यमुना

Term Path Alias

/regions/yamuna

दिल्ली की प्यास
Posted on 11 Feb, 2009 01:02 PM

कैसे स्वयं बुझाए, दिल्ली अपनी प्यास

Delhi water structure
यमुना से खिलवाड़
Posted on 17 Jan, 2009 01:11 PM आख़िर अदालत ने यमुना किनारे राष्ट्रमंडल खेलों के लिए विभिन्न तरह के निर्माणों की इजाज़त दे ही दी। लेकिन, सवाल तो फिर भी है कि राष्ट्रमंडल खेल या एक नदी की ज़िन्दगी से खिलवाड़!
यमुना में न लगाएं डुबकी
Posted on 11 Nov, 2008 08:51 AM

नई दिल्ली। मैली यमुना में छठ पर श्रद्धालु यमुना में डुबकी न लगाएं, क्योंकि नदी के जल में मौजूद प्रदूषक तत्व से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। वजीराबाद बैराज से लेकर ओखला बैराज तक कुल 22 किलोमीटर यमुना सर्वाधिक प्रदूषित है। इसके बीच बहती यमुना का जल स्नान योग्य नहीं है। नदी के जल में मौजूद कालीफार्म बैक्टीरिया मानव शरीर के लिए खतरनाक है। इसके प्रभाव से आंत्रशोथ, टाइफाइड, चर्म रोग व अन्

Pollution in Yamuna
जल में बसा देवता
Posted on 21 Sep, 2008 08:47 PM

वे पुरोगामी पुरुष हैं। कार्यकर्ता तो आपको बहुत मिलेंगे, परंतु कर्म व ज्ञान का सम्मिश्रण आपको अनुपम मिश्र में ही मिलेगा। ज्ञान, कोरी सूचना भर नहीं, अनुभव की आंच में तपा हुआ अर्जित ज्ञान। उनका समूचा जीवन जल के प्रति एक सच्ची प्रार्थना रहा है। तीन दशकों से भी अधिक समय से वे भारत के लुप्त होते जल संसाधनों को बचा रहे हैं। इसलिये उनका प्रत्येक शब्द एक दस्तावेज बनता है, जहाँ वे जल संकट के विभिन्न पहलु

बाढ़
क्षमा करें, देवी यमुने
Posted on 19 Sep, 2008 08:37 PM

उस दिन भी यमुना से गुजरा। पुल से ही यमुना पर नजर डाली और हल्की उदासी से घिर गया। दिल्ली में यमुना पार ही रहता हूं। रोज यमुना से ही गुजरता हूं। वहां से गुजरते हुए अक्सर सोचता हूं कि क्या यमुना को हम जीते हैं, यमुना तो बस शहर से गुजरती है। लेकिन हमें कहां एहसास होता है कि एक महान नदी हमारे बीच बहती है, यमुना से हम बस आर-पार ही होते हैं। कितनी अजीब बात है कि इस महानगर को --- फीसदी पानी देने वाली न

यमुना तो फिर भी मैली
Posted on 19 Sep, 2008 07:44 PM

पांच दिन के सफाई अभियान में नदी से करीब 600 टन कचरा निकाला गया मगर यमुना जल को वाकई स्वच्छ बनाने के लिए बहुत कुछ करना जरूरी है

आगरा में यमुना घाटों की सफाई
Posted on 01 Jan, 1970 05:30 AM


सुबिजोय दत्ता

आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यमुना नदी के प्रदूषण की तरफ विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों का ध्यान केन्द्रित करने के लिए कई स्कूलों के सैकड़ों छात्रों ने वरिष्ठ नागरिकों के साथ रविवार सुबह पोइया घाट की सफाई की. उन्होंने इस दौरान वहां पङे पॉलिथीन बैग और कचरे हटाए.

खनन के चलते मौत के कगार पर पहुंची यमुना
मशीनों के शोर ने पक्षियों को यहां से जाने पर मजबूर कर दिया है। रात्रिचर जीव भी पलायन कर गए हैं। खनन के चलते यमुना मरने की कगार पर पहुंच गई है। Posted on 28 Oct, 2023 11:35 AM

हमारे यहां सारस, लाल सुर्खाब, सफेद सुर्खाब, नीलसर, जलकाग जैसे प्रवासी पक्षी हज़ारों की संख्या में आया करते थे। महासीर जैसी दुर्लभ मछली, लालपरी, सुआ, सेवड़ा, लोंछी, किरण, गोल्डन फिश, रोहू जैसी मछलियां हजारों की संख्या में रहती थीं। हमने यहां 70-70 किलो वज़न तक के कछुए देखे हैं। जब से रेत-बजरी का खनन शुरू हुआ, नदी के भीतर से जीव-जंतु, जलीय पौधे सब घटने लगे। मशीनों के शोर ने पक्षियों को यहां से जा

खनन के चलते मौत के कगार पर पहुंची यमुना
दिल्ली : यमुना की मिट्टी का प्रयोग मूर्ति बनाने के लिए संभव नहीं
यमुना के बाड़ क्षेत्र में दोमट नामक मिट्टी पाई जाती है। इस मिट्टी में रेत और चिकनी मिट्टी का अनुपात होता है। यह मिट्टी उपजाऊ होती है और इससे मूर्तिकारी और कुम्हारी का काम किया जाता है। परंतु, दिल्ली के प्रदूषण और बाड़ क्षेत्र पर अवैध कब्जे के कारण, इस मिट्टी का स्वरूप बिगड़ गया है। Posted on 20 Oct, 2023 02:28 PM

यमुना की मिट्टी का अवसाद, नालों का प्रवाह और बाढ़ ने दिल्ली में इसके रूप को बिगाड़ दिया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि दुर्गा पूजा के अवसर पर मूर्तियों के निर्माण में भी इसका प्रयोग नहीं हो सका है। कुछ मूर्तिकारों को पानीपत से मिट्टी मंगानी पड़ी है, क्योंकि विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली की यमुना में मिट्टी का स्तर बहुत कम हो गया है। यहां के बाढ़ क्षेत्र में सिर्फ गाद और रेत ही पाई जाती है, जिससे क

यमुना की मिट्टी का प्रयोग मूर्ति बनाने के लिए संभव नहीं
कराहती नदियां
Posted on 31 Jul, 2010 09:53 AM आमी का गंदा जल सोहगौरा के पास राप्ती नदी में मिलता है। सोहगौरा से कपरवार तक राप्ती का जल भी बिल्कुल काला हो गया है। कपरवार के पास राप्ती सरयू नदी में मिलती है। यहां सरयू का जल भी बिल्कुल काला नज़र आता है। बताते हैं कि राप्ती में सर्वाधिक कचरा नेपाल से आता है। उसे रोकने की आज तक कोई पहल नहीं हुई। पिछले दिनों राप्ती एवं सरयू के जल को इंसान के पीने के अयोग्य घोषित किया गया। कभी जीवनदायिनी रहीं हमारी पवित्र नदियां आज कूड़ा घर बन जाने से कराह रही हैं, दम तोड़ रही हैं। गंगा, यमुना, घाघरा, बेतवा, सरयू, गोमती, काली, आमी, राप्ती, केन एवं मंदाकिनी आदि नदियों के सामने ख़ुद का अस्तित्व बरकरार रखने की चिंता उत्पन्न हो गई है। बालू के नाम पर नदियों के तट पर क़ब्ज़ा करके बैठे माफियाओं एवं उद्योगों ने नदियों की सुरम्यता को अशांत कर दिया है। प्रदूषण फैलाने और पर्यावरण को नष्ट करने वाले तत्वों को संरक्षण हासिल है। वे जलस्रोतों को पाट कर दिन-रात लूट के खेल में लगे हुए हैं। केंद्र ने भले ही उत्तर प्रदेश सरकार की सात हज़ार करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना अपर गंगा केनाल एक्सप्रेस-वे पर जांच पूरी होने तक तत्काल रोक लगाने के आदेश दे दिए हों, लेकिन नदियों के साथ छेड़छाड़ और अपने स्वार्थों के
×