वर्धा जिला

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किसानों और खेती को बचाने का यत्न
Posted on 08 Mar, 2015 03:40 PM

सेवाग्राम, वर्धा में 8 से 10 मार्च तक आयोजित किसान सम्मेलन में देशभर के किसान अपनी रक्षा और दि

हिंदी का दूसरा महाकुंभ वर्धा में 01 फरवरी से
Posted on 31 Jan, 2013 12:45 PM

पांच दिवसीय समारोह में देशभर से तकरीबन 200 हिंदी के नामचीन विद्वान करेंगे विमर्श


वर्धा, 30 जनवरी 2013: वर्धा स्थित महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय 1 से 5 फरवरी, 2013 के दौरान ‘हिंदी का दूसरा समय’ कार्यक्रम का भव्‍य आयोजन कर रहा है, जिसमें तकरीबन 200 से अधिक हिंदी के साहित्‍यकार, पत्रकार, रंगकर्मी व सामाजिक कार्यकर्ता विवि‍ध विषयों पर विमर्श करेंगे।

समारोह का उद्घाटन 1 फरवरी को प्रात: 10 बजे अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ के प्रांगण में बने आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी सभागार में प्रो. नामवर सिंह करेंगे। विशिष्‍ट अतिथि के रूप में प्रो.निर्मला जैन की उपस्थिति में समारोह की अध्‍यक्षता कुलपति विभूति नारायण राय करेंगे।
नका जाउ बाहेर शौचाला
Posted on 03 Dec, 2012 02:15 PM सेवाग्राम वर्धा। नवविवाहिता प्रियांश श्री लोहकरे ने ससुराल में आकर खुले में शौच जाने से मना कर दिया। इससे पूरे घर में कोहराम मचा है। परिवार के सारे सदस्य सुबह से मुँह फुलाए बैठे हैं। कोई किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पा रहा है। इधर लोहकरे ने दुबारा इस बात को पंचायत के सामने उठाने की धामकी दे दी। इस बात से घर का माहौल और खराब हो गया। लेकिन वह अपने जिद पर अड़ी रही। उसके भीतर गुस्सा भरा है और पीड़ा भी।
सृजनशीलता का खजाना
Posted on 24 Sep, 2011 02:17 PM

महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी पर गणपति की पूजा बड़ी धूमधाम से की जाती है और इस अवसर पर लाखों मूर्

Murti Visarjan
वर्धा में बारिश
Posted on 09 Jul, 2010 12:04 PM आंखों को और उनसे जुड़े मानसिक जगत को हरीतिमा और वर्षा क्यों भली लगती है? इसके जैविक कारण होंगे, पर ऐतिहासिक या कहिए प्रागैतिहासिक कारण भी हैं। हमारे दूरस्थ पूर्वजों ने कई लाख वर्ष ऐसे ही वातावरण में बिताए होंगे। हमारा सामूहिक अवचेतन उन्हीं स्मृतियों को अपने गुह्य कक्ष में संजोए हुए हैं। जल ही जीवन है, कहा तो गया है, पर खुद जल में कितना जीवन है, मुझे पता नहीं। लेकिन वे पेड़-पौधे, जिन पर वर्षा के बादल अमृत की वर्षा करते हैं, जीवन से भरपूर हैं। दरअसल, ये पेड़-पौधे ही हमारे असली पूर्वज है, क्योंकि यह सचल सृष्टि उन्हीं की कोख से पैदा हुई है।चारों ओर हरा-भरा हो और निरंतर वर्षा हो रही हो, यह दृश्य मैंने ज्यादा नहीं देखा है – यों दुनिया को मैंने देखा ही कितना है- लेकिन जो भी दृश्य देखे हैं, वे किसी प्रेम कथा की तरह मन पर अंकित हैं। पहाड़ों पर बारिश का अपना आनंद है और हरे-भरे मैदान में बूंदों की थाप का अपना सुख। कोलकाता में खूब बारिश होती थी और वहां के वातावरण में वर्षा के दिन जितने असुविधाजनक होते हैं, उसकी तुलना के लिए मेरे पास कोई समांतर अनुभव नहीं है। शायद गांवों में इसी तरह जीवन कीचड़ में लिथड़ जाता हो। फिर भी कोलकाता का जो मौसम मन में रमा हुआ है, वह वर्षा का मौसम ही है। दिल्ली में तो बारिश होती ही नहीं है। जब होती है, तो उसका भी कुछ खुमार होता है, पर इस महान शहर में ऐसा दृश्य मुझे अभी तक देखने को नहीं मिला कि दूर-दूर तक घास
सच्चे माथे के समाज से निकला अनुपम पुरुषार्थ
Posted on 13 May, 2010 07:59 AM

अनुपम मिश्र को समाज के सच्चे लोग बड़े आदर की दृष्टि से देखते हैं। वे जिस तरह का जीवन जी रहे हैं, जिस तरह की सच्चाई और साफगोई उनके व्यक्तित्व की पहचान है। देश के मरे, बाँझ और उदास तालाबों के लिए वे भागीरथ सिध्द हुए हैं। यशस्वी कवि भवानीप्रसाद मिश्र के बेटे अनुपम ने राजनीति, सिनेमा, समाज सेवा और अन्य तमाम जगहों पर दिखायी पड़ने वाली, थोपी जाने वाली वंश परम्परा से बिल्कुल अलग जीवट के आदमी निकले। पि

अनुपम मिश्र
43 वां सर्वोदय सम्मेलन / सर्व सेवा संघ का राष्ट्रीय अधिवेशन
Posted on 22 Jan, 2010 03:27 PM

19-20 फरवरी 2010 को सरू सजाई इन्डोर स्टेडियम, गुवाहाटी (असम) में होनेवाले संघ अधिवेशन का उद्घाटन गांधी विचार, अर्थशास्त्र के विद्वान एवं महात्मा गांधी द्वारा स्थापित गुजरात विद्यापीठ के कुलपति डा. सुदर्शन आयंगार के करकमलों द्वारा किया जायेगा।

sarva sewa sangh
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