Posted on 15 Apr, 2017 10:44 AM(एक) चुल्लू भर डूबने के लिये ओक भर प्यास के लिये अंजूरी भर किस के कमंडल में विध्वंस के लिये यहाँ तो आँख भर बचा हैं जिस में डबडबाता है काला हीरा।
(दो) धूप सूख कर काँटा हुई हवा सूख कर हुई प्यास पानी सूख कर धरती धरती सूख कर हो गई आकाश बादल पसीज कर पानी न हुआ।
Posted on 06 Apr, 2017 04:50 PM भारत में लोगों के निवास के हिसाब से गंगा का मैदानी भाग सबसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। एक विस्तृत और घिरे मैदानी इलाके में असंख्य छोटी-बड़ी नदियाँ हैं। पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश वाला इसका पश्चिमी हिस्सा थोड़ा ज्यादा ऊँचा है और मैदानी इलाके के पूर्वी भाग से 150 मीटर ऊँचा है। यह पूरा इलाका हिमालय से निकली नदियों द्वारा लाई गई जलोढ़ मिट्टी से बना है।
Posted on 03 Apr, 2017 01:34 PM कल एक बाँध तो देखा तो कसक जाग उठी। एक तीर्थ बनाने में कितने घर डूबे होंगे।। कौन मरा, कौन जिया, किसकी जमीनें डूबीं, कोई बहीखाता नहीं है यहाँ। आज कौन है, कहाँ हैं, कोई नहीं जानता। पर कल रिक्शा चलाते मिला था, एक आदमी सतना की सड़कों पर। कुरेदा तो बताया कि बरगी से आया हूँ। वो तो आज भी रहते हैं अंधेरे में ही
Posted on 02 Apr, 2017 03:36 PM जब बाँध बनने की बात होती थी तो हम लोग हँसते थे कि जिस नर्मदा माई को भगवान नहीं बाँध पाये और जो अमरकंटक से निकलकर कल-कल बहती ही रही है, उसे कौन बाँध सकता है? और जब भगवान नहीं बाँध पाये तो नर्मदा विकास (प्राधिकरण) की क्या बिसात...?
Posted on 02 Apr, 2017 01:18 PM पूरे देश में रोजगार गारंटी की चर्चाएँ जोरों पर हैं। इस गाँव में भी लोगों के जॉब कार्ड तो हैं लेकिन वे पिछले तीन सालों से कोरे पड़े व्यवस्था को और ‘काम के अधिकार’ को चिढ़ा रहे हैं। यहाँ पर आज भी बिजली नहीं है, लोग इस बात से आस बँधा रहे हैं कि खम्भे तो आ गए हैं । पिछले 25 वर्षों में दूसरों को बिजली देने के कारण डूबे इन गाँवों में आज भी अन्धेरा है। यहाँ पर आजीविका का कोई साधन नहीं है, लोग पलाय