नदियां

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नर्मदा अंचल की मिट्टियाँ
Posted on 22 Sep, 2009 12:14 PM
मिट्टी सदियों में बनती है, इसका नदियों में बह जाना अच्छी बात नहीं है। मिट्टी का बनना एक अत्यंत धीमी प्राकृतिक प्रक्रिया है । उपजाऊ मिट्टी खोना मूल्यवान संपत्ति खोने जैसा ही है क्योंकि इसी पर हमारी कृषि और अर्थव्यवस्था आधारित है । नर्मदा अंचल में पाई जाने वाली मिट्टियाँ इस अंचल की समृद्धि का आधार हैं । परन्तु वनों का घनत्व कम होते जाने और भू-क्षरण के नियंत्रण पर जरूरत से काफी कम ध्यान दे पाने के का
एक मरती हुई नदी गोमती
Posted on 08 Sep, 2009 08:29 AM
गोमती नदीजब आसमान में बाद
दिल्ली की यमुना में भूजल को बचाने की एक योजना
Posted on 02 Sep, 2009 09:20 AM

बाढ़जनित जलभरण क्षेत्रों द्वारा प्राकृतिक भूजल को बड़े पैमाने पर संरक्षित करने की एक योजना

उत्तराखंड की काली गंगा
Posted on 30 Aug, 2009 06:21 PM

पिथौरागढ़ जिले में एक नदी बहती है जिसे काली गंगा भी कहा जाता है। इस नदी को शारदा नदी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता कि देवी काली के नाम से इसका नाम काली गंगा पड़ा। काली नदी का उद्गम स्थान वृहद्तर हिमालय में ३,६०० मीटर की ऊँचाई पर स्थित कालापानी नामक स्थान पर है, जो भारत के उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में है। इस नदी का नाम काली माता के नाम पर पड़ा जिनका मंदिर कालापानी में लिपु-लेख
उत्तर बिहार की नदियों को बचाना होगा
Posted on 21 Aug, 2009 02:48 PM

उत्तर बिहार होकर बहने वाली पतित पावनी गंगा हो या वरदायिनी बूढ़ी गंडक, मैया कमला हो या माता सीता की नगरी होकर बहने वाली बागमती-लखनदेई, किसी का पानी पीने लायक नहीं रहा।

पहाड़ों के सिल्ट से भरी उत्तर बिहार की ये नदियां कचरा निष्पादन का आसान माध्यम बनी हुई हैं। प्रदूषण से इनकी कलकल करती धाराओं का रंग तक बदरंग हो चुका है, पर नियंत्रण के कहीं कोई उपाय नहीं किये जा रहे हैं।

हर समाज के लिए नदी एक संस्कृति है
Posted on 18 Aug, 2009 01:22 PM

नदी की प्रकृति है उसका प्रवाह। निरंतर बहते रहना ही नदी में जीवन का संचार करता है। नदी का अस्तित्व इस प्रवाह से ही है। नदी के किनारे एकाग्रचित्त होकर बैठिए और कल-कल बहते पानी को निहारिए। आपको लगेगा मानो वह कोई संदेश दे रहा है। जैसे नदी निरंतर बहती रहती है, आगे बढ़ती रहती है; वैसे ही जीवन में भी प्रवाह बना रहना चाहिए। जीवन थककर या हारकर रुकने में नहीं है; बल्कि निरंतर आगे बढ़ते रहने में है।
इटावा में यमुना
Posted on 30 Jul, 2009 07:23 AM

यमुना नदी के जल को कभी राजतिलक करने के काम में प्रयोग किया जाता था आज उसी यमुना नदी के जल को कोई छूना भी पसन्द नहीं कर रहा है वजह साफ है कि यमुना नदी इतनी प्रदूषित हो चुकी है कि वह एक नदी न होकर कचरे का नाला बनकर रह गयी है, धार्मिक नदी का दर्जा पाये यमुना नदी के इस हाल के लिये असल में जिम्मेदार हैं कौन?
मालवा की प्रमुख नदियाँ
Posted on 25 Jul, 2009 09:05 PM
मालवा में प्रवाहित होने वाली विभिन्न नदियों का यहाँ की सामाजिक, धार्मिक व आर्थिक जीवन में विशेष महत्व रहा है। कुछ नदियाँ बड़ी है, जैसे चंबल, काली सिंधु, शिप्रा, पार्वती, बेतवा, माही व नर्मदा। उनकी सहायक नदियों से पूरे क्षेत्र में सिचाई की सुविधा मिल जाती है। चम्बल तथा उसकी सहायक नदियाँ, काली सिंध तथा पार्वती मिलकर, चंबल के निम्न हिस्से में एक त्रिभुजाकार जलोढ़ बेसिन बनाती है, जो वर्तमान में राणा प
सोनीपत और बागपत यमुना खादर में पानी नहीं
Posted on 19 Jul, 2009 09:44 AM
करोड़ों वर्षों का मिथक टूटा गया कि यमुना की धार को कोई रोक नहीं सकता। किसी भी नदी के पारिस्थतिकीय सन्तुलन को बनाये रखने के लिए पर्यावरणीय प्रवाह बनाये रखने की नितान्त आवश्यकता होती है। 14 मई 1999 के एक फैसले में उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया था कि यमुना को पारिस्थितिक प्रवाह की जरूरत है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रति सेकंड 353 cusecs का एक न्यूनतम प्रवाह नदी में होना ही चाहिए। हरियाणा, हिमाचल
गंगा मैया से ज्यादा शुद्ध है नर्मदा जल
Posted on 15 Jul, 2009 09:00 AM
होशंगाबाद, मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा का जल गंगाजल से भी ज्यादा शुद्ध है। इस तथ्य का खुलासा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट में हुआ है। नर्मदा के पानी में घुलित आक्सीजन का निम्मतम स्तर गंगा नदी से काफी ज्यादा है, इस कारण नदियों की ग्रेडिंग में नर्मदा को बी और गंगा को सी ग्रेड दी गई है। बोर्ड विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जल की मासिक सेंपलिंग कर उसका परीक्षण करता है।
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