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हिमालय पार का क्षेत्र
Posted on 19 Mar, 2017 04:46 PM
भारत के हिमालय पार के क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर का लद्दाख का सर्द रेगिस्तान और कारगिल क्षेत्र तथा हिमाचल प्रदेश की लाहौल और स्पीति घाटियाँ आती हैं।
जलवायु परिवर्तन की भेंट चढ़ रहे बांग्लादेश के गाँव
Posted on 18 Mar, 2017 11:11 AM
जलवायु परिवर्तन का सबसे बुरा असर दक्षिण पूर्व एशिया में देखन
साम्राज्यवादी साजिश में तबाह झूम कृषि
Posted on 19 Feb, 2017 12:25 PM
टोंग्या एक ऐसी चाल है जिसका अंग्रेजों ने बर्मा (आधुनिक म्यांमार) में खूब इस्तेमाल किया। इस पद्धति का पहली बार प्रयोग वहाँ 19वीं शताब्दी के मध्य में किया गया था। म्यांमार की भाषा में ‘टोंग’ का अर्थ टीला और ‘या’ का अर्थ खेती होता है। साम्राज्यवादियों ने इस पद्धति का विकास इसलिये किया, ताकि वनों को व्यावसायिक मूल्य वाले वृक्षों से पाटा जा सके। मानव श्रम के लिये उन्होंने ऐसे गैर-ईसाई लोगों को अप
बर्फबारी या आफत की आशंका
Posted on 10 Feb, 2017 01:12 PM

आर्कटिक टुंड्रा प्रदेश के स्थायी बर्फ के पिघलने से वहाँ दबी ग्रीनहाउस गैसें- कार्बन डाइऑक

और अब सियाचिन ... (Siachen Glacier Dispute)
Posted on 06 Jan, 2017 12:45 PM
क्या ग्लेशियर पिघलने के साथ बदल सकती है भारत और पाकिस्तान के बीच दुनिया के सबसे दुर्गम युद्ध क्षेत्र की सामरिक भूमिका
दुनिया भर में जल विवाद (Worldwide Water Dispute)
Posted on 06 Jan, 2017 12:19 PM
पानी की माँग बढ़ने के साथ-साथ इससे जुड़े विवाद भी बढ़ते जा रहे हैं। नदियों का पानी साझा करने वाले पड़ोसी देशों के बीच संघर्ष बढ़ रहे हैं। ऐसे जल विवाद अफ्रीका, एशिया और दक्षिणी अमेरिका के विकासशील देशों को विशेष तौर पर प्रभावित कर रहे हैं..

पानी से जुड़े विभिन्न प्रकार के संघर्षः


1. विकास पर विवाद

क्या पानी होगा जंग का हथियार
Posted on 05 Jan, 2017 04:48 PM
भारत और पाकिस्तान के तल्ख होते रिश्तों के बीच प्राकृतिक संसाधनों के सामरिक इस्तेमाल को लेकर छिड़ी बहस

“पीने का पानी एक बहुमूल्य वस्तु है और जीवन का पर्याय भी। इसका होना शक्ति प्रदान करता है” -जल सुरक्षा के मुद्दे पर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (आईडीएसए) टास्क फोर्स की रिपोर्ट
पेरिस जलवायु समझौता (Paris Climate Agreement)
Posted on 01 Jan, 2017 12:06 PM
जलवायु परिवर्तन पर पिछले साल पेरिस में बनी सहमति के बाद भारत ने भी इसे मंजूरी दे दी है। यह समझौता जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने और वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 2 डिग्री सेल्सियस के भीतर सीमित रखने से जुड़ा है। जानते हैं इस समझौते से जुड़े 10 अहम सवालों के जवाबः
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