एक और झील गायब…

ऐसा लगता है कि दिल्ली सरकार झीलों को पुनर्जीवन देने की बजाय उन्हें नष्ट करने पर तुली हुई है। 17 अगस्त को दिल्ली सरकार द्वारा उच्च न्यायालय में दायर एक हलफ़नामें में कहा गया है कि दिल्ली की मायापुरी झील और जहाँगीरपुरी का दलदली इलाका जलग्रहण क्षेत्र नहीं हैं और इन इलाकों का उपयोग विकास के अन्य कामों के लिये किया जा सकता है। एक गैर-लाभकारी संस्था 'तपस' द्वारा इन जलस्रोतों को बचाने के सन्दर्भ में दायर की गई जनहित याचिका के जवाब में दिल्ली सरकार ने यह कहा है। इस संस्था द्वारा अदालत से माँग की गई है कि इन क्षेत्रों को बचाया जाये ताकि भूजल के स्तर में बढ़ोतरी हो सके।

इस जनहित याचिका पर सन 2000 से सुनवाई जारी है। इस वर्ष इस संस्था ने पुनः एक अर्जी दायर करके मायापुरी और जहाँगीरपुर जलस्रोतों को बचाने की अपील की थी, क्योंकि सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के अनुसार दिल्ली सरकार ने कह दिया था कि ये इलाके जलस्रोत हैं ही नहीं।

सरकार का यह रवैया बेहद आश्चर्यजनक है क्योंकि सन 2006 में लोक निर्माण विभाग के मुख्य इंजीनियर ने अपने एक हलफ़नामें मे कहा है कि मायापुरी जलस्रोत का अस्तित्व है और यह 36,000 स्क्वेयर मीटर में फ़ैला हुआ है। जबकि नवीनतम एफ़िडेविट में सरकार कह रही है कि मायापुरी झील नामक यह एक कृत्रिम झील है, जो कि मायापुरी के पास नारायणा इलाके से गुजर रही सड़क पर बन रहे फ़्लायओवर के कारण बनी हुई है, जबकि ग्राफ़ में स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है कि नारायणा इलाके में भूजल में गत वर्षों में तेजी से गिरावट आई है, जो कि निर्माण कार्यों के कारण होने वाले प्रदूषण और जलस्रोतों को समाप्त करते जाने की वजह से हुई है।

Tags - On August 17, the government filed an affidavit in the Delhi High Court saying the Mayapuri lake and Jehangirpuri marshland are not waterbodies and can be used for development activity. The affidavit was filed in connection with the public interest petition by non-profit TAPAS that has sought restoration of the waterbodies of Delhi.
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