कभी सिवनी नगर के सौन्दर्य का प्रतीक दलसागर तालाब माना जाता था। जिले की संदर्भ ग्रंथ माने जाने वाली पुस्तक “सिवनी अर्वाचीन एवं प्राचीन” में यह उल्लेख किया गया है कि शहर के मध्य में दलसागर तालाब है जिसे दलसा नामक गौली ने बनवाया था। इसके चारों ओर पक्के घाट बने हैं जिससे तालाब बहुत ही सुन्दर लगता है। घंसौर से पुरानी मूर्तियां लाकर किनारे पर रखवायीं गयीं हैं जो देखने योग्य है।
शहर के बुजुर्गों के बताये अनुसार बबरिया तालाब के ओवर फ्लो का पानी एक खुली नहर से दलसागर तालाब में और दलसागर तालाब के ओवर फ्लो का पानी अंदर ही अंदर पाइपों के जरिये बुधवारी तालाब में ले जाने की व्यवस्था थी। लेकिन वक्त के साथ-साथ यह भी समाप्त हो गयी है।
एक जमाना था, दलसागर तालाब से सिंचाई भी होती थी। पानी की निकासी के लिये नहर एवं गेट भेरौगंज वाली तरफ में स्थित हैं जिनसे खेतों में सिंचाई की जाती थी।
लेकिन समय बीतने के साथ ना तो अब नहर की जमीन बची और ना ही वे खेत और खाली जमीन बची, जहां सिंचाई और नाले का पानी ले जाकर छोड़ा जाता था। ये सभी इलाके अब रहवासी क्षेत्र बन गये हैं। इसके बाद से तालाब के सड़ने, गंदे नाले को बंद करने और मकानों में पानी भरने पर उसे फिर खोल देने का सिलसिला बदस्तूर जारी हैं। ऐसा अब तक कितनी बार हो चुका है और इस पर कितनी रकम खर्च हो चुकी है?
नगर की इस ऐतिहासिक धरोहर को पहली बार खाली करवाकर उसकी सफायी का काम 80 के दशक के शुरूआती दौर में तत्कालीन जिला कलेक्टर श्री एम.पी.राजन के कार्यकाल में किया गया था, जिसमें लोगों ने भी अपनी बढ़-चढ़ भागीदारी की थी। उस समय पहली बार शहर के गंदे नाले को अम्बेडकर भवन के पास से बंद कर रोका गया था। इसकी निकासी मालू पेट्रोल पंप से होते हुये नेशनल हाइवे पार करके सोहाने पेट्रोल पंप के बाजू से होते हुये झिरिया के पास वाले खेतों में निकल जाती थी। यह सिलसिला कुछ सालों तक चला और तालाब की सुंदरता एक बार फिर चर्चित हो गयी थी जिसमें नौकायान और बीच वाले टापू में कैन्टीन भी प्रारंभ हो गयी थी।
तालाब के पानी को शुद्ध रखने के लिये प्रयोग के तौर एक स्थानीय मैकेनिक श्री गणेश विश्वकर्मा से एक फव्वारा भी बनवाया गया था। साथ ही यह भी योजना बनायी गयी थी कि यदि यह प्रयोग सफल हो जायेगा तो जितने फव्वारे पूरे तालाब के पानी को शुद्ध करने के लिये आवश्यक होंगें उन्हें बनवाया जायेगा, जिससे ना केवल तालाब का पानी आक्सीजन मिलने से शुद्ध होगा वरन इनमें लाइटिंग लगने से सुन्दरता भी आयेगी।
पूर्ववर्ती कलेक्टर श्री पी. नरहरि के कार्यकाल में गंदे नाले को डायवर्ट करने के लिये लगभग 12 लाख पचास हजार रूपये की राशि स्वीकृत की गयी थी। जब इसे अम्बेडकर भवन के पास से डायवर्ट करने का काम चल रहा था तभी दलसागर के पानी रोकने के लिये बनी दीवार मे एक होल हो गया था और बारिश में तो यह दीवार ही धराशायी हो गयी थी। इससे पूरा गंदा पानी दलसागर तालाब में ही जा रहा था। अब यह तो नगर पालिका ही जानती होगी कि इस राशि में से कितने का भुगतान कर दिया गया और कितना भुगतान बाकी है।
सिवनी नगर के सौन्दर्य का प्रतीक माने जाने वाला दलसागर तालाब अब अपनी सड़ांध और बदबू के कारण परेशानी का कारण बन गया है। इसके पानी को साफ रखने के नाम पर बार-बार गंदे पानी के नालों को बंद करने और आबादी क्षेत्र में बरसात में पानी घुसने से परेशानी से बचने के कारण फिर खोल देने का सिलसिला बरसों से जारी हैं। इसके स्थायी हल के लिये जरूरी है कि दलसागर में गिरने वाले गंदे पानी के नाले को बंद कर इसके पानी की निकासी के लिये परतापुर के नाले तक कच्चा नाला बनाकर पानी वहां छोड़ा जाये। और दलसागर में आश्वयक संख्या में पानी को शुद्ध रखने वाले फव्वारे लगाए जाएं।
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