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होशंगाबाद जिला
सूख गईं नदियाँ, रह गईं तो बस कहानियाँ
Posted on 10 Apr, 2018 06:18 PM
गर्मी ने दस्तक दिया नहीं कि जल संकट की खबरें आम हो जाती हैं। पर मध्य-प्रदेश के सतपुड़ा व अन्य इलाकों की स्थिति कुछ अलग है। यहाँ पानी की किल्लत मौसमी न रहकर स्थायी हो गई है। ज्यादातर नदियां सूख गई हैं। नरसिंहपुर और होशंगाबाद जिले की, सींगरी, बारूरेवा, शक्कर, दुधी, ओल, आंजन, कोरनी, मछवासा जैसी नदियां पूरी तरह सूख गई हैं। इनमें से ज्यादातर बारहमासी नदियां थीं। पीने के पानी से लेकर फसलों के लिए भी पानी का संकट बढ़ गया है।
पानी की समस्या का समाधान नदियों से ही सम्भव – गडकरी
Posted on 16 Mar, 2018 06:41 PMमप्र के बांद्राभान संगम पर पाँचवा नदी महोत्सव प्रारम्भ
जैव-विविधता का खजाना पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व
Posted on 17 Oct, 2016 04:48 PMबायोस्फीयर रिजर्व बहु उपयोगी संरक्षित क्षेत्र होता है जिसमें आनुवंशिक विविधता को उसके प्रतिनिधि पारिस्थितिक तंत्र में वन्य जीवन जनसंख्या, आदिवासियों की पारम्परिक जीवनशैली आदि को सुरक्षा प्रदान कर संरक्षित किया जाता है। लेकिन वर्तमान में इस क्षेत्र की तेजी से नष्ट हो रही जैव-विविधता का संरक्षण आज आवश्यकता है।
बूँद बूँद से घड़ा भरना होगा
Posted on 28 Jul, 2016 10:46 AM
पानी का संकट मौसमी नहीं, स्थायी हो गया है। कुछ समय पहले तक सतपुड़ा अंचल में पानी की बहुत समस्या नहीं थी। कुएँ, तालाब, बावड़ियाँ, झरने जैसे परम्परागत स्रोत सदानीरा थे। लेकिन अब मैदानी क्षेत्र में पानी हर साल नीचे चला जा रहा है और यहाँ के परम्परागत स्रोत सूख गए हैं।
नर्मदा के साथ आन्तरिक यात्रा
Posted on 14 Feb, 2016 01:11 PM
एक महीने बाद फिर नर्मदा से भेंट हो गई। वैसे उससे होते ही कब अलग हैं। वह तो हमारे जीवन में समाई हुई है। बचपन से लेकर अब तक बार-बार उसके दर्शन किये हैं। अमरकंटक से लेकर गुजरात तक उसके कई घाटों पर उसके दर्शन किये हैं।
बरमान घाट पर नर्मदा
Posted on 03 Jan, 2016 11:17 AM साल के जाते-जाते नर्मदा से फिर भेंट हो गई। मन में आस लगी ही रहती है, उसके दर्शन की। इस बार 26 दिसम्बर को जब नरसिंहपुर में था तो बहन बोली- चलो भैया नर्मदा चलते हैं। सुबह ठंड बहुत थी तो निकलते-निकलते देर हो गई। आटो से चले तो राजमार्ग से होते हुए कुछ ही देर में बरमान पहुँच गए।