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मध्य प्रदेश
बूँदों की बैरक
Posted on 23 Jan, 2018 03:51 PM
हम इस समय उज्जैन जिले की सीमावर्ती महिदपुर के गाँवों में हैं। काचरिया गाँव से होलकर रियासत का खास रिश्ता रहा है। यहाँ होलकरों की एक विशाल छावनी मौजूद रहती थी। इस छावनी में होलकरों के सैनिकों और अधिकारियों को दुश्मनों से मुकाबले के प्रशिक्षण भी दिये जाते थे। इस छावनी के अवशेष आपको आज भी मिल जाएँगे। यहाँ अभी भी गंगावाड़ी का मेला लगता है।
गाँव की जीवन-रेखा
Posted on 22 Jan, 2018 04:37 PM
थोड़ा आसमान की ओर टकटकी लगाइये ना!
आपको बादल दिख रहे हैं?
क्या बरसात होने लगी है!
तो भी देखिये!
ये नन्हीं-नन्हीं बूँदें इठलाती, गाती, झूमती, मुस्कुराती, मस्ती के साथ चली आ रही हैं!
इनकी ‘जिन्दगी का सफर’ क्या है?
गाँव क्षेत्र में ये बूँदें खेतों में अलग-अलग गिरती हैं।
बूँदों के तराने
Posted on 22 Jan, 2018 12:51 PM
पानी की बात चले और कबीर की रचना कोई न सुनाए - ऐसा कैसे हो सकता है। कबीर ने पानी के विविध प्रसंगों के माध्यम से जीवन-दर्शन की बहुत ही सहज ढंग से चर्चा की है।
बूँदों का जंक्शन
Posted on 22 Jan, 2018 12:41 PM
मैं गंवई गाँव का
वह रेलवे स्टेशन
जहाँ सुखों की एक्सप्रेस
ठहरती नहीं,
धड़धड़ाती निकल जाती है
और हाथ हिलाते रह जाते हैं
इच्छाओं के मारे ग्रामीण जन।
डॉक्टरी से किसानी का सफर
Posted on 09 Jan, 2018 12:23 PM
आजकल के दूषित खानपान की वजह से लोगों को भयानक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है जिसकी वजह रसायनयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन है। अपनी परम्परागत खेती को भूल जब से लोगों ने रासायनिक खेती की तरफ कदम रखा तब से लोगों का स्वास्थ्य भी तेजी से बिगड़ने लगा व लोग भयानक बीमारियों से ग्रसित होने लगे।
जलवायु और उसके घटक
Posted on 08 Jan, 2018 12:35 PMपृथ्वी के उद्भव से लेकर आज तक इसमें निरन्तर परिवर्तन हो रहा है। परिवर्तन प्रकृति का नियम है। यह कभी तीव्र तो कभी मन्द गति से होता है। कुछ परिवर्तन लाभकारी होते हैं, तो कुछ हानिकारक। स्मरण रहे, मानव पर प्रभाव डालने वाले तत्वों में जलवायु सर्वाधिक प्रभावशाली है, क्योंकि यह पर्यावरण के अन्य कारकों को भी नियंत्रित करता है। सभ्यता के आरम्भ और उद्भव में जहाँ तक आर्थिक विकास का सम्बन्ध रहा है, जलवा
सरदार सरोवर बाँध बसे नहीं एक बार उजड़ने वाले
Posted on 05 Jan, 2018 04:01 PMसरदार सरोवर परियोजना के ऊपर यह कहावत कि जैसे-जैसे इलाज किया वैसे-वैसे मर्ज बढ़ता गया, पूरी तरह से खरी उतर रही है।