जम्मू क्षेत्र में स्थित मानसर एवं सूरीनसर झील पर्यटन की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल माने जाते हैं। इन झीलों के जल को दूषित करने का कारण ज्यादातर इनके आवाह क्षेत्र के मानवीय गतिविधियां हैं। इन झीलों के जल को प्रदूषित होने से रोकने तथा स्वच्छ रखने के लिए इनकी जलगुणता का नियमित रूप से निरीक्षण करना आवश्यक है। इसको दृष्टि में रखते हुए झीलों के विभिन्न स्थानों से जल के नमूने एकत्र किए गए। इन एकत्रित नमूनों के विभिन्न जलगुणता प्राचलों का आंकलन कर इनका विश्लेषण किया गया। इन प्राचलों में जल का तापमान, पी.एच., विद्युत चालकता, कुल घुलित ठोस (टी.डी.एस.), कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटेशियम बाइकार्बोनेट, सल्फेट, क्लोराइड, नाइट्रेट, फास्फेट, घुलित ऑक्सीजन (डी.ओ.), बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमाण्ड (बी.ओ.डी.) तथा पूर्ण कठोरता आते हैं।
इन प्राचलों का मापन जल वर्ष 1994-95 के विभिन्न मौसमों में किया गया तथा जलगुणता प्राचलों पर मौसमीय परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन भी किया गया। झीलों के जल की जलगुणता का आंकलन विशेष रूप से सिंचाई तथा पेयजल की दृष्टि से किया गया है। साथ ही साथ प्रमुख जलगुणता प्राचलों की तुलना भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रमाणित आंकड़ों से भी की गई है। प्रस्तुत अध्ययन यह दर्शाता है कि मापित जलगुणता आंकड़े भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रमाणित आंकड़ों की सीमा में है और पेयजल तथा सिंचाई के लिए उपयुक्त हैं।
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इन प्राचलों का मापन जल वर्ष 1994-95 के विभिन्न मौसमों में किया गया तथा जलगुणता प्राचलों पर मौसमीय परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन भी किया गया। झीलों के जल की जलगुणता का आंकलन विशेष रूप से सिंचाई तथा पेयजल की दृष्टि से किया गया है। साथ ही साथ प्रमुख जलगुणता प्राचलों की तुलना भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रमाणित आंकड़ों से भी की गई है। प्रस्तुत अध्ययन यह दर्शाता है कि मापित जलगुणता आंकड़े भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रमाणित आंकड़ों की सीमा में है और पेयजल तथा सिंचाई के लिए उपयुक्त हैं।
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