झारखंड

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खनन क्षेत्र में आदिवासियों की जिन्दगी, गुलामों से भी बदतर
Posted on 18 Jun, 2017 11:42 AM
एक तथ्य का जिक्र यहाँ जरूरी है कि अलग राज्य के पहले जिस आदिवा
वैश्विक खनन मसौदा व झारखंडी हंड़ियाबाजी
Posted on 18 Jun, 2017 11:38 AM
अगर यही झारखंड को समझना है, तो उनके झारखंड में खनन पीड़ितों क
विकास के दावों पर खनन की धूल
Posted on 18 Jun, 2017 11:33 AM
हम यह नहीं कहते कि माइनिंग न हो। लेकिन क्यों हो, किसके लिये ह
कुंती के बहाने विकास की माइनिंग
Posted on 18 Jun, 2017 11:23 AM
हम लोग महसूस कर चुके हैं कि अभिजात्य वर्ग के पास योजना है हमस
पानी व पर्यावरण की फिक्रमंद फिल्मकारों की नयी फसल
Posted on 17 Jun, 2017 10:26 AM
मार्च में झारखंड का मौसम खुशगवार रहता है, लेकिन मार्च 2014 का मौसम झारखंड में कुछ अलग ही था। कैमरा व फिल्म की शूटिंग का अन्य साज-ओ-सामान लेकर भटक रहे क्रू के सदस्य दृश्य फिल्माने के लिये पलामू, हरिहरगंज, लातेहार, नेतारहाट व महुआडांड़ तक की खाक छान आये। इन जगहों पर शूटिंग करते हुए क्रू के सदस्यों व फिल्म निर्देशक श्रीराम डाल्टन व उनकी पत्नी मेघा श्रीराम डाल्टन ने महसूस किया कि इन क्षेत्रों में पानी की घोर किल्लत है। पानी के साथ ही इन इलाकों से जंगल भी गायब हो रहे थे और उनकी जगह कंक्रीट उग रहे थे।

मूलरूप से झारखंड के रहने वाले श्रीराम डाल्टन की पहचान फिल्म डायरेक्टर व प्रोड्यूसर के रूप में है। फिल्म ‘द लॉस्ट बहुरूपिया’ के लिये 61वें राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड में उन्हें पुरस्कार भी मिल चुका है।

झारखंड का नहीं कोई पहरेदार
Posted on 16 Jun, 2017 04:42 PM
आजादी के बाद राज्य में 80 लाख से ज्यादा आबादी अपनी जमीन से वि
पुनर्वास नीति में खामियाँ ही खामियाँ
Posted on 16 Jun, 2017 04:38 PM
सरकार द्वारा नियुक्त पुनर्वास आयुक्त, ग्राम सभा से विचार-विमर
विकसित करनी होगी न्याय की जमीन
Posted on 16 Jun, 2017 04:34 PM
संताल परगना काश्तकारी अधिनियम का किस तरह उल्लंघन हुआ है, यह ब
एसपीटी ने बचाया आदिवासियों को
Posted on 15 Jun, 2017 04:42 PM
अगर संताल परगना काश्तकारी कानून को सही ढंग से प्रयोग में लाया
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