/sub-categories/news-and-articles
समाचार और आलेख
जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापन
Posted on 05 Mar, 2018 03:18 PMजलवायु परिवर्तन का विकासशील देशों पर विषमतापूर्ण दुष्प्रभाव पड़ेगा और इससे स्वास्थ्य क्षेत्र भोजन, स्वच्छ
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
Posted on 05 Mar, 2018 03:09 PM
जीवाश्म ईंधन के दहन और प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारण जलवायु परिवर्तन की गम्भीर समस्या उत्पन्न हुई है। यदि जलवायु परिवर्तन को समय रहते न रोका गया तो लाखों लोग भुखमरी, जल संकट और बाढ़ जैसी विपदाओं का शिकार होंगे। यह संकट पूरी दुनिया को प्रभावित करेगा। यद्यपि जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक असर गरीब देशों पर पड़ेगा।
विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिये संचारकों को राष्ट्रीय पुरस्कार
Posted on 01 Mar, 2018 08:15 AM
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी) की ओर से बुधवार को वर्ष 2017 के लिये विज्ञान संचारकों को राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, भू-विज्ञान, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने ये पुरस्कार प्रदान किए हैं।
पर्यावरण प्रहरी बनकर करें पर्यावरण की रक्षा
Posted on 22 Feb, 2018 06:42 PMहर क्षेत्र और वर्ग की परम्पराओं का गहन अध्ययन करने पर पता चल
जंगल बचे तो ही नदी बहे
Posted on 22 Feb, 2018 06:28 PMवन भूमि पर मौजूद जल संसाधन, सामान्यतः अक्षत संसाधन होते हैं। उन्हें यथासम्भव
वजूद पर सवाल
Posted on 19 Feb, 2018 06:43 PMक्या वन विकास निगम वर्तमान में गौण हो गए हैं? क्या उनकी उपयोगिता कम हो रही है? ये ऐसे यक्ष सवाल हैं जिसमें निगम अपने गठन के बाद से ही जूझ रहा है। निगम की कार्यप्रणाली ने जंगल और वनवासियों के बीच दीवार खड़ी कर दी है। इससे दोनों के बीच लगातार संघर्ष तेज होते जा रहे हैं। वनवासी हाशिए पर चले गए हैं। उनकी आर-पार की लड़ाई को देखने और समझने की कोशिश की अनिल अश्विनी शर्मा ने
अनुपम पर्यावरण
Posted on 04 Feb, 2018 03:20 PMगाँधीजी के पूरे लेखन में कहीं भी पर्यावरण शब्द का इस्तेमाल नहीं है। ये कितनी दिलचस्प बात है कि स्वच्छता से लेकर ‘दाओस समिट’ तक जिस महात्मा गाँधी का जिक्र होता है वह प्रकृति, ग्राम्य-जीवन, कृषि जैसी बातें तो करते हैं लेकिन पर्यावरण शब्द उनके यहाँ नहीं है। दरअसल पर्यावरण की जो नई चिन्ता है वही अपने आप में विरोधाभाषी है। गाँधी चरखा से लेकर स्वराज तक और जीवन से लेकर प्रकृति तक एक ही बात कहते हैं
जल चौपालों के संकेत
Posted on 04 Feb, 2018 01:39 PMचौपालों का संदेश है कि बरसात की भविष्यवाणियों के अनुमानों को खेती, पेयजल, जलाशयों और नदियों की आवश्यकताओं
नमामि गंगे - बन्द करो निर्मलता का नाटक
Posted on 25 Jan, 2018 11:28 PM
अब यह एक स्थापित तथ्य है कि यदि गंगाजल में वर्षों रखने के बाद भी खराब न होने का विशेष रासायनिक गुण है, तो इसकी वजह है इसमें पाई जाने वाली एक अनन्य रचना। इस रचना को हम सभी ‘बैक्टीरियोफेज’ के नाम से जानते हैं।
बैक्टीरियोफेज, हिमालय में जन्मा एक ऐसा विचित्र ढाँचा है कि जो न साँस लेता है, न भोजन करता है और न ही अपनी किसी प्रतिकृति का निर्माण करता है। बैक्टीरियोफेज, अपने मेजबान में घुसकर क्रिया करता है और उसकी यह नायाब मेजबान है, गंगा की सिल्ट।