उज्जैन जिला

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प्राचीनतम नदी क्षिप्रा को प्रदूषण मुक्त बनाने की रूपरेखा तैयार
Posted on 24 Oct, 2014 12:01 PM मध्यप्रदेश के उज्जैन में वर्ष 2016 में होने वाले सिंहस्थ महापर्व के मद्देनजर देश की सबसे प्राचीनतम नदियों में से एक क्षिप्रा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के प्रयासों में तेजी लाई जाएगी। सबसे प्राचीन ग्रंथ स्कंद पुराण में रेखांकित करते हुए लिखा गया है कि (नास्ति वास मही पृष्ठे क्षिप्राया सदृश नदी) यानी कि इसके स्मरण मात्र से मनुष्य के जन्म जमांतर के पापों का ना
जल संरक्षण के साथ-साथ जल बचत भी आवश्यक...
Posted on 09 Oct, 2014 09:19 AM उज्जैन नगर को जलप्रदाय करने अर्थात इसकी प्यास बुझाने का एकमात्र स्रोत है यहाँ से कुछ दूरी पर बना हुआ बाँध जो 1992 वाले कुम्भ के दौरान गंभीर नदी पर बनाया गया था। उल्लेखनीय है कि गंभीर नदी, चम्बल नदी की सहायक नदी है, जो कि नर्मदा नदी की तरह वर्ष भर “सदानीरा” नहीं रहती उज्जैन नगर को जलप्रदाय करने अर्थात इसकी प्यास बुझाने का एकमात्र स्रोत है यहाँ से कुछ दूरी पर बना हुआ बाँध जो 1992 वाले कुम्भ के दौरान गंभीर नदी पर बनाया गया था। उल्लेखनीय है कि गंभीर नदी, चम्बल नदी की सहायक नदी है, जो कि नर्मदा नदी की तरह वर्ष भर “सदानीरा” नहीं रहती आधुनिक युग में जैसा कि हम देख रहे हैं, प्रकृति हमारे साथ भयानक खेल कर रही है, क्योंकि मानव ने अपनी गलतियों से इस प्रकृति में इतनी विकृतियाँ उत्पन्न कर दी हैं, कि अब वह मनुष्य से बदला लेने पर उतारू हो गई है। केदारनाथ की भूस्खलन त्रासदी हो, या कश्मीर की भीषण बाढ़ हो, अधिकांशतः गलती सिर्फ और सिर्फ मनुष्य के लालच और कुप्रबंधन की रही है। इस वर्ष की मीडिया चौपाल, नदी एवं जल स्रोत संरक्षण विषय पर आधारित है।

नदियों को जोड़ने की दिशा में बढ़े कदम
Posted on 29 Apr, 2014 09:52 AM बाढ़ और सुखाड़ की समस्या के समाधान और शहरों तक पर्याप्त मात्रा में पानी पहुंचाने के नाम पर नदियों की परियोजना का ताना-बाना पिछले कई दशकों से बुना जा रहा है। पिछले दिनों इस दिशा में पहली कामयाबी तब मिली, जब मध्य प्रदेश में नर्मदा और क्षिप्रा नदियों को जोड़ने का काम पूरा कर लिया गया। हालांकि पर्यावरणविद् शुरू से ही नदियों को आपस में जोड़ने या उसके प्राकृतिक बहाव में किसी तरह के कृत्रिम व्यवधान को
Narmada Shipra river linking
नर्मदा के पानी से मिलेगा क्षिप्रा को नया जीवन
Posted on 13 May, 2013 11:57 AM क्षिप्रा अब साल भर भी नहीं बहती है। इस नदी के तट पर जगह-जगह अतिक्रम
मालवा के ग्रामीण तालाब और उनका स्वरूप
Posted on 16 Aug, 2012 10:09 AM

तालाब बनाने के लिए यों तो दसों दिशाएँ खुली है, फिर भी जगह का चुनाव करते समय कई बातों का ध्यान रखा जाता है, जैसे

शिप्रा का पुनरुद्धार
Posted on 09 Aug, 2011 12:22 PM

शिप्रा को मालव गंगा भी कहा गया है। उत्तर दिशा में बहने के कारण इसे उत्तरवाहिनी भी कहा जाता है, जो धर्म-कर्म के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण मानी जाती है। शिप्रा में स्नान करने से मोक्ष प्राप्ति की मान्यता अनादिकाल से रही है, किन्तु आज शिप्रा खोजती है, स्वयं का मोक्ष का मार्ग। क्योंकि आज शिप्रा का अस्तित्व समाप्त हो रहा है। शिप्रा एक बरसाती नदी के रूप में या एक गंदे नाले के रूप में परिवर्तित ह

प्रदेश सरकार की योजनाओं पर मारा करारा तमाचा
Posted on 05 Aug, 2011 11:03 AM

मदर इंडिया ने अपने परिश्रम से बनाया तालाब


जहां एक ओर राज्य सरकार बलराम सरोवर के नाम पर करोड़ो रूपैया पानी में बहा चुकी है वहीं दुसरी ओर एक मां ने सरकारी योजनाओं को ठेंगा दिखा कर अपने परिश्रम के बल पर नरगीस और सुनीलदत्त की मदर इंडिया की याद ताजा कर दी।

उज्जैन/ उन्हेल(मध्यप्रदेश) यूएफटी न्यूज: मध्यप्रदेश के एक छोटे से गांव उन्हेल की एक मां ने मदर इंडिया की मिसाल कायम की है। मां ने अपने सगे बेटे के साथ मिलकर बिना सरकारी आश लगाए लगातार तीन साल सूखे की मार झेलने के बाद खुद का तालाब बनाने का संकल्प लिया। उन्होंने यह संकल्प 12 बीघा जमीन बेचकर और पांच लाख रुपए कर्ज लेकर पूरा कर दिखाया। दुर्गाबाई और उनके बेटे 29 वर्षीय भेरुलाल गाजी ने सरवना उन्हेल स्थित अपनी कृषि भूमि पर नौ बीघा में दो तालाब बनाए हैं।

शिप्रा पर एक पर्यावरणीय चिन्तन
Posted on 26 Feb, 2010 04:30 PM भौतिक विकास की अंधी दौड़ से न केवल भारत का वरन् सम्पूर्ण विश्व का पर्यावरण आज असंतुलित हो रहा है। भौतिक विकास की अदम्य लालसा ने व्यक्ति को अत्यधिक स्वार्थी एवं विवेकशून्य बना दिया है। भौतिक सुख की वेदी पर आज व्यक्ति अपने भविष्य की आहुति खुशी-खुशी दे रहा है। यह है व्यक्ति की विवेक शून्यता की उच्चावस्था। व्यक्ति को आज चिन्ता है केवल स्वार्थ पूर्ति की-उसका सिद्धान्त बन गया है – “यावत् जीवेत् सुखं
मालवा की गंगा-शिप्रा
Posted on 26 Jan, 2010 08:56 AM मालवा से प्रकट होकर मालवा में ही आत्मसमर्पित हो जाने वाली नदियों में शिप्रा का नाम अग्रणी है। मालवा के दणिक्ष में विन्ध्य की श्रेणियों के क्षेत्र से प्रकट होती है। शिप्रा और मालवा के मध्योत्तर में चम्बल में यह विलीन हो जाती है। यही नदीं वह तो प्राचीन पूर्व में कालीसिन्ध से उत्तर-पश्चिम में मन्दसौर और दक्षिण में नर्मदा तक व्यापक था। शिप्रा तो नर्मदा से पर्याप्त उत्तर में मालवा के पठार के दक्षिणी सि
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