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महाराष्ट्र
ठाणे के बदलापुर के एक कॉलेज के \"इकोसैन टॉयलेट\" की सुगंधी
Posted on 11 Sep, 2009 02:42 PMइंजीनियरों के अनुमान के मुताबिक दिन भर में 6.8 घनमीटर बायजल बजट (वाटर बजट)
Posted on 18 Jun, 2009 02:42 PM2002 से अब तक हर साल हिवरे बाजार अहमदनगर जिले के भूजल विभाग की सहायता से पानी का वार्षिक बजट बना रहा है. हर साल लोग गांव में उपलब्ध पानी की कुल मात्रा का अकलन करते हैं और इस बात का निर्धारण करते हैं कि इसे किस तरह खर्च किया जाए, साथ ही साथ पानी की उपलब्ध मात्रा को देखते हुए किस फसल की बुबाई की जाए.
भूजल पर सम्मेलन
Posted on 18 Jun, 2009 02:04 PMACWADAM (एडवांस्ड सेंटर फॉर वाटर डेवलपमेंट एंड मैनेजमेंट) द्वारा पुणे में 21/22 मई को एक साझा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें कुछ अच्छी प्रस्तुतियां देखी गई. डॉ. तुषार शाह ने अपने मुख्य भाषण में कृषि क्षेत्र में भूजल उपयोग की एक अद्भुत तस्वीर प्रस्तुत की. यह प्रस्तुति और भाषण स्लाइडशो पर देखा जा सकता है जो यूट्यूब पर 4 भागों में उपलब्ध है.शराब-कारख़ाने में अपशिष्ट न्यूनीकरण
Posted on 27 Oct, 2008 09:25 AMडब्ल्यूएमसी आसवनी(शराब-कारख़ाना) इकाई में अपशिष्ट न्यूनीकरण स्थिति का जायज़ा-
प्लास्टिक के तालाब
Posted on 22 Oct, 2008 10:29 PMराष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र में 17,500 प्लास्टिक-लाइन खेत तालाब की मंजूरी दी है और 80 करोड़ रुपए इस मद में आबंटित किया है। प्लास्टिक-लाइन खेत तालाब बनाने में उपयोग होने वाले प्लास्टिक-फिल्म की मानक कमजोर न हो, इसको रोकने के लिए नाबार्ड और प्लास्टिक तकनीकी निकायों के प्रतिनिधियों को मिलाकर एक समिति बनाई गई थी। इस समिति ने तीन कंपनियों- टेक्सेल इंडस्ट्रीज, गुजरात
जलसंरक्षण के आसान तरीके
Posted on 14 Oct, 2008 02:44 PMस्थान- जलगांव जिले में तालुका यावल का अदगांव, परोला तालुका का तितवी गांव और चालीसगांव तालुका का मलशेवगा गांव
उद्देश्य :- कम कीमत पर घरेलू इस्तेमाल योग्य पानी उपलब्ध कराने, इसे गंदा होने से बचाने और साफ रखने के तरीकों को प्रोत्साहित करना जिसका सबसे बडा और सीधा असर बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर रखने पर हो सके।
पानी के स्रोतों का संरक्षण -
Posted on 14 Oct, 2008 02:37 PMअदगांव/ तालुका यावल/ जिला जलगांव
उद्देश्य:- गांवों में पीने योग्य पानी के स्रोतों को स्थानीय स्तर पर प्रदूषणकारी मिश्रण से बचाने के उपाय सुनिश्चित करना
भारत में परिवारों की सुरक्षित पेयजल तक पहुंच
Posted on 13 Oct, 2008 01:21 PMभारत के पास विश्व की समस्त भूमि का केवल 2.4 प्रतिशत भाग ही है जबकि विश्व की जनसंख्या का 16.7 प्रतिशत जनसंख्या भारत वर्ष में निवास करती है। जनसंख्या में वृद्धि होने के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों पर और भार बढ़ रहा है। जनसंख्या दबाव के कारण कृषि के लिए व्यक्ति को भूमि कम उपलब्ध होगी जिससे खाद्यान्न, पेयजल की उपलब्धता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, लोग वांचित होते जा रहे हैं आईये देखें - भारत में परिवारों की सुरक्षित पेयजल तक पहुंच
एक जल-ग्रहण क्षेत्र का मैदानी अध्ययन
Posted on 11 Oct, 2008 01:16 AMपोंधे जल-ग्रहण क्षेत्र, पुरंदर तालुका, जिला पुणे, महाराष्ट्र का मैदानी अध्ययन
द्वारा रैपिड हाईड्रोलॉजिकल मेपिंग पर आधारित अध्ययन
भारत वर्ष में अनेक विशाल क्षेत्र कठोर चट्टानों से आच्छादित हैं। ये चट्टान बहुत: आग्नेय एवं कायान्तरित मूल के हैं। देश के अनेक बंजर एवं अर्ध-बंजर क्षेत्रों में जल आपूर्ति ऐसी ही चट्टानों में संग्रहित भू-जल से होती है। यह कथन विशेषकर उन विशाल ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सत्य है, जो कृषि एवं घरेलू उपयोग हेतु इस प्रकार के चट्टानों में संग्रहित भू-जल का दोहन करते हैं।