नैनीताल जिला

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नैनीताल में बसावट शुरु होते ही भू-स्खलन
जानिए नैनीताल में बसावट शुरु होने के महज 25 साल बाद भू-स्खलन क्यों हुआ Posted on 01 Mar, 2024 05:19 PM

ब्रिटिश हुक्मरान नैनीताल में अधिसंरचनात्मक सुविधाओं के प्रबंध में जुटे ही थे कि बसावट शुरु होने के महज 25 साल बाद अगस्त 1867 में मल्लीताल के पॉपुलर स्टेट में भू-स्खलन हो गया। इस भू-स्खलन में विक्टोरिया होटल का नव निर्मित एक कॉटेज दब गया था। विक्टोरिया होटल के पास स्थित पुलिया में एक हिन्दुस्तानी की मृत्यु हो गई थी। इस भू-स्खलन ने अंग्रेजों को नैनीताल की क्षण भंगुर पारिस्थितिक तंत्र की इत्तला दे

नैनीताल में बसावट शुरु होते ही भू-स्खलन
ओखलकांडा के 'वाटर हीरो' पर्यावरण से ऐसा प्रेम कि जंगलों को लौटा दी हरियाली 
नयाल जी कहते हैं पेड़ पौधों की बात करूं तो वर्तमान समय में हमने लगभग 58 हजार पेड़ पौधे हमने स्वयं से लगा दिए हैं, वैसे हम फल के पौधे भी गाँव वालों को वितरित करते हैं। लगभग 60 हजार से अधिक पौधे हम लोगों को वितरित कर चुके हैं और हम खुद की नर्सरी भी तैयार करते हैं। उसके बाद अपनी आजीविका के रूप में उनका कुछ न कुछ बच जाता है। Posted on 05 Oct, 2023 12:20 PM

जंगलों में पेड़ काटने की घटनायें तो आम हैं, लेकिन जंगलों को उनकी हरियाली लौटा देना, ऐसी मिसाल कम ही दिखती है। उत्तराखण्ड के वाटर हीरो या पर्यावरण प्रेमी के नाम से मशहूर चंदन सिंह नयाल ने बिना किसी सरकारी मदद के पर्यावरण संरक्षण का शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया है।

ओखलकांडा के वाटर हीरो,PC- द पहाड़ी एग्रीकल्चर
खेती के नए स्वरुप को अपना रहे हैं पहाड़ों के किसान
वर्तमान समय में सभी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन का असर किसी न किसी रूप में देखने को मिल रहा है. चाहे वह बढ़ता तापमान हो, उत्पादन की मात्रा में गिरावट की बात हो, जल स्तर में गिरावट हो या फिर ग्लेशियरों के पिघलने इत्यादि सभी जगह देखने को मिल रहे हैं. जलवायु में होने वाले बदलावों ने सबसे अधिक कृषक वर्ग को प्रभावित किया है Posted on 20 Jul, 2023 02:16 PM

वर्तमान समय में सभी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन का असर किसी न किसी रूप में देखने को मिल रहा है. चाहे वह बढ़ता तापमान हो, उत्पादन की मात्रा में गिरावट की बात हो, जल स्तर में गिरावट हो या फिर ग्लेशियरों के पिघलने इत्यादि सभी जगह देखने को मिल रहे हैं. जलवायु में होने वाले बदलावों ने सबसे अधिक कृषक वर्ग को प्रभावित किया है. चाहे वह मैदानी क्षेत्र के हो या फिर पर्वतीय क्षेत्र के किसान.

मशरूम के साथ मनोज बिष्ट,फोटो क्रेडिट:चरखा फीचर
नाले हुए पी.डब्ल्यू.डी. के हवाले
Posted on 20 Feb, 2020 03:00 PM

17 अगस्त, 1898 की वर्षा से नैनीताल के नालों और सड़कों को भी बहुत नुकसान पहुँचा। भारी वर्षा की वजह से ओकपार्क, लॉग

अतिक्रमण की जांच कर रिपोर्ट पेश करें
Posted on 20 Feb, 2020 11:54 AM

हाईकोर्ट ने सिडकुल रुद्रपुर के पास कल्याणी नदी के किनारे उत्तराखंड के राज्यपाल के नाम पर दर्ज सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर उसे बेचे जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार और सिडकुल प्रशासन को जांच कर रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 फरवरी की तिथि नियत की है।

अब रूठा बलियानाला
Posted on 20 Feb, 2020 10:41 AM

17 अगस्त, 1898 को बलियानाले के भू-स्खलन ने तबाही मचा दी। बलियानाले से लगे कैलाखान और दुर्गापुर क्षेत्र की पहाड़िय

क्रोस्थवेट अस्पताल नैनीताल
Posted on 12 Feb, 2020 04:06 PM

17 अक्टूबर, 1894 को नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस एण्ड अवध के लेफ्टिनेंट गवर्नर एंव चीफ कमिश्नर सर चार्ल्स एच.टी.क्रो

भू-स्खलन के बाद शुरू हुआ जाँच और सुरक्षा कार्यों का दौर
Posted on 09 Dec, 2019 12:42 PM

18 सितम्बर, 1880 के तुरन्त बाद औपनिवेशिक सरकार नैनीताल की पहाड़ियों की सुरक्षा को लेकर बेहद संवेदनशील हो गई। सरकार ने इस हादसे को ‘विपत्ति’ करार दिया। हादसे के ठीक चौथे दिन 22 सितम्बर, 1880 को नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस के लेफ्टिनेंट गवर्नर एवं चीफ कमिश्नर ने शेर-का-डांडा पहाड़ी की जाँच के लिए एक कमेटी बना दी। कुमाऊँ के तत्कालीन कमिश्नर लेफ्टिनेंट जनरल सर हैनरी रैमजे को इस जाँच कमेटी का अध्यक्ष

पहला आधुनिक कैथलिक गुरुकुल
Posted on 02 Dec, 2019 12:54 PM

एक नगर के रूप में नैनीताल की बसावट से भारत में राज करने में अंग्रेजों को बहुत मदद मिली। नैनीताल में ब्रिटिश राज क

नैनीताल
विकराल होती जंगल की आग
Posted on 30 May, 2019 10:50 AM

उत्तराखंड में वनों की आग बड़ी चुनौती बनती जा रही है। इस सीजन में विशेषकर कुमाऊं के अल्मोड़ा और नैनीताल में स्थिति ज्यादा भयावह है। वन विभाग के आंकड़ों पर ही गौर करें तो अल्मोड़ा में अब तक 515.7 और नैनीताल में 243.24 हेक्टेयर वन क्षेत्र राख हो चुके हैं।

धधकते जंगल।
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