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झीलें और आर्द्रभूमि
पर्यावरण ह्रास के 'कुख्यात प्रतीक' बनते जलस्रोत
Posted on 02 Nov, 2010 08:34 AMजल प्रबंधन पर कोई ठोस नीति नहीं
प्रकृति को पहुँचाई गई सबसे स्पष्ट मानवजनित हानि मध्य एशिया के जमीनों से घिरे 'अराल सागर' में देखी जा सकती है। जल कुप्रबंधन के चलते अराल सागर आज 'पर्यावरण ह्रास' या 'पर्यावरण क्षरण' के एक अंतरराष्ट्रीय प्रतीक के रूप में कुख्यात हो चुका है।
कहीं झीलों का शहर कहीं लहरों पर घर
Posted on 17 Oct, 2010 08:51 AMसोचो कि झीलों का शहर हो, लहरों पे अपना एक घर हो..। कोई बात नहीं जो झीलों के शहर में लहरों पर अपना घर नहीं हो पाए, कुछ समय तो ऐसा अनुभव प्राप्त कर ही सकते हैं जो आपको जिंदगी भर याद रहे। कहीं झीलों में तैरते घर तो कहीं, उसमें बोटिंग का रोमांचक आनन्द। कहीं झील किनारे बैठकर या वोटिंग करते हुए डॉलफिन मछली की करतबों का आनन्द तो कहीं धार्मिक आस्थाओं में सराबोर किस्से। ऐसी अनेक झीलें हैं हमारे देश में जिनमें से 10 महत्वपूर्ण झीलों पर एक रिपोर्ट।डल लेक
जहां लहरों पर दिखते हैं घर
डल लेक का तो नाम ही काफी है। देश की सबसे अधिक लोकप्रिय इस लेक को प्राकृतिक खूबसूरती के लिए तो दुनियाभर में जाना ही जाता है, यह लोगों की आस्था से भी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में इस लेक के किनारे देवी दुर्गा की निवास स्थली थी और इस स्थली का नाम था सुरेश्वरी। लेकिन यह झील ज्यादा लोकप्रिय हुई अपने प्राकृतिक और भौगोलिक
खतरे में वादी की झीलें
Posted on 29 Jun, 2010 12:22 PM
अपनी खूबसूरती के लिए दुनिया भर में मशहूर डल झील के वजूद पर हर रोज खतरा बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण और बेहतर रखरखाव न होने की वजह से डल की सूरत बिगड़ रही है। सरकार के साथ-साथ स्थानीय लोगों की उदासीनता इसकी बड़ी वजह है। डल झील के हालात का जायजा ले रहे हैं - पंकज चतुर्वेदी।
याद रखें इन जलस्रोतों को
Posted on 28 Feb, 2010 07:44 PMपहले हम कोइतुरों को जानें
महाकौशल में पानी के स्रोतों तथा सार्वजनिक हित के निर्माण कार्यों को बनवाने और रख-रखाव करने का अधिकतर काम 12-13वीं से 17-18वीं सदी के बीच वहाँ राज करने वाले गोंड राजाओं के जमाने का है। सन् 1801 के मई महीने में इस इलाके का भ्रमण करने वाले एक यूरोपीय पर्यटक कोलब्रुक ने लिखा है कि ‘इस प्रदेश की समृद्धि के लिए, जिसका पता उसकी राजधानी से चलता है तथा जिसकी पुष्टि उन जिलों से होती है। जिनका हमने भ्रमण किया। मैं इस प्रदेश के राजाओं की सराहना अंतर्राज्यीय वाणिज्य के बिना गोंड राजाओं की छत्रछाया में अनेक व्यक्तियों ने उर्वर भूमि में कृषि व्यवसाय अपनाया तथा उसकी समृद्धि के अमिट चिन्ह आज भी साफ-सुथरे भवनों में,
सिवनी का दलसागर
Posted on 08 Nov, 2009 11:13 AMकभी सिवनी नगर के सौन्दर्य का प्रतीक दलसागर तालाब माना जाता था। जिले की संदर्भ ग्रंथ माने जाने वाली पुस्तक “सिवनी अर्वाचीन एवं प्राचीन” में यह उल्लेख किया गया है कि शहर के मध्य में दलसागर तालाब है जिसे दलसा नामक गौली ने बनवाया था। इसके चारों ओर पक्के घाट बने हैं जिससे तालाब बहुत ही सुन्दर लगता है। घंसौर से पुरानी मूर्तियां लाकर किनारे पर रखवायीं गयीं हैं जो देखने योग्य है।