जैसलमेर जिला

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खेजड़ी का पेड़
Posted on 16 Sep, 2011 11:55 AM

जहां रूठ गया पानी
जहां उखड़ गए पेड़ों के पांव,
जहां चंद बूंदों की भीख को
रोते सूख गए पौधे।
वहां जम गया
रम गया
अकेला खेजड़ी।

खेजड़ी में देखता है मरुथल
कि कैसे होते हैं पेड़।
कितनी मीठी होती है छांव,
ठन्डे पत्ते और नर्म स्पर्श
और उनसे फूटती हवा।
क्या होता है,
जलते-तपते में वीरान में जीना।

जल संरक्षण के सदियों पुराने तरीके आजमा रहे गांववासी
Posted on 15 Jul, 2011 12:02 PM

करीब दो दशक पहले बनाई गई इन नहरों का मकसद था हिमालय से पानी उतारकर यहां की बंजर जमीन को खेती कि

नरेगा श्रमिकों को दो, तीन और चार रुपए की मजदूरी
Posted on 05 Jul, 2011 11:51 AM

जयपुर. सरकार एक तरफ जहां नरेगा से लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार देने का दावा कर रही है, वहीं नरेगा श्रमिकों को दो-दो, तीन-तीन और चार-चार रुपए की मजदूरी भी मिली है। इस रकम में परिवार चलाना तो दूर, एक कप चाय भी नहीं मिल सकती। सरकार की जानकारी में आने के बाद भी मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। नरेगा श्रमिकों के पक्ष में आवाज उठाने वाले संगठन सूचना एवं रोजगार का अधिकार अभियान की ओर

बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का पानी व्यापार
Posted on 10 Mar, 2011 01:04 PM विश्व बैंक, मुद्राकोष और विश्व व्यापार संगठन की नापाक तिकड़ी के सहारे बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ दुनिया भर में पेयजल के व्यापार में उतर पड़ी हैं। व्यापार के बहाने पानी पर नियंत्रण अचूक तरीका सिद्ध होगा लोगों के जीवन को नियंत्रित करने का।
सामुदायिक भागीदारी का बेजोड़ नमूना
Posted on 16 Jan, 2011 01:20 PM

जैसलमेर में सामुदायिक भागीदारी से अनगिनत जलस्रोतों की काया पलट गई। जो जलस्रोत पहले सूखे हुए थे उंहें भी समुदाय ने अथक परिश्रम और सूझबूझ से पानीदार बना दिया। आइए देखते हैं राजस्थान के पारंपरिक जल स्रोतों और समाज की सूझ-बूझ की कुछ झलकियां

 

water
जेथू सिंह भट्टी
Posted on 31 Dec, 2009 07:18 PM ऐसा लगता है कि अभी हमने राजस्थान में पारंपरिक वर्षाजल संग्रहण व्यवस्था का ऊपरी खजाना ही तलाशा है, क्योंकि यहां ऐसी अनेक व्यवस्थाएं मौजूद हैं, जिनकी अभी भी खोज करनी बाकी है। और इन्हीं में एक है ‘पार’ व्यवस्था, जिसे ‘थार इंटीग्रेटेड डेवलेपमेंट सोसायटी’ (टीआईएसडीएस) के महासचिव जेथू सिंह भट्टी ने जैसलमेर जिले के मनपिया गांव में पुनर्जीवित किया। इसके लिए उन्हें सीएसई से वित्तीय सहयोग प्राप्त हुआ है।
सात हजार गांवों पर अकाल का साया
Posted on 15 Mar, 2009 07:45 PM
जयपुर/ नई दुनिया। राजस्थान में इस साल 7372 गांवों पर अकाल का साया मंडरा रहा है। इन गांवों में सरकार शीघ्र ही राहत कार्य शुरु करने जा रही है। सरकार ने इसके साथ ही अकाल ग्रस्त इलाकों में पीने के पानी, रोजगार और पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। जिन जिलों में अकाल की छाया मंडरा रही है, वें हैं जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेंर, सिरोही, पाली, जालौर, अजमेर, भीलवाड़ा, उदयपुर, नागौर, र
राज, समाज और पानी : तीन
Posted on 18 Feb, 2009 01:11 PM

 

अनुपम मिश्र


आज आपके सामने मैं इस विशाल मरुभूमि में फैले रेत के विशाल साम्राज्य की एक चुटकी भर रेत शायद रख पाऊँ। पर मुझे उम्मीद है कि इस ज़रा-सी रेत के एक-एक कण में अपने समाज की शिक्षा, उसकी शिक्षण-प्रशिक्षण परंपराओं, उसके लिए बनाए गए सुंदर अलिखित पाठ्यक्रम, इसे लागू करने वाले विशाल संगठन की, कभी भी असफल न होने वाले उसके परिणामों की झलक, चमक और ऊष्मा आपको मिलेगी।

आज जहाँ रेत का विस्तार है, वहाँ कुछ लाख साल पहले समुद्र था। खारे पानी की विशाल जलराशि। लहरों पर लहरें। धरती का, भूमि का एक बिघा टुकड़ा भी यहाँ नहीं था, उस समय। यह विशाल समुद्र कैसे लाखों बरस पहले सूखना शुरू हुआ, फिर कैसे हजारों बरस तक सूखता ही चला गया और फिर यह कैसे सुंदर, सुनहरा मरूप्रदेश बन गया, धरती धोरां री बन गया-

Anupam Mishra
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