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ग्वालियर जिला
नदियों के संरक्षण के लिये ग्वालियर में मीडिया चौपाल
Posted on 09 Oct, 2015 12:19 PMजुटेंगे देशभर से संचारक और विशेषज्ञ
तिथि : 10-11 अक्टूबर 2015
स्थान : जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर
इस बार चौपाल में 10 सत्र होंगे। इसमें 6 विषयों पर समानान्तर सत्रों में चर्चा होगी। इन सत्रों में - भारत की नदियाँ : कल, आज और कल, मध्य प्रदेश की नदियाँ : कल, आज और कल, नदियों का विज्ञान और पारिस्थितिकी, जनमाध्यमों में नदियां : स्थिति, चुनौतियाँ और सम्भावनाएँ, नदियों का पुनर्जीवन : संचारकों की भूमिका, नदियों की रिपोर्टिंग : विविध पक्ष आदि विषयों पर चर्चा होगी। इस चौपाल की ख़ासियत होगी कि इसमें शामिल होने वाले विशेषज्ञ और प्रतिभागी नदियों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे। भोपाल। देश भर की नदियों को संरक्षित करने और पुनर्जीवन के मुद्दे पर ग्वालियर में मीडिया चौपाल के नाम से दो दिन की 'राष्ट्रीय मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला में पूरे देश से जल-संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहे वैज्ञानिक, प्रोफ़ेसर, मीडिया कर्मी, ब्लागर, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट, रंगकर्मी साहित्यकार, स्तम्भकार, विद्यार्थी एवं सामाजिक कार्यकर्ता बड़ी संख्या में भाग लेंगे। यह कार्यशाला 10-11 अक्टूबर को जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर परिसर में आयोजित होगी।
स्पंदन संस्था विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के सहयोग से इस चौपाल का आयोजन कर रही है। इस वर्ष की चौपाल में अटल बिहारी हिन्दी विश्वविद्यालय और जीवाजी विश्वविद्यालय भी मदद कर रहा है। इनके अलावा चौपाल में वर्धा विश्वविद्यालय, इन्दौर विश्वविद्यालय, इंक मीडिया संस्थान, लखनऊ विश्वविद्यालय, खालसा कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय), माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विद्यार्थी तथा अध्यापक भी सक्रिय भागीदारी करेंगे।
सहजीवन का नीड़
Posted on 31 Jan, 2014 09:48 AMमध्य प्रदेश के ग्वालियर में बना विवेकानंद नीड़म बताता है कि जीवन और प्रकृति के बीच सामंजस्य कितना सुंदर हो सकता है।प्रदूषित नदियों और सूखते जल-स्रोतों के बीच आए दिन पानी की किल्लत झेल रहे शहरों और गाँवों के लोगों को सहजीवन का रास्ता दिखाते हुए वे कहते हैं, 'अगर फ़ैक्टरियों के कचरे को बायोडाइजेस्टर से ट्रीट करके नदियों में डाला जाएं तो काफी हद तक नुकसान को कम किया जा सकता है। साथ ही आम लोग भी अपने-अपने घरों में छोटे-छोटे बायोडाइजेस्टर लगवाकर भूजल स्तर को बनाए रखने के प्रयास कर सकते हैं।' उम्मीद का रंग शायद हरा होता होगा। सूखती नदियों और लगातार दूषित हो रहे पर्यावरण की चिंताओं वाले दौर में विवेकानंद नीड़म को देखकर पहला ख्याल यही आता है। चंबल के सूखे बीहड़ों में बने इस हरे-भरे ‘आश्रम’ को सहजीवन की उस धारणा के आधार पर बनाया गया है जहां जीवन और प्रकृति के बीच दो तरफा संबंध हैं। प्रकृति से जो लिया जाता है, उस रूप में वापस होता है जिसे वह आसानी से स्वीकार कर सके।
जल संरक्षण के अलग-अलग तरीकों, दैनिक कचरे की रिसाइकलिंग और गृह-निर्माण की पर्यावरण अनुकूल पद्धतियों को अपनाकर निर्मित किया गया विवेकानंद नीड़म इसी वैकल्पिक जीवनशैली का एक केंद्र है।
ग्वालियर जिले की एक वीरान पहाड़ी पर इस आश्रम की परिकल्पना करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अनिल सरोदे इसकी स्थापना से जुड़े अनुभव हमें बताते हैं, ‘हमने 1995 में ग्वालियर के आसपास बसे सहरिया आदिवासियों के बीच काम करना शुरू किया था।
प्राकृतिक स्वस्थ जीवन शैली और पर्यावरण पर राष्ट्रीय संगोष्टी
Posted on 28 Nov, 2012 01:56 PMतिथि : 22, 23, 24 फरवरी 2013स्थान : आनन्द केन्द्र, विवेकानंद नीडम, ग्वालियर (म.प्र.)
आनन्द केन्द्र, विवेकानंद नीडम, ग्वालियर के प्राकृतिक, मनोरम परिवेश में दिनांक 22, 23, 24 फरवरी 2013 को, ' प्राकृतिक स्वस्थ जीवन शैली और पर्यावरण' इस विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। इसमें प्रकृति प्रेमी, पर्यावरण वैज्ञानिक, दक्ष चिकित्सक तथा प्रबुद्ध चिंतक, मानव और प्रकृति के मध्य सह-अस्तित्व का जो संबंध हैं, उसे जानने तथा विवेकपूर्ण तरीके से तद्नुसार जीवन शैली को विकसित करने की बात करेंगे। इस आयोजन में देश के विभिन्न अकादमिक संस्थाओं से प्रतिभागिओं के शामिल होने की संभावना है। आप से निवेदन है कि इस आयोजन में सहभागी होकर इस वैज्ञानिक उत्सव की शोभा बढ़ाये।
ग्वालियर में निर्मल भारत यात्रा का भव्य आगाज
Posted on 31 Oct, 2012 03:33 PMकेंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश व मुख्यमंत्री आएंगे
ग्वालियर (म.प्र.)। देश के ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता का अलख जगाने के लिये महाराष्ट्र के वर्धा जिले के सेवाग्राम से शुरू निर्मल भारत यात्रा का बुधवार को ग्वालियर में भव्य आगाज होगा। केंद्रीय ग्रामीण मंत्री व वाश युनाइटेड एंड क्विकसैंड डिजायन स्टूडियो संगठन के संयुक्त तत्वाधान में चल रही यह यात्रा गुरुवार तक जिले में रहेगी। इन दो दिनों में मुरार के ग्राम पंचायत जलालपुर में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के सामने निर्मल भारत यात्रा के दो दिवसीय मेले का आयोजन होगा। मेले में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आएंगे।
बुन्देलखण्ड की नदियाँ
Posted on 16 Feb, 2010 07:56 AMबुन्देलखण्ड का पठारी भाग मध्यप्रदेश के उत्तरी भाग में 2406’ से 24022’ उत्तरी अक्षांश तथा 77051’ पूर्वी देशांतर से 80020’ पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। इस पठार के अन्तर्गत छतरपुर, टीकमगढ़, दतिया, शिवपुरी, ग्वालियर और भिण्ड जिलों के कुछ भाग आते हैं। इसका भौगोलिक क्षेत्रफल मध्यप्रदेश के कुल क्षेत्रफल 23,733 वर्ग किलोमीटर का 5.4 प्रतिशत है। इसके पूर्वोत्तर में उत्तर प्रदेशीय बुन्देलखण्ड के जालौन, झाँसी, ललितपुर, हमीरपुर और बाँदा, महोबा, चित्रकूट जिले हैं।
बुन्देलखण्ड का पठार प्रीकेम्बियन युग का है। पत्थर ज्वालामुखी पर्तदार और रवेदार चट्टानों से बना है। इसमें नीस और ग्रेनाइट की अधिकता पायी जाती है। इस पठार की समुद्र तल से ऊँचाई 150 मीटर उत्तर में और दक्षिण में 400 मीटर है। छोटी पहाड़ियाँ भी इस क्षेत्र में है। इसका ढाल दक्षिण से उत्तर और उत्तर-पूर्व की ओर है।
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चालीस हजार से अधिक ग्राम जल स्वच्छता समितियां गठित
Posted on 23 Sep, 2008 08:10 PMसमिति में शत-प्रतिशत सदस्यता महिलाओं को /ग्वालियर/ 23 अप्रैल 08/ समग्र स्वच्छता अभियान के तहत प्रदेश में अब तक 40 हजार से अघिक ग्राम जल स्वच्छता समितियों का गठन किया जा चुका हैं। समितियों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें सभी सदस्य महिलाएं हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री रूस्तम सिंह ने बताया कि राज्य शासन ने ग्राम जल स्वच्छता समितियों में महिलाओं की शत-प्रतिशत भागीदारी इसलिए सुनपर्यावरण सुरक्षा
Posted on 19 Sep, 2008 02:28 PMसहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों में संभवत: यह सबसे मुश्किल लक्ष्य है क्योंकि यह मुद्दा इतना सरल नहीं है, जितना दिखता है। टिकाऊ पर्यावरण के बारे में जिस अवधारणा के साथ लक्ष्य सुनिश्चित किया गया है, सिर्फ उस अवधारणा के अनुकूल परिस्थितियां ही तय सीमा में तैयार हो जाए, तो उपलब्धि ही मानी जाएगी।
सूखे से निजात के लिए बलराम तालाब योजना
Posted on 04 Sep, 2008 08:58 AMग्वालियर /झांसी/ मध्य प्रदेश- बुन्देलखण्ड: मध्य प्रदेश शासन द्वारा बलराम तालाब योजनांतर्गत अप्रैल 2008 से किसानों को अधिकतम 80 हजार रूपये का अनुदान दिया जायेगा। पूर्व में यह राशि 50 हजार रुपये निर्धारित थी। अपर्याप्त वर्षा एवं भूजल के अनियंत्रित दोहन से प्रदेश में भूजल स्तर में काफी गिरावट आई है। गिरते भूजल को रोकने और कृषि के समग्र विकास के लिए सतही तथा भूमिगत जल की उपलब्धता को समृध्द करने तथा