वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं
ग्वालियर- पानी के अंधाधुंध दोहन के कारण भू-जल स्तर और गिरता जा रहा है। वर्षा के जल को संरक्षित करने के लिए शहर में वाटर हार्वेस्टिंग जैसी कोई तैयारी फिलहाल नहीं है। शहर में एक लाख से अधिक मकान व बहुमंजिला भवन हैं लेकिन इनमें से पांच फीसदी में भी रूफ वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं की गई है।जिला प्रशासन, नगर निगम, जिला पंचायत, लोक निर्माण विभाग सहित अन्य सभी सरकारी महकमों के बड़े-बड़े भवनों पर वाटर हार्वेस्टिंग की योजना कागजों में तैयार हो चुकी है लेकिन उसका क्रियान्वयन अभी पूरी तरह नहीं हो पाया है। वाटर हार्वेस्टिंग के अभाव में बरसात का साफ पानी शहर के गंदे नाले-नालियों में बहकर बेकार हो जाएगा।
ग्वालियर की औसत बरसात 750 मिलीमीटर है। यदि इस बरसात का पानी डैम को भरने के अलावा भू-जल भरण में उपयोग हो तो इस पानी से शहर की पांच साल तक प्यास बुझाई जा सकती है। शहर में पक्की सड़कें, पक्के मकान व अन्य पक्के निर्माण होने के कारण बरसात का पानी जमीन के अंदर नहीं पहुंच पाता है। शहर में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग के जरिए बरसात का पानी जमीन के अंदर पहुंचाया जा सकता है।
नगर निगम सीमा क्षेत्र में शहर में एक लाख मकान व बहुमंजिला इमारतें हैं। नगर निगम की मंजूरी के बाद बनी इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए प्रावधान है। इसके लिए निगम प्रशासन निर्धारित शुल्क लेता है और हार्वेस्टिंग सिस्टम की जांच के बाद शुल्क वापस कर देता है लेकिन अभी एक भी भवन की राशि वापस नहीं की गई है।
वर्ष 2001 की गणना में ग्वालियर जिले की आबादी1629881 थीं। जिसमें शहर की आठ लाख की आबादी भी शामिल थी। वर्तमान में अनुमानत: 10 लाख की आबादी है। फिलहाल तिघरा डैम से प्रतिदिन लगभग 28.31 करोड़ लीटर कच्चे पानी की सप्लाई की जा रही है। इसके अलावा शहर में नलकूपों से पानी की सप्लाई हो रही है। शहर में प्रतिदिन 30 करोड़ लीटर पानी की मांग है। वाटर हार्वेस्टिंग विशेषज्ञों के अनुसार जिले में मानसून की अच्छी बरसात में 1000 अरब लीटर तक पानी बरसता है।
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