ललितपुर जिला

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बुन्देलखण्ड की नदियाँ
Posted on 16 Feb, 2010 07:56 AM

बुन्देलखण्ड का पठारी भाग मध्यप्रदेश के उत्तरी भाग में 2406’ से 24022’ उत्तरी अक्षांश तथा 77051’ पूर्वी देशांतर से 80020’ पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। इस पठार के अन्तर्गत छतरपुर, टीकमगढ़, दतिया, शिवपुरी, ग्वालियर और भिण्ड जिलों के कुछ भाग आते हैं। इसका भौगोलिक क्षेत्रफल मध्यप्रदेश के कुल क्षेत्रफल 23,733 वर्ग किलोमीटर का 5.4 प्रतिशत है। इसके पूर्वोत्तर में उत्तर प्रदेशीय बुन्देलखण्ड के जालौन, झाँसी, ललितपुर, हमीरपुर और बाँदा, महोबा, चित्रकूट जिले हैं।

बुन्देलखण्ड का पठार प्रीकेम्बियन युग का है। पत्थर ज्वालामुखी पर्तदार और रवेदार चट्टानों से बना है। इसमें नीस और ग्रेनाइट की अधिकता पायी जाती है। इस पठार की समुद्र तल से ऊँचाई 150 मीटर उत्तर में और दक्षिण में 400 मीटर है। छोटी पहाड़ियाँ भी इस क्षेत्र में है। इसका ढाल दक्षिण से उत्तर और उत्तर-पूर्व की ओर है।

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आमंत्रण : आठवाँ मीडिया सम्मेलन
Posted on 06 Jul, 2014 01:35 AM साथियों
विकास और जनसरोकार के मुद्दों पर बातचीत का सिलसिला साल-दर-साल आगे बढ़ता ही जा रहा है। हालाँकि इस बार हम यह राष्ट्रीय सम्मेलन अपने तय समय से थोडा देर से करने जा रहे हैं, लेकिन कई बार मार्च में संसद और राज्य विधानसभाओं के सत्र और बजट की आपाधापी में फंसने के कारण बहुत सारे साथी आ नहीं पाते थे। और इस बार तो थे चुनाव और उसके बाद नई सरकार तो, इस बार सोचा थोडा लेट चलें, लेकिन सब मिल सकें।

आप सब जानते ही हैं कि यह सफ़र 2007 में सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी से शुरू हुआ। चित्रकूट, बांधवगढ़, महेश्वर, छतरपुर, पचमढ़ी फिर सुखतवा (केसला) के बाद इस बार हम यह आयोजन चंदेरी में करने जा रहे हैं। इस बार कई दौर की बैठकों के बाद चंदेरी संवाद के लिए जो विषय चुना गया है, वह है।

आदिवासी – हमारी, आपकी और मीडिया की नजर में
समय, स्थान- 23,24,25 अगस्त 2014, चंदेरी, जिला- अशोकनगर, मध्यप्रदेश

बुंदेलखण्ड में मुश्किलों का नया दौर
Posted on 21 Oct, 2011 12:59 PM

कटान, खदान और जमीन हड़पो अभियान

talab
बुंदेलखंड में मनरेगा
Posted on 11 Apr, 2010 09:57 AM
बुंदेलखंड और विकास या यों कहें कि बुंदेलखंड में विकास, दोनों ही बातें अलग-अलग ध्रुवों पर नजर आती हैं। पिछली यूपीए सरकार में शुरू किए गए राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (अब मनरेगा) ने देश के हर हिस्से में उन वंचितों की रोजी-रोटी का इंतजाम कर दिया, जो पीढ़ी दर पीढ़ी जमींदारों द्वारा तय मजदूरी पर काम करने और शोषित होने को विवश थे। मनरेगा ने देश के अलग-अलग इलाकों में नई-नई बुलंदियों को छुआ। और इ
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