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समाचार और आलेख
वन्यजीव अभयारण्यों को लेकर बिहार सरकार गम्भीर नहीं
Posted on 18 Feb, 2019 06:04 PMवन्यजीवों व पर्यावरण को लेकर सरकारी तंत्र की गम्भीरता जगजाहिर है। इस देश ने ‘विकास’ के लिये वन्यजीवों व पर्यावरण के साथ खिलवाड़ हर दौर में देखा है और अब भी गाहे-ब-गाहे दिख ही जाता है।
राज्य से लेकर केन्द्र की सरकार में इनको (वन्यप्राणियों) को लेकर निष्ठुरता दिखती है।
मध्य प्रदेश के प्राकृतिक सौन्दर्य का दृश्य चित्रकारों द्वारा चित्रण
Posted on 18 Feb, 2019 05:56 PMमध्य प्रदेश के प्रमुख दृश्य चित्रकार एवं उनका परिचय
Posted on 15 Feb, 2019 11:16 AMजोहार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
Posted on 12 Feb, 2019 05:48 PMवर्तमान का अतीत में समाहित होकर भविष्य में उजागर होना ही इतिहास है। यह आलेख, शिलालेख, गुहा चित्र, ताम्र पत्र, धातु या मृदा भांड, मूर्ति अथवा जीवाश्म के रूप में प्राप्त वस्तुओं के सूक्ष्म अध्ययन के पश्चात निर्धारित किया जाता है। जब आज भी इतिहासकार आर्यों के मूल स्थान तथा उनके भारत आगमन के सम्बन्ध में एक मत नहीं हैं तो हिमालय के सुदूर दुर्गम जोहार घाटी जैसे एक बहुत छोटे क्षेत्र और इस क्षेत्र का
मानस ताल व कैलाश
Posted on 10 Feb, 2019 04:27 PM जो रमणीय है वह पवित्र भी। कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील अल्मोड़ा शहर से 240 मील तथा तिब्बत की राजधानी ल्हासा से 800 मील की दूरी पर स्थित है। पवित्र कैलाश शिखर जिसे तिब्बती भाषा में ‘कागरिंग पोचे’ कहते हैं, अद्भुत सौन्दर्य से पूर्ण प्रकृति का बेदाग नमूना है। यह हमारी उचमध्य प्रदेश का कला परिदृश्य
Posted on 09 Feb, 2019 05:18 PMकैलास मानस यात्रापथ के झरोखे से
Posted on 09 Feb, 2019 11:12 AMइतिहास वैदिक भाषा का शब्द है। इति का अर्थ है-सम्पूर्ण विकास के बाद समाप्त और हास का अर्थ है-मनोरंजन। आधुनिक युग में अंग्रेजी के हिस्ट्री शब्द का इसे पर्याय मान लिया गया है। जिसका अर्थ है-अतीत का सम्पूर्ण सच्चा लेखा। जहाँ तक इतिहास का सम्बन्ध है, उसमें लुप्त और प्रकट होने की प्रक्रिया तीव्र होती है। अतः हिस्ट्री की तरह वह अतीत का सच्चा और सम्पूर्ण लेखा नहीं हो सकता। हिस्ट्री के लिये प्रमाण की नितानअसुर और लौह तकनीक परम्परा - काली कुमाऊँ के विशेष सन्दर्भ में
Posted on 04 Feb, 2019 05:25 PM काली कुमाऊँ उत्तराखण्ड के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है तथा मोटे तौर पर उत्तर में सरयू, दक्षिण में लधिया तथा पूर्व में काली नदियों से घिरा हुआ है। इस क्षेत्र की पहाड़ियाँ बाँज, बुराँस, चीड़ और देवदार के वनों से ढकी हैं तथा यहाँ चम्पावत, लोहाघाट जैसे उपजाऊ क्षेत्र भी हैं। काली कुमाऊँ अनेक कारणों से प्रसिद्ध है: चन्द राजाओं ने अपनी पहली राजधानी चम्पावत में बनाई, देवीधुरा में आषाढ़ी कौतिक में वाराही कआर्थिक सम्भावनाओं का द्वार खोलती गौशाला
Posted on 01 Feb, 2019 01:26 PMमध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने हाल ही में हर पंचायत में गौशाला खोलने का प्रशासनिक निर्णय लिया है। इस निर्णय के कारण प्रदेश में 22824 गौशालाएँ खुलेंगी। प्रदेश का हर ग्राम इसके फायदों के दायरे में आएगा। लगता है नई सरकार का यह कदम कुछ नई सम्भावनाओं का द्वार खोल सकता है। आवश्यकता सही रोडमैप बनाने और उस पर अमल करने की होगी।सड़कों पर कूड़ा बीनने वाले नौनिहालों का भविष्य संवारेगा नगर निगम
Posted on 01 Feb, 2019 01:16 PMदेहरादून: नगर निगम ने गली-मोहल्लों और सड़कों पर कूड़ा बीनने वाले बच्चों का भविष्य संवारने के लिये एक अनूठी पहल की है। इन बच्चों को एजुकेशन से जोड़ने के साथ ही स्वास्थ्य कार्ड, बीमा पॉलिसी की जाएगी, साथ ही इनके परिवार के सदस्यों को स्वरोजगार के लिये प्रेरित किया जा