यमुना

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जहां पर उतरी कृष्णप्रिया यमुना
Posted on 19 Jun, 2010 12:56 PM
हिन्दू धर्म के हिमालय क्षेत्र के चार पावन धामों में यमुनोत्री धाम प्रमुख है। यमुनोत्री, यमुना नदी का उद्गम स्थान है। यह भारत के उत्तरांचल प्रदेश में स्थित है। यहां बंदरपुछ चोटी के पश्चिम किनारे पर यमुनोत्री मंदिर स्थित है। जो समुद्र तल से 3185 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। हिमालय से निकलकर पूर्व दिशा में बहने वाली पवित्र नदियों में गंगा और यमुना नदी प्रमुख है। पावन गंगा के समानांतर बहते हुए यमु
पट्टे पर दी जा रही है यमुना, बैंक बांट रहे हैं कर्ज
Posted on 19 Jun, 2010 09:53 AM नियमों के मुताबिक नदी में मालिकाना यानि संक्रमणीय अधिकार देना गैर-कानूनी है। उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 की धारा 132 के अंतर्गत वन, नदी, नालों, झील, तालाब, पोखर, श्मशान, कब्रिस्तान, सार्वजनिक इस्तेमाल या विशेष प्रयोजन के लिए आरक्षित जमीन पर किसी भी तरह के भूमिधरी अधिकार नहीं दिए जा सकते। लेकिन सहारनपुर प्रशासन के लिए ये कानून कोई मायने नहीं रखते। भूमाफिया ने जमुना नदी को आईसीआईसीआई जैसे प्रतिष्ठित बैंकों में गिरवी रखकर करोड़ों का कर्ज भी ले रखा है।सहारनपुर, 18 जून। अफसरों व प्रशासन की मिलीभगत से यमुना नदी की हजारों बीघे गैर-कृषि भूमि पर भूमाफिया को मालिकाना हक बांट दिए गए हैं। सिर्फ यमुना ही नहीं, यही हाल हिंडन व ढमोला जैसी उसकी सहायक नदियों का भी है। गांवों में तालाबों और पोखरों की जमीन के भी अवैध तरीके से मालिकाना हक बांटे जा रहे हैं। इस तरह से हजारों हेक्टेयर सार्वजनिक जमीन पर अवैध कब्जे हो चुके हैं। इस खेल में बैंक भी पीछे नहीं हैं। अवैध तरीके से पट्टे पर दी गई इस जमीन पर बैंकों ने लोगों को करोड़ों के कर्ज बांट रखे हैं। इसकी आड़ में चंद प्रभावशाली लोग खेती, पेड़ों की कटाई और खनन से हर साल करोड़ों की कमाई कर रहे हैं।

नियमों के मुताबिक नदी में मालिकाना यानि संक्रमणीय अधिकार देना गैर-कानूनी है। उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 की धारा 132
सूखी यमुना एक त्रासदी
Posted on 11 May, 2010 12:29 PM युग-युगान्तर से अविरल बहने वाली पवित्र यमुना नदी आज एकदम सूखी पड़ी है। पानीपत और दिल्ली के बीच पड़ने वाले सोनीपत और बागपत यमुना खादर में बिल्कुल एक बूंद का भी प्रवाह नहीं है। वास्तविकता यह है कि सरकारें पूरी तरह से यमुना के पर्यावरणीय प्रवाह की अनदेखी कर रही हैं। यमुना में पानी बिल्कुल रोक दिया गया है। बागपत और सोनीपत के पूरे यमुना खादर में पूरी गर्मियों में एक इंच का भी प्रवाह नहीं है। यमुना मे
तो नहीं बनता अक्षरधाम और न खेलगांव
Posted on 15 Apr, 2010 02:46 PM नई दिल्ली। यमुना के बहाव क्षेत्र में अक्षरधाम बनाने को बतौर पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश किसी भी हालत में मंजूरी नहीं देते। रमेश का कहना है उस समय यह मंत्रालय उनके पास होता तो अक्षरधाम बनाने की योजना को मंजूरी नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि अक्षरधाम के कारण यमुना के बहाव क्षेत्र पर असर पड़ा है। अक्षरधाम के कारण ही राष्ट्रमंडल खेल गांव बनाने को मंजूरी दी गई।
गंगा के मायके में प्यासी धरती, प्यासे लोग
Posted on 15 Apr, 2010 10:28 AM

समूचे गंगा के मैदान को पानी उपलब्ध करवाने वाला उत्तराखंड स्वयं प्यासा है। क्रुद्ध पर्वतवासी जन-संस्थान के दफ्तरों और अफसरों का घेराव कर रहे हैं। आंदोलनों से सरकारी मशीनरी अक्सर सक्रिय होती भी है लेकिन उसकी सक्रियता का परिणाम नगरों और कस्बों तक ही सीमित होता है। गांव प्यासे रह जाते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि इस पर्वतीय प्रदेश की 75 प्रतिशत जनसंख्या 15,828 गांवों में निवास करती है। नगरीय इल

मायके में सूख रही गंगा
Posted on 15 Apr, 2010 09:13 AM
उत्तराखंड इस समय पानी की कमी के संकट से गुजर रहा है। यहां की नदियों, तालाबों, जलस्रोतों में लगातार पानी कम हो रहा है। यहां तक कि हरिद्वार के महाकुंभ में डुबकी लगाने के लिए कई घाटों पर चार फुट पानी भी न मिलने की लोगों ने शिकायतें की हैं। पूरे राज्य में जगह-जगह नदी बचाओ, घाटी बचाओ आंदोलन चल रहे हैं। जल स्रोतों के सूखने या उन तक पानी न पहुंचने से करोड़ों रुपये की पाइप लाइन योजनाएं बेकार हो गई ह
यमुना
Posted on 22 Feb, 2010 09:59 AM

पुनिसिय राम लखन कर जोरी, जमुनहिं कीन्ह प्रणाम वहोरी,
चले ससीय मुदीत दोउ भाई, रवि तनुजा कइ करत बड़ाई।
(रा.च.मा.) अयोध्या काण्ड, दो 111/1

उक्त चौपाइयाँ रामचरितमानस में यमुना के बारे में उद्धृत की गई हैं।

तरणि तनुजा तट तमाल तरुवर बहु छाये।

यमुना नदी का अपभ्रंश नाम जमुना भी है इसे कालिंदी और कई नामों से जाना जाता है।

गैर कानूनी तरीके से निकाला जा रहा है यमुना का पानी
Posted on 17 Feb, 2010 09:15 AM

कैसी विडंबना है कि जनता को पानी का महत्व समझाने वाली दिल्ली सरकार के अनेक सरकारी और अर्ध सरकारी संगठन ही पानी के नियमों की धज्जिया उड़ा रहे हैं। यह संगठन पानी संरक्षण के सभी नियमों को ताक पर रख गैरकानूनी तरीके से यमुना के खादर से पानी निकाल रहे हैं। सरकार इन संगठनों पर लगाम लगाने की बजाय सरकार इन्हीं पर मेहरबान दिख रही है।

यमुना के खादर से बड़ी मात्रा में गैर कानूनी तरीकों से जल का दोहन
यमुना की सफाई पर बहा पैसा
Posted on 31 Jan, 2010 08:31 PM
यमुना एक्शन प्लान -1 (1993-2003)

कुल खर्च - 680 करोड़ रुपये

यमुना एक्शन प्लान -2 (2004 के बाद)

तय राशि - 624 करोड़ रुपये

जल बोर्ड का खर्च (कैग रिपोर्ट)
v1998-99 में 285 करोड़ रुपये

1999-2004 में 439 करोड़ रुपये
यमुना की सफाई पर डीएसआईडीसी ने किया खर्च -147 करोड़ रुपये

दिल्ली की यमुना में भूजल को बचाने की एक योजना
Posted on 02 Sep, 2009 09:20 AM

बाढ़जनित जलभरण क्षेत्रों द्वारा प्राकृतिक भूजल को बड़े पैमाने पर संरक्षित करने की एक योजना

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