हरियाणा

Term Path Alias

/regions/haryana-0

सँवरने के बाद बिखरता सुखोमाजरी
Posted on 01 Apr, 2017 12:22 PM
1970 व 80 के दशक में जलस्तर बढ़ने लगा था, जो अब घटने लगा है।
sukhna lake
एक राजनीतिक नहर की दास्तां
Posted on 12 Mar, 2017 01:11 PM
नदियों को जोड़ने का सपना देखने वाली नीतियों की आगे की दशा और
canal
तालाब बचाएँ - लौट आएगी सरस्वती
Posted on 04 Feb, 2017 11:13 AM


नदी संस्कृति के मामले में भारत कभी सिरमौर था। संसार के किसी भी क्षेत्र की तुलना में सर्वाधिक नदियाँ हिमालय अधिष्ठाता शिव की जटाओं से निकलकर भारत के कोने-कोने को शस्य-श्यामला बनती रही हैं। तमाम नदियाँ करोड़ों लोगों की जीवन का सेतु और आजीविका का स्थायी स्रोत होने के साथ-साथ जैव विविधता, पर्यावरणीय और पारिस्थितिक सन्तुलन की मुख्य जीवनरेखा रही हैं।

ऋग्वेद में वर्णित सरस्वती नदी भी इनमें से एक थी। करीब पाँच हजार वर्ष पहले सरस्वती के विलुप्त होने के कारण चाहे कुछ भी रहे हों, लेकिन सरस्वती की याद दिलाने वाले इस पावन स्तोत्र को करोड़ों-करोड़ लोग आज भी गुनगुनाते हैं।

सरस्वती नदी मैप
भूमिका - नरक जीते देवसर
Posted on 12 Jan, 2017 04:36 PM
पौराणिक ग्रंथों में प्राकृतिक सन्तुलन पर बहुत चिन्तन-मंथन हुआ है। मत्स्य पुराण में तालाबों, कुओं और बावड़ियों के महत्त्व पर कहा गया है

दश कूप समा वापी, दशवापी समोह्नद्रः।
दशह्नद समः पुत्रों, दशपुत्रो समो द्रमुः।

नरक जीते देवसर
पुस्तक परिचय - नरक जीते देवसर
Posted on 05 Jan, 2017 10:34 AM


तालाब, कुएँ, पोखर और जलाशयों का भारतीय संस्कृति में बहुत महत्त्व है। इसका कारण तालाबों का हमारे रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़ा होना है। एक समय तालाब और पोखर बनवाना पुण्य का काम समझा जाता था। लेकिन आधुनिकता और विकास के इस दौर में तालाब हमारे जीवन से बाहर हो गए हैं। पीने के लिये नल और सिचाईं के लिये नहर और ट्यूबवेल का उपयोग होने लगा।

नरक जीते देवसर
पराल प्रदूषण पर नियंत्रण
Posted on 15 Dec, 2016 04:35 PM
पुराने समय में जब परम्परागत विधियों से मानव श्रम लगाकर धान की
पराली
सतलुज-यमुना का चुनावी लिंक
Posted on 10 Dec, 2016 11:39 AM

पंजाब और राजस्थान हमेशा से इसे बनने नहीं देना चाहते थे और यदि पंजाब चुनाव में सत्तारूढ़ द

Ganga
जिब जमीन की कीमत माँ-बाप तै घणी होगी तो किसे तालाब, किसे कुएँ
Posted on 08 Dec, 2016 04:11 PM

इलाके के सबसे बड़े और पूरे गाँव की प्यास बुझाने वाले दो दर्जन कुओं में से अब एक भी नहीं ह

अरै किसा कुलदे, निरा कूड़दे सै भाई
Posted on 08 Dec, 2016 04:03 PM
कुलदे आज अपना अस्तित्व लगभग खो चुका है। कहने को बच्चे के जन्
नहीं बेरा कड़ै सै फुलुआला तालाब
Posted on 08 Dec, 2016 03:56 PM
12 एकड़ का तालाब अब आधा रह गया है। इसके एक बड़े हिस्से का बिज
×