नैनीताल जिला

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बाढ़, भूस्खलन और तबाही
Posted on 03 Aug, 2015 11:54 AM

उत्तराखंड के हृदय, गढ़वाल की तत्कालीन राजधानी श्रीनगर के प्रत्येक मकान को भूचाल से भारी क्षति प

हिमालय ने युद्ध छेड़ दिया है
Posted on 03 Aug, 2015 11:07 AM

तवाघाट क्षेत्र के लोगों को छोटी-मोटी सहायता पहुँचाकर मरहम पट्टी कर देना उस वास्तविकता को भुला द

विकास सिर्फ एक परिवार का होता है
Posted on 02 Aug, 2015 11:58 AM लोग जब तक यह महसूस नहीं करते या इसको महसूस कराने वाला कोई संगठन जब
कैसा होगा वह पर्वतीय राज्य
Posted on 02 Aug, 2015 11:45 AM हिन्दुस्तान की सम्पदा ने कभी फिरंगियों को आकर्षित किया था, यहाँ की
पृथक उत्तराखण्ड का आधार
Posted on 02 Aug, 2015 11:28 AM कश्मीर तथा हिमाचल अपने हैंडीक्राफ्ट के कारण प्रसिद्धि पा रहे हैं, ज
पृथक पर्वतीय राज्य : लड़ाई अनिवार्य है
Posted on 02 Aug, 2015 11:20 AM पर्वतीय राज्य की स्थापना की इच्छा पर्वतीय जनों की विकास की आकांक्षा
विभिन्न जनसंगठन करेंगे विकास की पैरवी, संयुक्त मंच का हुआ गठन
Posted on 25 Jul, 2015 01:46 PM जो लोग सदियों से वन बचाने के कार्य को अपने काम का एक हिस्सा मानते
Prem Pancholi
23-24 जून को उत्तराखण्ड विकास संवाद
Posted on 20 Jun, 2015 10:42 AM हिमालयी राज्यों के नागरिक संगठन, लम्बे अरसे से हिमालयी प्रदेशों के विकास की अलग नीति माँग कर रहे हैं। मैं समझता हूँ कि नीति आयोग की यह नीति, जाने-अनजाने इसके दरवाजे खोल रही है। खुले दरवाज़े का लाभ लेने के लिये जरूरी है कि प्रदेश सरकारें अपने प्रदेश की सामर्थ्य, संवेदना और जरूरत का आकलन कर टिकाऊ विकास का खाका तैयार करने में जुट जाएँ। इस दृष्टि से उत्तराखण्ड जैसे संवेदनशाली राज्य के टिकाऊ विकास का खाका बेहद सावधानी, समझ, संवेदना, समग्रता और दूरदृष्टि की माँग करता है। नीति आयोग ने इस नीति पर काम करना शुरू कर दिया है कि राज्य, केन्द्र की ओर ताकने की बजाय, अपने संसाधनों के विकास पर ज्यादा-से-ज्यादा ध्यान कैसे दें? इसके लिये नीति आयोग के दलों ने राज्यों के दौरे भी शुरू कर दिये हैं। इस नीति से किन राज्यों को लाभ होगा और कौन-कौन से राज्य घाटे में रहेंगे? इस नीति से पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील राज्यों में विकास और पर्यावास के बीच सन्तुलन साधना कितना सम्भव होगा; यह भी एक प्रश्न है।

इस नीति में राज्य से आने वाली केन्द्रीय कर राशि के आधार पर केन्द्रीय बजट में राज्य की हिस्सेदारी का विचार भी सुनाई दे रहा है। इससे आप आशंकित हो सकते हैं कि इससे कमजोर आर्थिकी वाले राज्यों में स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों के अतिदोहन की विवशता बढ़ जाएगी; जिसके दुष्प्रभाव व्यापक होंगे।
Uttarakhand
पहाड़ों की जीवनरेखा ‘स्प्रिंग’ बचाने को जुटे जल-संगठन
Posted on 17 May, 2015 01:28 PM 15 मई 2015, नैनीताल, उत्तराखण्ड। पहाड़ों के सबसे महत्त्वपूर्ण जलस्रोत स्प्रिंग बचाने और संवर्धन के मुद्दे पर पहाड़ी राज्यों के सरकारी, गैर-सरकारी जल-संगठनों और सामाजिक प्रतिनिधियों का बड़ा जमावड़ा भीमताल में हुआ। भारत के हिमालयी पहाड़ों में पाँच लाख से ज्यादा स्प्रिंग हैं जो पहाड़ों की जीवन-रेखा हैं। स्प्रिंग-जल से लगभग देश की 50 लाख से ज्यादा आबादी को पेयजल की उपलब्धता होती है। उत्तराखण्ड में भी बीस हजार से ज्यादा स्प्रिंग हैं। कार्यक्रम में सिक्किम सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे ग्रामीण विकास विभाग में ‘स्प्रिंगशेड अथॉरिटी’ के स्टेट-कॉआर्डिनेटर ‘पेम नोरबू शेरपा’ ने बताया कि सिक्किम सरकार 1500 से ज्यादा स्प्रिंग के विकास पर काम कर रही है। सूख चुके 52 स्प्रिंग को पुनर्जिवित किया गया है।
सूखाताल में हरियाली लाने की कोशिश
Posted on 29 Aug, 2014 02:35 PM

सुखातालनैनीताल : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल की हिफाजत और सूखाताल के सौंदर्यीकरण के लिए कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। अदालत ने सूखाताल झील के सौंदर्यीकरण और नाले-नालियों के अति

Sukha tal
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