नदियों एवं स्वच्छ झीलों का जल देश के सम्पूर्ण विकास कार्यक्रमों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। घरेलू एवं औद्योगिक उद्देश्यों तथा सिंचाई, मत्स्य पालन एवं ऊर्जा के विकास के लिए भी ये जल आपूर्ति के स्रोत के रूप में कार्य करते हैं। यही जल स्रोत औद्योगिक अपशिष्टों एवं घरेलू मल-जल के विसर्जन के लिए भी उपयोग होते हैं, जिससे जल प्रदूषित होता हैं। औद्योगिक अपशिष्टों एवं घरेलू मल-जल द्वारा नदियों एवं सरिताओं में प्रदूषण भयंकर रूप से बढ़ा है जिससे पर्यावरण में बहुत अधिक अस्वच्छता की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
देश में जनसंख्या में तीव्र वृद्धि, रहन-सहन का उच्च स्तर, नदी-घाटी परियोजनाओं का तेजी से विकास, औद्योगिक एवं शहरी जल आपूर्ति के लिए जल की मांग में वृद्धि इत्यादि विशाल समस्याओं का सामना करने में नदियों के जल की स्थिति का बहुत महत्व है।
इस पत्र में विभिन्न संस्थाओं द्वारा किए गए विभिन्न अध्ययन एवं प्रबोध कार्यक्रमों पर आधारित कुछ मुख्य नदियों की जल गुणता की व्यापक समीक्षा की गई है, जो वास्तव में जल गुणता में ह्रास को दर्शाती है, तथा भारत की कुछ मुख्य नदियों में प्रदूषण के नियंत्रण तथा जल गुणता प्रबंधन की आवश्यकता का अनुभव कराती है।
इस रिसर्च पेपर को पूरा पढ़ने के लिए अटैचमेंट देखें
देश में जनसंख्या में तीव्र वृद्धि, रहन-सहन का उच्च स्तर, नदी-घाटी परियोजनाओं का तेजी से विकास, औद्योगिक एवं शहरी जल आपूर्ति के लिए जल की मांग में वृद्धि इत्यादि विशाल समस्याओं का सामना करने में नदियों के जल की स्थिति का बहुत महत्व है।
इस पत्र में विभिन्न संस्थाओं द्वारा किए गए विभिन्न अध्ययन एवं प्रबोध कार्यक्रमों पर आधारित कुछ मुख्य नदियों की जल गुणता की व्यापक समीक्षा की गई है, जो वास्तव में जल गुणता में ह्रास को दर्शाती है, तथा भारत की कुछ मुख्य नदियों में प्रदूषण के नियंत्रण तथा जल गुणता प्रबंधन की आवश्यकता का अनुभव कराती है।
इस रिसर्च पेपर को पूरा पढ़ने के लिए अटैचमेंट देखें
Path Alias
/articles/bhaarata-kai-paramaukha-nadaiyaon-maen-satahai-jala-paradauusana-kaa-nairadhaarana
Post By: Hindi