नदियां

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महोबा की नदियों को भगीरथ का इंतजार
Posted on 13 Jul, 2009 12:19 PM

महोबा। कभी जिले की भाग्य रेखा बनकर बहने वाली छह नदियां अपने अमृतमयी जल से लाखों लोगों की प्यास बुझाने के साथ ही लाखों एकड़ कृषि भूमि और वृहद वन क्षेत्र सिंचित करती थीं। लेकिन आज वही नदियां अपना अस्तित्व बचाने को कराह रही हैं। महोबा के लोगों को जीवन देने वालीं इन नदियों को अब किसी भगीरथ की तलाश है।
सरस्वती को धरती पर लाने की कवायद
Posted on 10 Jul, 2009 09:35 PM
हरियाणा में आदि अदृश्य नदी सरस्वती को फिर से धरती पर लाने की कवायद शुरू कर दी गई है। इसके लिए राज्य के सिंचाई विभाग ने सरस्वती की धारा को दादूपुर नलवी नहर का पानी छोड़ने की योजना बनाई है। देश के अन्य राज्य में भी इस पर काम चल रहा है। अगर यह महती योजना सिरे चढ़ जाती है तो इससे हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के तकरीबन 20 करोड़ लोगों की काया पलट जाएगी। इस नदी से जहां राज्यों के लोगों को पीने का पानी उपल
सरस्वती नदी व प्राचीनतम सभ्यता
Posted on 04 Jul, 2009 09:48 AM

आज सिंधु घाटी की सभ्यता प्राचीनतम सभ्यता जानी जाती है। नाम के कारण इसके शोध की दिशा बदल गयी। वास्तव में यह सभ्यता एक बहुत बड़ी सभ्यता का अंश है, जिसके अवशिष्ट चिन्ह उत्तर में हिमालय की तलहटी (मांडा) से लेकर नर्मदा और ताप्ती नदियों तक और उत्तर प्रदेश में कौशाम्बी से गांधार (बलूचिस्तान) तक मिले हैं। अनुमानत: यह पूरे उत्तरी भारत में थी। यदि इसे किसी नदी की सभ्यता ही कहना हो तो यह उत्तरी भारत की नद

सरस्वती क्यों न बही
Posted on 20 Jan, 2009 10:13 AM

....और सरस्वती क्यों न बही अब तक?


वैज्ञानिक प्रमाण, पुरातात्विक तथ्य
1996 में 'इन्डस-सरस्वती सिविलाइजेशन' नाम से जब एक पुस्तक प्रकाश में आयी तो वैदिक सभ्यता, हड़प्पा सभ्यता और आर्यों के बारे में एक नया दृष्टिकोण सामने आया। इस पुस्तक के लेखक सुप्रसिध्द पुरातत्वविद् डा. स्वराज्य प्रकाश गुप्त ने पहली बार हड़प्पा सभ्यता को सिंधु-सरस्वती सभ्यता नाम दिया और आर्यों को भारत का मूल निवासी सिद्ध किया।

saraswati river
ये अमृत की खान है..
Posted on 11 Dec, 2008 10:03 AM

जय द्विवेदी/अभिषेक/भास्कर न्यूज, इंदौर। खान नदी.. या खान नाला.. शहर के लोग लंबे समय से इस सवाल से जूझ रहे हैं। यह नदी प्राकृतिक ही नहीं शहर की सांस्कृतिक विरासत है, जिसके घाट कई ऐतिहासिक, सामाजिक और धार्मिक घटनाओं के साक्षी रहे हैं। इसका पानी लोगों के साथ खेतों की भी प्यास बूझाता था। भूजल स्तर को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका थी लेकिन अब नदी अस्तित्व खो चुकी है। 1985 से इसे पुनर्जीवित करने की

नदियों में प्रदूषण के स्रोत
Posted on 29 Nov, 2008 06:01 PM (1) गंगा अथवा ऐसी किसी भी नदी के प्रदूषण के स्रोतों को दो प्रकार की श्रेणियों में बांटा जा सकता है :

( (अ) पाइंट स्रोत -
ये प्रदूषण के ऐसे संगठित स्रोत हैं जहां प्रदूषण के भार को मापा जा सकता है जैसे - औद्योगिक कचरा और म्यूनिसिपल सीवेज बहाकर लाने वाले नाले, सीवेज पम्पिंग स्टेशन और सीवेज सिस्टमस्, उद्योगों से व्यापारिक कचरा आदि।
नदियों का वर्गीकरण
Posted on 29 Nov, 2008 05:44 PM

अन्तर्देशीय सतही जल का प्रयोग के आधार पर वर्गीकरण

देश के आन्तरिक भागों में उपलब्ध सतही जल को प्रयोग के आधार पर पांच श्रेणियों में बांटा गया है- ए, बी, सी, डी और ई।

गंगा अब 'राष्ट्रीय नदी'
Posted on 05 Nov, 2008 09:36 AM

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि गंगा को जल्द ही 'राष्ट्रीय नदी' का दर्जा प्राप्त हो जाएगा। गंगा भारतीयों के मन और दिलों में है, समय आ गया है कि 'गंगा के भावनात्मक कड़ी होने की मान्यता को' पहचाना जाए।

फोटो साभार - हिन्दू
नदी सुखा दी
Posted on 16 Oct, 2008 07:30 AM दिनेश शर्मा / भास्कर
राजस्थान की नदियां
Posted on 13 Oct, 2008 10:50 AM

- राहुल तनेगारिया

१) चम्बल नदी -

इस नदी का प्राचीन नाम चर्मावती है। कुछ स्थानों पर इसे कामधेनु भी कहा जाता है। यह नदी मध्य प्रदेश के मऊ के दक्षिण में मानपुर के समीप जनापाव पहाड़ी (६१६ मीटर ऊँची) के विन्ध्यन कगारों के उत्तरी पार्श्व से निकलती है। अपने उदगम् स्थल से ३२५ किलोमीटर उत्तर दिशा की ओर एक लंबे संकीर्ण मार्ग से तीव्रगति से प्रवाहित होती हुई चौरासीगढ़ के समीप राजस्थान में प्रवेश करती है। यहां से कोटा तक लगभग ११३ किलोमीटर की दूरी एक गार्ज से बहकर तय करती है। चंबल नदी पर भैंस रोड़गढ़ के पास प्रख्यात चूलिया प्रपात है। यह नदी

माही नदी
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