झीलें और आर्द्रभूमि

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संकट में है सुजान गंगा
Posted on 17 May, 2010 08:22 AM
राजस्थान के भरतपुर जिले में एक सुजान गंगा है. ऐतिहासिक महत्व की ये नहर अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष के साथ लोगों के लिए मुसीबत बन गई है. अब एक बार फिर न्यायालय ने सुजान गंगा के उद्धार के लिए हस्तक्षेप किया है. देखना ये है कि कोर्ट की फटकार के बाद सरकारी अमला कुछ करता है या फिर वो ही ढाक के तीन पात वाली बात होकर रह जायेगी.
छिंदवाड़ा, जहाँ एसबर्न का बनवाया तालाब अशरफ का हो गया है
Posted on 03 Mar, 2010 09:27 AM गोंडों के देवगढ़ राज्य और आज के छिंदवाड़ा इलाके में कुएँ, झिरियाँ और कहीं-कहीं बावड़ियाँ ही पानी के स्रोत हैं लेकिन जिले के सदर मुकाम में कई पुराने तालाब आज भी मौजूद हैं। सन् 1818 ईस्वी में परकोटे वाले आज के छिंदवाड़ा शहर का वह हिस्सा बनना शुरू हुआ था जिसे चिटणीसगंज कहते हैं। मराठी में चिटणीस का अर्थ होता है। सचिव या लेखाकार। 1818 से 1830 के बीच भोंसलों के सचिव रहे ये चिटणीस। इनके पास भोंसलों का ख
मारवाड़ के जलाशय
Posted on 31 Dec, 2009 08:10 AM

मारवाड़ जैसा क्षेत्र जहाँ प्राकृतिक स्रोतों से जल की उपलब्धता एक समस्या बनी रही है, जलाशयों का निर्माण विशेष रुप से महत्वपूर्ण हो जाता है।

reservoir
परशुराम कुण्ड पर कुण्डली
Posted on 06 Nov, 2009 10:41 AM संस्कृति, विरासत और परंपरा बलिदान करिए, द्रुत गति से विकास मार्ग पर चलिए। हमारे विकासवादियों का ये मंत्र अपना असर बखूबी दिखाने लगा है। अब बारी परशुराम कुण्ड की है। अरूणाचल प्रदेश में लोहित नदी पर बन रहे एक बांध के चलते परशुराम कुण्ड अस्तित्वविहीन होने जा रहा है।
परशुराम कुण्ड
भयावह हैं आहरों को मिटाने के नतीजे!
Posted on 11 Oct, 2009 07:04 AM
झारखंड के लोक गीतों और लोक कथाओं में जहाँ जल स्त्रोंतों की स्तुति छलकती है वहीं सरकार द्वारा गठित विभिन्न आयोगों के रिपार्ट से इस बात की जानकारी मिलती है कि वहाँ कभी सिंचाई की बड़ी अच्छी व्यवस्था थी। उल्लेखनीय है कि 1860 ई0 में अंग्रजों ने भीषण अकाल के बाद ईस्ट इण्डिया इरीगेशन एण्ड कैनाल कम्पनी की स्थापना की थी। इसकी स्थापना के करीब 40 साल बाद एक सिंचाई आयोग अस्तित्व में आया जिसकी रिपोर्ट से पता च
राजस्थान की प्रमुख झीलें
Posted on 12 Sep, 2009 09:44 AM

राजस्थान में मीठे पानी और खारे पानी की दो प्रकार की झीलें हैं। खारे पानी की झीलों से नमक तैयार किया जाता है। मीठे पानी की झीलों का पानी पीने एंव सिंचाई के काम में आता है।

एक लाख जल निकायों की बहाली (रिपेयर, रिनोवेशन, रिस्टोरेशन वाटरबॉडीज स्कीम)
Posted on 09 Sep, 2009 12:17 PM

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 4000 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत पर घरेलू समर्थन के साथ, 9 लाख हेक्टेयर के जलग्रहण क्षेत्र वाले एक लाख जल निकायों की बहाली, मरम्मत और नवीनीकरण करने की योजना को मंजूरी दे दी है। योजना के पूरा होने के बाद लगभग 4 लाख हेक्टेयर.
ग्वालियर की बावड़ियाँ
Posted on 03 Sep, 2009 10:32 AM

ग्वालियर संगीत की नगरी है । इसी जमीं पर मियाँ तानसेन उर्फ तन्ना मिश्रा ने संगीत का ककहरा सीखा । संगीत सम्राट बने और बादशाह अकबर के नौ रत्नों में शुमार हुए । तोमर राजवंश के महान शासक राजा मानसिंह तोमर ने यहीं पर 'ध्रुपद' की रचना की। लेकिन संगीत ही नहीं ग्वालियर के शासकों का प्रेम जल संरक्षण को लेकर भी उतना ही प्रगाढ़ रहा है जितना संगीत के प्रति । इसकी गवाही देने के लिए आज भी ग्वालियर शहर के कोने

चाँद - विश्व की सबसे बड़ी बावड़ी
Posted on 01 Sep, 2009 08:54 AM

राजस्थान में जयपुर से 95 किमी दूरी पर स्थित आभानेरी गाँव में विश्व की सबसे बड़ी बावड़ी (सीढ़ियों वाला गहरा कुँआ) स्थित है, जिसका नाम है 'चाँद बावड़ी'। चाँद बावड़ी का निर्माण 9वीं शताब्दी में राजा चाँद ने किया था। इस विशालतम बावड़ी के प्रमुख आकर्षण इस प्रकार हैं -

1) यह बावड़ी चारों तरफ़ से 35 मीटर चौड़ी है।

जसवंतसागर की अकाल मौत!
Posted on 01 Jan, 2009 08:28 AM

दिनेश बोथरा/ भास्कर

जोधपुर। रिजर्वायर के रूप में 109 साल पहले बनाए गए जसवंतसागर बांध ने दम तोड़ दिया है। पिछले लंबे अरसे से इसमें पानी का ठहराव नहीं होने के कारणों की जांच कर रहे नेशनल इंस्टीटच्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (एनआईएच) ने अपनी आखिरी रिपोर्ट में यह खुलासा किया है कि अब यह बांध रिजर्वायर नहीं रहा, केवल ग्राउंडवाटर रिचार्ज स्ट्रक्चर के तौर पर काम आ रहा है। लाइमस्टोन फार्मेशन वाले इसके भूगर्भ के खोखलेपन से सतह पर भी सिंकहोल बनने लगे हैं।लाइमस्टोन के कारण वैसे ही भूगर्भ में

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