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उत्तराखंड
वर्षा आधारित पर्वतीय कृषि और जल संकटः एक चुनौती
Posted on 13 Jun, 2024 08:11 AMतेज ढलानों और पेचीदा भौगोलिक संरचना के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में वर्षा के पानी को भूजल में संचय के साथ सतही वर्षा जल को रोकना चुनौतीपूर्ण कार्य है। प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित दोहन, संरक्षण का अभाव, अनियोजित शहरीकरण तथा बढ़ती जनसंख्या का दबाव पर्वतीय क्षेत्रों में जल संकट के प्रमुख कारण हैं। वनों में भीषण आग हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण कारण है। प्राकृतिक झरने, नौल
![पर्वतीय कृषि में प्लास्टिक पोंड](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-06/polypond.png?itok=muAtzLZy)
प्रकृति का अनुपम उपहार हैं पहाड़ी नौले-धारे
Posted on 11 Jun, 2024 08:31 AMपेयजल के भरोसेमंद स्रोत नौला मनुष्य द्वारा विशेष प्रकार के सूक्ष्म छिद्र युक्त पत्थर से निर्मित एक सीढ़ीदार जल भण्डार है, जिसके तल में एक चौकोर पत्थर के ऊपर सीढ़ियों की श्रृंखला जमीन की सतह तक लाई जाती है। सामान्यतः तल पर कुंड की लम्बाई- चौड़ाई 5 से 8 इंच तक होती है, और ऊपर तक लम्बाई-चौड़ाई बढ़ती हुई 4 से 8 फीट (लगभग वर्गाकार) हो जाती है। नौले की कुल गहराई स्रोत पर निर्भर करती है। आम तौर पर गहर
![प्रतिकात्मक तस्वीर](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-06/naturl-water-springs.jpg?itok=nJ0NQtdh)
टिहरी डैम - अब तक
Posted on 05 Apr, 2024 04:49 PMमेरा, 74 दिनों का उपवास, जो मैंने भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री नरसिम्हा राव द्वारा मुझको दिये हुए वचन से मुकरने के विरोध में रखा था, श्री एच. डी.
![टिहरी डैम,Pc-wikipedia](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-04/Tehri_dam.jpg?itok=O_mjtB6K)
हिमालय बचाओ आन्दोलन-घोषणापत्र
Posted on 05 Apr, 2024 01:02 PMआक्रमण विकास नीति ने हिमालय में 'प्रकृति एवं मानव' दोनों के लिए जिन्दा रहने का संकट पैदा कर दिया है। इससे केवल इस क्षेत्र में रहने वाले ही त्रस्त नहीं हैं, बल्कि इससे भी दस गुने लोगों पर हिमालय की तबाही का विनाशकारी प्रभाव, बाढ़, भूक्षरण और सूखे के रूप में पड़ रहा है।
![हिमालय बचाओ आन्दोलन-घोषणापत्र](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-04/Him_0.jpeg?itok=alFvFpXr)
मेरा प्रार्थनामय उपवास : सुन्दरलाल बहुगुणा
Posted on 05 Apr, 2024 11:32 AMस्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती के वर्ष में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के शुभ दिन पर राष्ट्र और करोड़ों लोगों के जीवन को असुरक्षित बनाने, आर्थिक दृष्टि से दिवालिया, सामाजिक दृष्टि से विषमता और विघटन बढ़ाने, पर्यावरणीय तबाही लाने और हमारी संस्कृति और आस्थाओं को कुचलने वाले टिहरी बांध के मौजूदा स्वरूप को कायम रखने की हठधर्मी को उजागर करने के लिए मैंने उपवास करने का निश्चय किया है।
![सुन्दरलाल बहुगुणा,Pc-Wikipedia](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-04/The_President%2C_Smt._Pratibha_Devisingh_Patil_presenting_Padma_Vibhushan_Award_to_Shri_Sunderlal_Bahuguna_at_the_Civil_Investiture_Ceremony%2C_at_Rashtrapati_Bhavan%2C_in_New_Delhi_on_April_14%2C_2009.jpg?itok=7NThB6UM)
निर्माणाधीन टिहरी बांध में भूकंपीय खतरे और भ्रष्टाचार
Posted on 04 Apr, 2024 11:46 AMटिहरी बाँध में जो समस्या है, उसके संबंध में सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। कितने ही खतरे वहाँ पर बांध बनाने में हैं। पूरा उत्तर प्रदेश और यह क्षेत्र भी जल-प्लावन में इससे जा सकता है, यदि भूकंप और भूचाल आए। रशियन एक्सपर्टस ने इसकी एक रिपोर्ट भी दी थी, परन्तु उसके ऊपर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।सुन्दर लाल बहुगुणा, देश में एक विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे कई दफे भूख हड़ताल पर बैठे।
![निर्माणाधीन टिहरी बांध में भूकंपीय खतरे और भ्रष्टाचार](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-04/tehri%20dam.jpeg?itok=rYu-7d0D)
जो एक सौ बीस दिनों तक उत्तराखण्ड में घूमते रहे
Posted on 26 Mar, 2024 03:10 PMमण्डल और फाटा में चिपको आन्दोलन शुरू हुआ, ती सुन्दर लाल बहुगुणा को लगा कि यह बात पूरे उत्तराखण्ड में फैलानी चाहिए। अतः स्वामी रामतीर्थ के निर्वाण दिवस के अवसर पर उन्होंने उत्तराखण्ड की पदयात्रा शुरू कर दी। स्वामी रामतीर्थ ने दीपावली के अवसर पर टिहरी के समीप सिमलासू के नीचे भिलंगना नदी में जल-समाधि ले ली थी। सुंदर लाल बहुगुणा ने 25 अक्टूबर सन् 1973 को सिमलासू से अपनी पदयात्रा शुरू की। उनकी पदयात
![जो एक सौ बीस दिनों तक उत्तराखण्ड में घूमते रहे](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-03/Chipko%20andolan.jpg?itok=JkfFBw8q)
जब चिपको आन्दोलन के गर्भपात की नौबत आयी
Posted on 26 Mar, 2024 11:37 AMजनवरी, 1979 को सुन्दरलाल बहुगुणा ने हिमालय के वनों को संरक्षित वन घोषित करवाने के लिए 24 दिनों का उपवास किया था। लिहाजा उत्तर-प्रदेश सरकार ने फरवरी के अन्तिम सप्ताह में नये शासनादेश जारी कर हरे पेड़ों की कटाई पर पूर्ण पाबंदी लगा दी। सो गाँव वालों को निःशुल्क और पी. डी.
![जब चिपको आन्दोलन के गर्भपात की नौबत आयी](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-03/clean%20water%20Mangement.jpeg?itok=5k6Bf_jg)
नैनीताल भू-स्खलन: विशेष सिविल अधिकारी की रिपोर्ट
Posted on 02 Mar, 2024 03:24 PMशेर-का-डांडा पहाड़ी के 18 सितंबर, 1880 के भू-स्खलन के बाद इस क्षेत्र में तैनात विशेष सिविल अधिकारी मिस्टर एच. सी. कोनीबीयरे, ( ई.एस.क्यू.सी. एस.) ने 11 अक्टूबर, 1880 को नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस एण्ड अवध के सचिव को भू-स्खलन के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी। इस रिपोर्ट का हिन्दी भावार्थ निम्न प्रकार थाः-
![नैनीताल भू-स्खलन विशेष सिविल अधिकारी की रिपोर्ट](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-03/Nainitial.jpeg?itok=tePVGB6Z)
नैनीताल उत्तराखण्ड के लिए एक धरोहर के रूप में
Posted on 01 Mar, 2024 12:16 PMनैनीताल की झील बाहरी हिमालय में मेन बाउन्ड्री थ्रस्ट के करीब स्थित प्रकृति की दुर्लभ रचना है। सात ऊँची पर्वत श्रृंखलाओं से घिरे नैनीताल की भू-आकृति कटोरानुमा है। नैनीताल, पट्टी / परगना छःखाता के अन्तर्गत आता है। छःखाता शब्द संस्कृत का अपभ्रंश है। छःखाता का भावार्थ है- 60 झीलों वाला क्षेत्र। जिसमें से नैनीताल, भीमताल, सातताल, नौकुचियाताल, मलुवाताल, खुर्पाताल, सरियाताल और बरसाती झील सूखाताल आदि श
![नैनीताल उत्तराखण्ड के लिए एक धरोहर के रूप में](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-03/Nainital%20dhrohar%20.jpeg?itok=BMcRjQiS)