पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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पृथक उत्तराखण्ड का आधार
Posted on 02 Aug, 2015 11:28 AM कश्मीर तथा हिमाचल अपने हैंडीक्राफ्ट के कारण प्रसिद्धि पा रहे हैं, ज
मिथक, इतिहास और आदिवासी
Posted on 01 Aug, 2015 03:48 PM प्रकृति प्रेम और मानव स्वभाव सभी आदिवासी समूहों में एक समान मिलेगा।
एक जनचिन्तन
Posted on 31 Jul, 2015 04:28 PM जब तक जंगल और गाँव साथ-साथ था, जब तक जंगल सिर्फ जिन्दगी की बुनियादी
जंगल-जमीन आंदोलन
Posted on 25 Jul, 2015 01:14 PM किसी को आशा नहीं थी कि 19 अगस्त को गठित संगठन के आह्वान पर 2000 लोग
विनाश से प्रभावित जीवन
Posted on 24 Jul, 2015 04:43 PM गाँव के लोग चाहते हैं कि जंगल के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिये ग्रा
'चिपको' में चिपक बाकी है
Posted on 24 Jul, 2015 12:40 PM ‘हमारा उद्देश्य पेड़ों की रक्षा करना है, उनको बर्बाद करना नहीं,
हमारे पर्यावरण का भविष्यवक्ता
Posted on 23 Jul, 2015 11:22 AM

‘‘यदि हमारे गाँव ऐसे स्थान पर हैं जहाँ पर्यावरण व इंसान एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं तो शहर ऐसा स्थान है, जहाँ इंसान एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। शहर के साझा स्थानों को इस्तेमाल तो सभी करना चाहते हैं, उस पर अपना अधिक से अधिक अधिकार का दावा भी सभी करते हैं, लेकिन उस स्थान के रख-रखाव की ज़िम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं होता।’’ यह बात आज की नहीं है, सन 1988 की है, जब वैश्विकरण का हल्ला

Environment
पुस्तक विमर्श : हर एक पेड़ जरूरी होता है
Posted on 23 Jul, 2015 09:46 AM

‘‘यह वनस्थली खड़ी है विविध पुष्पचिन्हों से सज्ज्ति हरित साड़ी पहनकर अपने कोमल शरीर पर, अकारण अंकुरित पुलक से सिहरी पक्षियों के कलरव में बारम्बार कहलास करती हुई’’ (मलयालम के महान कवि जी.शंकर कुरूप के काव्य संग्रह ‘औटक्कुशल’ (बाँसुरी) की एक रचना)

Book cover
लोक-विश्वास, टोने-टोटके
Posted on 21 Jul, 2015 12:36 PM अवर्षण से मुक्ति के लिए
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