जब, 1994 से राज्य आंदोलन की शुरूआत, तभी से मैं, उसमें संयुक्त छात्र संघर्ष समिति में केन्द्रीय संयोजक राज्य स्तर के तौर पर रहा और तमाम बड़े-बड़े कार्यक्रमों में भाग लिया।
बांधों से पर्यावरण को नुकसान : मोहन थपलियाल
Posted on 28 May, 2014 01:12 PM भुवन पाठक द्वारा मोहन थपलियाल जी का लिया गया साक्षात्कार का कुछ अंश।

भाई साहब आप अपना परिचय दीजिए?
मैं तपोवन का पूर्व ग्राम प्रधान था उसके बाद में जिला पंचायत का सदस्य रहा।

मैं आपको ही ढूंड रहा था, आपसे इस परियोजना के संबंध में कुछ प्रश्न करने हैं। इस परियोजना के बारे में लोगों तथा आपकी क्या सोच है?
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