उत्तराखंड

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वर्षा आधारित पर्वतीय कृषि और जल संकटः एक चुनौती
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 50 प्रतिशत झरने सूख चुके हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र में जल की आपूर्ति को प्रभावित करते हैं। पिछले कुछ समय से पर्यावरण में हो रहे प्राकृतिक व मानवजनित परिवर्तनों से प्राकृतिक जलस्रोत (नौले व धारे आदि) सूख रहे हैं। Posted on 13 Jun, 2024 08:11 AM

तेज ढलानों और पेचीदा भौगोलिक संरचना के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में वर्षा के पानी को भूजल में संचय के साथ सतही वर्षा जल को रोकना चुनौतीपूर्ण कार्य है। प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित दोहन, संरक्षण का अभाव, अनियोजित शहरीकरण तथा बढ़ती जनसंख्या का दबाव पर्वतीय क्षेत्रों में जल संकट के प्रमुख कारण हैं। वनों में भीषण आग हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण कारण है। प्राकृतिक झरने, नौल

पर्वतीय कृषि में प्लास्टिक पोंड
प्रकृति का अनुपम उपहार हैं पहाड़ी नौले-धारे
प्राकृतिक उपहारों में से एक है पहाड़ी नौले-धारे (Springs) जो पहाड़ों में रहने वाले लोगों की कई सालों से जलापूर्ति करते आये हैं। वास्तव में देखा जाए तो नौले व धारे पर्वतीय क्षेत्र की संस्कृति और संस्कारों का दर्पण भी हैं। पहाड़ों में रहने वाले लोगों की मानें तो वे इन्हें जल मंदिर के रूप में पूजते हैं। Posted on 11 Jun, 2024 08:31 AM

पेयजल के भरोसेमंद स्रोत नौला मनुष्य द्वारा विशेष प्रकार के सूक्ष्म छिद्र युक्त पत्थर से निर्मित एक सीढ़ीदार जल भण्डार है, जिसके तल में एक चौकोर पत्थर के ऊपर सीढ़ियों की श्रृंखला जमीन की सतह तक लाई जाती है। सामान्यतः तल पर कुंड की लम्बाई- चौड़ाई 5 से 8 इंच तक होती है, और ऊपर तक लम्बाई-चौड़ाई बढ़ती हुई 4 से 8 फीट (लगभग वर्गाकार) हो जाती है। नौले की कुल गहराई स्रोत पर निर्भर करती है। आम तौर पर गहर

प्रतिकात्मक तस्वीर
टिहरी डैम - अब तक
जानिए सुंदरलाल बहुगुणा के 74 दिनों के उपवास के बाद आखिर सरकार ने क्या निर्णय लिए Posted on 05 Apr, 2024 04:49 PM

मेरा, 74 दिनों का उपवास, जो मैंने भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री नरसिम्हा राव द्वारा मुझको दिये हुए वचन से मुकरने के विरोध में रखा था, श्री एच. डी.

टिहरी डैम,Pc-wikipedia
हिमालय बचाओ आन्दोलन-घोषणापत्र
जानिए हिमालय बचाओ आन्दोलन-घोषणापत्र में क्या महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए

Posted on 05 Apr, 2024 01:02 PM

आक्रमण विकास नीति ने हिमालय में 'प्रकृति एवं मानव' दोनों के लिए जिन्दा रहने का संकट पैदा कर दिया है। इससे केवल इस क्षेत्र में रहने वाले ही त्रस्त नहीं हैं, बल्कि इससे भी दस गुने लोगों पर हिमालय की तबाही का विनाशकारी प्रभाव, बाढ़, भूक्षरण और सूखे के रूप में पड़ रहा है।

हिमालय बचाओ आन्दोलन-घोषणापत्र
मेरा प्रार्थनामय उपवास : सुन्दरलाल बहुगुणा
जाने सुन्दरलाल बहुगुणा ने भूख हड़ताल महात्मा गांधी की जयंती पर ही क्यों की Posted on 05 Apr, 2024 11:32 AM

स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती के वर्ष में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के शुभ दिन पर राष्ट्र और करोड़ों लोगों के जीवन को असुरक्षित बनाने, आर्थिक दृष्टि से दिवालिया, सामाजिक दृष्टि से विषमता और विघटन बढ़ाने, पर्यावरणीय तबाही लाने और हमारी संस्कृति और आस्थाओं को कुचलने वाले टिहरी बांध के मौजूदा स्वरूप को कायम रखने की हठधर्मी को उजागर करने के लिए मैंने उपवास करने का निश्चय किया है।

 सुन्दरलाल बहुगुणा,Pc-Wikipedia
निर्माणाधीन टिहरी बांध में भूकंपीय खतरे और भ्रष्टाचार
जाने टिहरी बांध में भूकंपीय खतरे और भ्रष्टाचार से कितना बड़ा नुकसान हो सकता है Posted on 04 Apr, 2024 11:46 AM

टिहरी बाँध में जो समस्या है, उसके संबंध में सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। कितने ही खतरे वहाँ पर बांध बनाने में हैं। पूरा उत्तर प्रदेश और यह क्षेत्र भी जल-प्लावन में इससे जा सकता है, यदि भूकंप और भूचाल आए। रशियन एक्सपर्टस ने इसकी एक रिपोर्ट भी दी थी, परन्तु उसके ऊपर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।सुन्दर लाल बहुगुणा, देश में एक विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे कई दफे भूख हड़ताल पर बैठे।

निर्माणाधीन टिहरी बांध में भूकंपीय खतरे और भ्रष्टाचार
जो एक सौ बीस दिनों तक उत्तराखण्ड में घूमते रहे
जानिए चिपको आन्दोलन में पदयात्रा निकालने का क्या कारण था Posted on 26 Mar, 2024 03:10 PM

मण्डल और फाटा में चिपको आन्दोलन शुरू हुआ, ती सुन्दर लाल बहुगुणा को लगा कि यह बात पूरे उत्तराखण्ड में फैलानी चाहिए। अतः स्वामी रामतीर्थ के निर्वाण दिवस के अवसर पर उन्होंने उत्तराखण्ड की पदयात्रा शुरू कर दी। स्वामी रामतीर्थ ने दीपावली के अवसर पर टिहरी के समीप सिमलासू के नीचे भिलंगना नदी में जल-समाधि ले ली थी। सुंदर लाल बहुगुणा ने 25 अक्टूबर सन् 1973 को सिमलासू से अपनी पदयात्रा शुरू की। उनकी पदयात

जो एक सौ बीस दिनों तक उत्तराखण्ड में घूमते रहे
जब चिपको आन्दोलन के गर्भपात की नौबत आयी
जानिए क्यों चिपको आन्दोलन महिलाओं के एक बड़ी चुनौती बन गया Posted on 26 Mar, 2024 11:37 AM

जनवरी, 1979 को सुन्दरलाल बहुगुणा ने हिमालय के वनों को संरक्षित वन घोषित करवाने के लिए 24 दिनों का उपवास किया था। लिहाजा उत्तर-प्रदेश सरकार ने फरवरी के अन्तिम सप्ताह में नये शासनादेश जारी कर हरे पेड़ों की कटाई पर पूर्ण पाबंदी लगा दी। सो गाँव वालों को निःशुल्क और पी. डी.

जब चिपको आन्दोलन के गर्भपात की नौबत आयी
नैनीताल भू-स्खलन: विशेष सिविल अधिकारी की रिपोर्ट
जानिए वर्ष में 1880 में नैनीताल में आये भू-स्खलन की विशेष सिविल अधिकारी की रिपोर्ट में क्या विशेष है Posted on 02 Mar, 2024 03:24 PM

शेर-का-डांडा पहाड़ी के 18 सितंबर, 1880 के भू-स्खलन के बाद इस क्षेत्र में तैनात विशेष सिविल अधिकारी मिस्टर एच. सी. कोनीबीयरे, ( ई.एस.क्यू.सी. एस.) ने 11 अक्टूबर, 1880 को नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस एण्ड अवध के सचिव को भू-स्खलन के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी। इस रिपोर्ट का हिन्दी भावार्थ निम्न प्रकार थाः-

नैनीताल भू-स्खलन विशेष सिविल अधिकारी की रिपोर्ट
नैनीताल उत्तराखण्ड के लिए एक धरोहर के रूप में
जाने उत्तराखण्ड का खूबसूरत शहर नैनीताल के भूगोल, पेड़-पौधे ,वनस्पति और वन्य जीव एवं जंतु के बारे में
Posted on 01 Mar, 2024 12:16 PM

नैनीताल की झील बाहरी हिमालय में मेन बाउन्ड्री थ्रस्ट के करीब स्थित प्रकृति की दुर्लभ रचना है। सात ऊँची पर्वत श्रृंखलाओं से घिरे नैनीताल की भू-आकृति कटोरानुमा है। नैनीताल, पट्टी / परगना छःखाता के अन्तर्गत आता है। छःखाता शब्द संस्कृत का अपभ्रंश है। छःखाता का भावार्थ है- 60 झीलों वाला क्षेत्र। जिसमें से नैनीताल, भीमताल, सातताल, नौकुचियाताल, मलुवाताल, खुर्पाताल, सरियाताल और बरसाती झील सूखाताल आदि श

नैनीताल उत्तराखण्ड के लिए एक धरोहर के रूप में
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