उज्जैन जिला

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मालवा में रेगिस्तान
Posted on 20 Jan, 2010 02:39 PM भारतीय मनीषियों ने हजारों वर्षों से चिंतन– मनन के बाद जलसंचय की विश्वसनीय संरचनायें विकसित की थीं। यह सारी व्यवस्था समाजाधारित थी और इसके केन्द्र में था स्थानीय समुदाय। पिछली लगभग दो शताब्दियों के दौरान इस व्यवस्था की उपेक्षा कर हमारे यहाँ नई प्रणाली पर जोर दिया गया। जिसमें संरचना की परिकल्पना से लेकर उसके निर्माण एवं रखरखाव में समाज का कोई सरोकार नहीं होता है।
डग-डग डबरी
Posted on 20 Jan, 2010 10:04 AM

उज्जैन जिला लगातार तीन वर्षों से सूखे की मार झेल रहा है। पीने के पानी के लिए हाहाकार की स्थिति निर्मित हो जाती है। बेचारे किसानों के सामने तो रबी फसलों के लिए पानी का इतंजाम कैसे करें? यह समस्या आन पड़ती है। जिले में 150 फिट की गहराई का पानी समाप्त हो चुका है। कहीं-कहीं तो 500-600 फिट पर भी पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है। अनेक किसान नलकूप से पानी प्राप्त करने की चाहत में कर्ज से लद गए। लेकिन उन्हें पानी नसीब नहीं हुआ। ऐसे अनेक किसान जमीन और नलकूप के मालिक होने के बाद भी मजदूरी कर इस कर्ज को पटा रहे हैं।

dabri
वर्षा जल संग्रहण से संकट टला
Posted on 28 Dec, 2009 01:03 PM मध्य प्रदेश में उज्जैन से 70 किलोमीटर की दूरी पर बालोदा लाखा नामक एक गांव है, जहां के ग्रामवासियों ने अपने गांव में पानी की समस्या खुद दूर कर ली है। गांववालों ने इसके लिए सामुदायिक जल प्रबंधन के दृष्टिकोण से काम करना शुरु किया, जिससे इस गांव में रौनक छा गई है।
पानी बचाइये, खुश होंगे महाकाल
Posted on 20 Jan, 2009 05:17 PM

भास्कर/ उज्जैन जिले में गहराते जलसंकट के बीच दैनिक भास्कर ने अपने सामाजिक सरोकारों के तहत जल सत्याग्रह का शुभारंभ महाकाल की पूजा के साथ किया। इस अभियान के तहत आम लोगों में जल चेतना तथा जल संरक्षण के प्रति जनजाग्रति के लिए भास्कर टीम के साथ राष्ट्रीय सेवा योजना व अन्य स्कूलों के विद्यार्थियों ने शरीर पर सिर्फ तौलिया धारणकर हाथ में जल बचाओ के संदेश लिखी तख्तियों को उठाए लोगों कों अनूठे अंदाज में

भास्कर का अभियान
फ्लोराइड का जहर बच्‍चों में विकलांगता
Posted on 02 Aug, 2010 08:34 AM ग्राम बाकोड़ी में हैंडपंप से निकले पानी की किसी ने जांच नहीं की और
जलाभिषेक अभियान से मध्य प्रदेश की 130 नदियों को नवजीवन देने की कोशिश
Posted on 28 Apr, 2010 07:12 PM मध्य प्रदेश सरकार के प्रदेशव्यापी जलाभिषेक अभियान के तहत सभी 50 जिलों की लगभग 130 ऐसी नदियों और नालों को चिन्हांकित किया गया है जो कभी अपने स्थान विशेष के जीवन रेखा होती थी और अब वे सूखी हो गयी हैं। इन सभी नदियों को प्रदेश में चल रहे जलाभिषेक अभियान के तहत युद्ध स्तर पर पुनर्जीवित करने का कार्य सामूहिक सहभागिता से किया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने इसकी शुरूआत रतलाम के जामण नदी से की।
तीन दिन में बना दिया स्टॉपडेम
Posted on 10 Mar, 2010 10:09 AM
उज्जैन, शाजापुर. ‘कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो’ कवि दुष्यंत की इन पंक्तियों को ग्राम सतगांव एवं बायड़ा के किसानों ने चरितार्थ कर दिखाया है। उन्होंने आर्थिक मदद के लिए प्रशासन के आगे हाथ फैलाए बिना ही चीलर नदी पर महज 3 दिन में 150 फीट चौड़ा और 20 फीट ऊंचा स्टॉपडेम बना दिया।
ऐसे किया जा सकता है जल संग्रहण
Posted on 30 Jan, 2010 09:48 AM सर्वत्र सुगमता से प्राप्त होने के कारण भूजल आदिकाल से सभी की आवश्यकताओं की पूर्ति का प्रमुख स्रोत रहा है। सूखा एवं अकाल के समय यह स्रोत प्रमुख रूप से उपयोगी रहता है। साधारणतः भूजल रोगाणुरहित होने से पाने योग्य जल का सर्वोत्तम स्रोत है। ग्रामीण क्षेत्रों में 90 प्रतिशत से अधिक पेयजल स्रोत भूजल पर ही आधारित होते हैं। 50 से 80 प्रतिशत तक सिंचाई संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति भी इसी स्रोत द्वारा की जाती
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