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कोसी के कहर का ककहरा
Posted on 03 Sep, 2008 10:26 PM

कपिल शर्मा / बिजनेश स्टैंडर्ड/ नई दिल्ली : कोसी नदी भारत और नेपाल के बीच बहने वाली गंगा की सबसे बडी सहायक नदियों में से एक है। भारत में उत्तरी बिहार से प्रवेश करते हुए यह 9200 किलोमीटर का मार्ग तय करती है। और अंत में गंगा से मिलकर बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। कामता, बागमती और बूढ़ी गंडक भारत में इसकी प्रमुख उपनदियां है। बिहार में प्रतिवर्ष इस नदी द्वारा

Kosi flood
अनुपम मिश्र की तालाब साधना
Posted on 01 Sep, 2008 07:43 PM

बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि सीएसई की स्थापना में अनुपम मिश्र का बहुत योगदान रहा है। इसी तरह नर्मदा पर सबसे पहली आवाज अनुपम मिश्र ने ही उठायी थी।

Anupam Mishra
नोसोकॉमियल संक्रमण क्या हैं, और यह पानी-पर्यावरण और स्वास्थ्य पर क्या असर कर रहा है
नोसोकॉमियल संक्रमण यानी अस्पतालजनित संक्रमण विश्व में सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण चुनौती है। इस गुप्त खतरे से भरती होने से पहले अथवा उस समय नहीं, बल्कि भरती रहने और इलाज की प्रक्रिया के दौरान संक्रमित होता है। गंभीर रोगों के इलाज के लिए अस्पताल तथा अति गंभीर स्थिति में आई सी यू यानी गहन चिकित्सा कक्ष में भरती होना पड़ता है। इसी दौरान कभी-कभी रोगी नोसोकोमियल संक्रमणों की चपेट में आ जाते हैं। Posted on 21 Aug, 2024 11:19 PM

नोसोकॉमियल संक्रमण यानी अस्पतालजनित संक्रमण विश्व में सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण चुनौती है। इस गुप्त खतरे से भरती होने से पहले अथवा उस समय नहीं, बल्कि भरती रहने और इलाज की प्रक्रिया के दौरान संक्रमित होता है। गंभीर रोगों के इलाज के लिए अस्पताल तथा अति गंभीर स्थिति में आई सी यू यानी गहन चिकित्सा कक्ष में भरती होना पड़ता है। इसी दौरान कभी-कभी रोगी नोसोकोमियल संक्रमणों की चपे

अस्पतालजनित संक्रमण
चुनाव, जलवायु परिवर्तन और युवा
चुनावों के सन्दर्भ में हमारे युवा जलवायु परिवर्तन को लेकर क्या सोचते हैं? क्या वे जलवायु परिवर्तन को जरूरी चुनावी मुद्दा मानते हैं? इस सर्वे से जलवायु शिक्षा के स्तर का भी पता चलता है। 59% युवाओं को उनके स्कूलों-कॉलेजों में दी जा रही शिक्षा से जलवायु परिवर्तन के कारण और परिणामों के बारे में पर्याप्त और सही जानकारी नहीं मिलती Posted on 14 Aug, 2024 03:19 PM

चुनावों के सन्दर्भ में हमारे युवा जलवायु परिवर्तन को लेकर क्या सोचते हैं? क्या वे जलवायु परिवर्तन को जरूरी चुनावी मुद्दा मानते हैं? हाल के आम चुनाव के दौरान कुछ संस्थाओं ने इसी बात को लेकर चार राज्यों के सात शहरों में एक सर्वे किया था।

चुनाव और पर्यावरण (courtesy - needpix.com)
बेपानी व्यवस्था के सामने पानी मांगता न्याय
कहते हैं कि पानी की अपनी स्मृति होती है। वो अपने आसपास से स्मृतियों को समेट कर लंबे समय तक अपने पास रखता है। व्यक्ति या व्यवस्था भले ही अपनी सुविधा या हित के लिए भूल जाए मगर पानी याद रखता है कि यहां नदी थी‚ यहां नाला था‚ यहां से होकर वो बरसात में बहता था‚ और गर्मी और सर्दी वो लौट कर वापस कहां रु कता था। इसलिए पानी की स्मृति को अनदेखा कर उसकी राह में बाधा डालने की कवायद एक विलंबित विनाश का निमंत्रण देती है। Posted on 14 Aug, 2024 02:26 PM

शुक्र है प्रशासन ने पानी के अवैध रूप से बेसमेंट में घुसने को लेकर पानी के ऊपर जुर्माना नहीं लगाया। कोचिंग हादसे के मामले में तीन छात्रों के मरने को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा प्रशासन के ऊपर की गई यह टिप्पणी बेपानी व्यवस्था के सामने न्याय के पानी–पानी होने की कहानी कहती है। पुलिस प्रशासन दिल्ली में कोचिंग सेंटर के बेसमेंट स्थित लाइब्रेरी में पानी भरने का कसूरवार उस एसयूवी चालक को ठहराना चा

बाढ़ (courtesy - needpix.com)
चुनौती बनता वायु प्रदूषण (भाग 2) : वायु प्रदूषण का प्रभाव
वायु प्रदूषण का सर्वाधिक दुःष्प्रभाव इंसान के स्वास्थ्य पर पड़ता है। हानिकारक गैसें और धूल आदि हमारे श्वसन तंत्र को बुरी तरह से प्रभावित करती है, जिससे श्वास संबंधी रोग बड़ी तेजी से फैलते हैं। पढ़िए वायु प्रदूषण के प्रभावों पर एक टिप्पणी
Posted on 08 Aug, 2024 05:24 PM

वायु प्रदूषण का प्रभाव

वायु प्रदूषण का सर्वाधिक दुष्प्रभाव इंसान के स्वास्थ्य पर पड़ता है। हानिकारक गैसें और धूल आदि हमारे श्वसन तंत्र को बुरी तरह से प्रभावित करती है, जिससे श्वास संबंधी रोग बड़ी तेजी से फैलते हैं। ऑक्सीजन की कमी के कारण लोगों में दम घुटने की शिकायत होना आम बात है। फेफड़ों के कैंसर, श्वास नली तथा गले की समस्या का मुख्य कारण वायु प्रदूषण ही है।

पराली, वायु प्रदूषण की बड़ी वजह (साभार छवि: www.freepik.com)
चुनौती बनता वायु प्रदूषण (भाग 1)
वायु हमारे लिए कितनी आवश्यक है, इसका अनुमान आप इसी से लगा सकते हैं कि एक मनुष्य बिना भोजन के पांच सप्ताह तक तथा बिना जल के पांच दिन तक जीवित रह सकता है, लेकिन बिना सांस लिए उसका पांच मिनट जीवित रहना भी मुश्किल है। इसलिए, जिस वायु में हम सांस लेते हैं, उसका शुद्ध व निरापद होना अनिवार्य है। यह आलेख वायु प्रदूषण पर शोधपरक टिप्पणी है। Posted on 07 Aug, 2024 06:47 PM

वायु प्रकृति का एक अनुपम उपहार है। इसी से पृथ्वी पर जीवन संभव है। वायु में ऑक्सीजन का भंडार होता है, जो कि हमारी प्राणवायु है। यह श्वसन के लिए अत्यन्त आवश्यक है। प्राकृतिक रूप से वायुमंडल स्वच्छ होता है, लेकिन आज मानव उसे दूषित कर रहा है। यही कारण है कि महानगरों में लोग वायु प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहनते वायु हमारे लिए कितनी आवश्यक है, इसका अनुमान आप इसी से लगा सकते हैं कि एक मनुष्य बिना भ

पराली जलाना (साभार छवि: विकिमीडिया कॉमन्स)
भूजल से संवरेगा कल
जल संकट का स्थायी समाधान भूजल ही है। इसी से हमारा कल यानि भविष्य संवर सकता है। अन्यथा जल के लिए संघर्ष होता रहेगा। खासतौर पर दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में पीने के जल का गंभीर संकट उत्पन्न हो जाता है। महिलाओं को कई किलोमीटर दूर जाकर जल लाना पड़ता है। क्योंकि उनके अपने गांव-कस्बे या क्षेत्र में भूमिगत जल स्रोत पूर्णतः सूख गए होते हैं। Posted on 21 Jul, 2024 08:47 AM

यह तो सर्वविदित है कि जल मानव की मूलभूत आवश्यकता है। प्रकृति ने वर्षा के माध्यम से जल प्रदान कर जनमानस पर बहुत उपकार किया है। प्रकृति बारह महीने मेहरबान नहीं रहती, अपितु मानसून के मौसम में ही अपनी कृपा प्रदान करती है। यदि जल को हमने संजोकर नहीं रखा, तो यह व्यर्थ ही वह जाएगा और फिर कुछ ही समय बाद भूजल के स्रोत भी सूखने लगेंगे। नतीजा यह होगा कि हमें ग्रीष्मकाल में जल की एक-एक बूंद के लिए तरसना पड

रंदुल्लाबाद, महाराष्ट्र में एक सिंचाई कुआँ। छवि स्रोत: इंडिया वाटर पोर्टल
संदर्भ दिल्ली बाढ़: जरूरी निर्णय लेने होंगे तभी रुकेंगे हादसे
सब कुछ बेहतर और बेहतरीन तभी होगा जब सरकार की कार्यशैली निष्पक्ष और निर्भीक होगी। हम दिल्ली की ही बात करें तो यहां कई इलाके ऐसे हैं‚ जहां झुग्गियों में बड़ी आबादी बसती है। कई इलाके तो ऐसे हैं जहां सरकारी जमीनों‚ नाले‚ तालाब आदि का बड़े पैमाने पर अतिक्रमण कर लिया गया है। नतीजतन‚ थोड़ी सी बरसात में शहर कितना परेशानहाल हो जाता है‚ यह जगजाहिर है। दूसरी अहम वजह‚ सिविक एजेंसियां–नई दिल्ली म्युनिसिपल कमेटी (एनडीएमसी) और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में गहरे तक भ्रष्टाचार और काहिली है। Posted on 20 Jul, 2024 10:21 AM

थोड़ी सी बारिश से शहर की सूरत किस कदर बिगड़ जाती है‚ यह हम–आप देखते हैं। अभी पखवाड़े भर पहले दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हालात कितने भयावह और दारुûण थे‚ यह बताने की जरूरत नहीं है। लुटियन दिल्ली के करोड़ों रुपये वाले घरों में कमर भर पानी भर गया‚ सांसद अपनी चरण पादुका हाथों में लिए अपनी कोठी की ओर पैदल जाने को मजबूर दिखे‚ एक पार्षद तो अपने इलाके में नाव चला रहे थे। कुल मिलाकर दिल्ली औ

शहरी बाढ़ (courtesy needpix.com)
संदर्भ शहरी बाढ़: काश! दिल्ली बारिश को जी भर के जी पाए
जब तक हम पुराने बुनियादी ढांचे की बढ़ते शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उन्नत और आधुनिकीकरण की आवश्यकता पर बल नहीं देंगे तब तक प्रत्येक वर्ष इन समस्याओं से जूझते रहेंगे। यह समस्या अचानक से नहीं आती‚ हमें इसके आने की सूचना होती है। पूर्व की गलतियों से सीखने के मौके होते हैं। Posted on 20 Jul, 2024 09:09 AM

सिनेमा ने बरसात को बहुत ही रोमांटिक तौर पर चित्रित किया है। कई लोकप्रिय और मधुर गानों से फिल्मों में बरसात के मौसम को दिखलाया गया है। साहित्य ने भी बारिश को प्रेम और रोमांस से जोड़ा है। मानसून में बारिश का आना स्वाभाविक चक्र है‚ और इन तमाम प्रसंगों के बीच जब बारिश का मौसम आता है तो देश की राजधानी दिल्ली के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। कोई समस्या जब बार–बार दोहराने लगे तो इसका मतलब है कि हम समस्या क

शहरों में बाढ़ अब हर साल की समस्या
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