उत्तराखंड

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रासायनिक प्रक्रम उद्योगों में जल संरक्षण, अपशिष्ट जल-न्यूनीकरण और जल पुनर्चक्रण
Posted on 16 Jan, 2012 10:48 AM

इस प्रपत्र में रासायनिक प्रक्रम उद्योगों में जल के उपयोग की प्राचीन मान्यताओं तथा प्रदूषण नियं

भारत की प्रमुख नदियों में सतही जल प्रदूषण का निर्धारण
Posted on 16 Jan, 2012 10:33 AM नदियों एवं स्वच्छ झीलों का जल देश के सम्पूर्ण विकास कार्यक्रमों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। घरेलू एवं औद्योगिक उद्देश्यों तथा सिंचाई, मत्स्य पालन एवं ऊर्जा के विकास के लिए भी ये जल आपूर्ति के स्रोत के रूप में कार्य करते हैं। यही जल स्रोत औद्योगिक अपशिष्टों एवं घरेलू मल-जल के विसर्जन के लिए भी उपयोग होते हैं, जिससे जल प्रदूषित होता हैं। औद्योगिक अपशिष्टों एवं घरेलू मल-जल द्वारा नदियों एवं स
मणिपुर राज्य में भूमिजल की रासायनिक गुणवत्ता
Posted on 16 Jan, 2012 10:28 AM मणिपुर राज्य के भूमिजल का रासायनिक विश्लेषण परिणाम यह प्रदर्शित करते हैं कि भूजल में कैल्शियम और मैगनीशियम मुख्य धनायन हैं केवल थूबल जिले में सोडियम व पोटेशियम धनावेश पाये गए हैं। जैसे-जैसे हम घाटी की तरफ बढ़ते हैं कैल्शियम व मैगनीशियम आयनों की अघुलनशीलता बढ़ जाती है और इनकी मात्रा घटने लगती है। इससे सोडियम व पोटेशियम धनावेश अधिक होने लगते हैं। ऋणावेश मुख्यतः बाइकार्बोनेट एवं सल्फेट हैं लेकिन थूबल
कुमायूँ हिमालय के खुलगाड जलागम में वन विनाश से प्रभावित अपरदन दर का प्रायोगिक अध्ययन
Posted on 16 Jan, 2012 10:25 AM हिमालय में वनों के विनाश से जो पर्यावरणीय दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं उनमें से एक मृदा क्षरण की बढ़ती दर है, जिसके अध्ययन के लिए कोसी नदी के खुलगाड जलागम क्षेत्र को चुना गया था। इस जलागम के विभिन्न परिस्थितिक दशाओं से होने वाला अपरदन दर्शाता है कि मानविक और विवर्तनिक क्रियाओं ने अपरदन की दर को बड़ी तेजी से त्वरित कर दिया है। ओक के जंगल क्षेत्र में कुल भार (निलम्बित भार + विलीन भार + तलावसाद) का उत्
अवैध खनन से खोखली होती भूमि
Posted on 13 Jan, 2012 04:27 PM

बरसात में बजरी निकालो और बाकी समय में नदी को प्रदूषित करो, इस दृष्टिकोण को बदलने की आवश्यकता ह

जल, भूमि व पर्यावरण प्रबंध हेतु उपयोगी आंकड़ों, सूचनाओं व मानचित्रों का थालावार (Basin Wise) नियमित प्रकाशन : एक सामयिक आवश्यकता
Posted on 12 Jan, 2012 12:12 PM इस लेख में जल, भूमि व पर्यावरण प्रबंध क्षेत्र में विचाराधीन व प्रगतिगत कार्यक्रमों को एक ठोस दिशा प्रदान करने के आशय से निम्न सुझाव प्रस्तुत किए गए हैं:
जम्मू क्षेत्र में स्थित मानसर एवं सूरीनसर झीलों का जलगुणता अध्ययन
Posted on 12 Jan, 2012 11:59 AM जम्मू क्षेत्र में स्थित मानसर एवं सूरीनसर झील पर्यटन की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल माने जाते हैं। इन झीलों के जल को दूषित करने का कारण ज्यादातर इनके आवाह क्षेत्र के मानवीय गतिविधियां हैं। इन झीलों के जल को प्रदूषित होने से रोकने तथा स्वच्छ रखने के लिए इनकी जलगुणता का नियमित रूप से निरीक्षण करना आवश्यक है। इसको दृष्टि में रखते हुए झीलों के विभिन्न स्थानों से जल के नमूने एकत्र किए गए।
जल की बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग
Posted on 12 Jan, 2012 11:56 AM विकसित तथा विकासशील देशों के समुदायों में जनसंख्या में वृद्धि, आर्थिक एवं सामाजिक उन्नति के कारण उपभोग दर में वृद्धि तथा विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ती हुई मांग के कारण जल की कमी की समस्या प्रमुख हो गई है या होने वाली है। पुराने रूढ़िवादी तरीकों को फिर से छांटकर तथा स्वच्छ जलाशयों के नियतन का इष्टतमीकरण करके समुदाय अपने जल के कुछ और वैकल्पिक स्रोतों को खोजने के कार्यक्रम को टाल सकता है परन्तु कुछ समय
जनपद कानपुर (देहात) उत्तर प्रदेश के आंशिक भाग के प्राकृति जल की जल गुणवत्ता एवं पर्यावरणीय प्रदूषण
Posted on 11 Jan, 2012 11:51 AM जनपद कानपुर (देहात) के कुछ भाग के जल नमूनों के विश्लेषण में पाए गए वृहद संघटकों के भू-रासायनिक अध्ययन दर्शाते हैं कि यहां का जल पीने की उपयुक्तता के साथ-साथ सिंचाई के योग्य भी है। कुछ भागों को छोड़कर, जहां पर फ्लोराइड की मात्रा अपेक्षित मात्रा से अधिक जैसे काकवां, भू-गर्भ सर्वेक्षण कूप (3.4 मि.ग्रा/लीटर), बिन्दोरी (3.00 मि.ग्रा/ली.), अलीपुर (2.8 मि.ग्रा./ली.), बिल्होर और उर्सी (2.4 मि.ग्रा./ली.),
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