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वन्य संरक्षण के नाम पर स्थानीय लोगों की अनदेखी
Posted on 07 May, 2019 04:01 PM

इस साल फरवरी के महीने में दुनिया के बड़े देशों में एक ने एक अदालती आदेश जारी किया। जिसके अनुसार उस देश में जंगलों में रहने वाले 10 लाख लोगों को अपने घर से जाना होगा। इस आदेश ने 10 लाख लोगों को अपने घर से बेदखली की ओर खड़ा कर दिया। भारत एक ऐसा देश है जहां लगभग 8 फीसदी वैश्विक प्रजातियां जंगल में पाई जाती है और 1 करोड़ से ज्यादा जंगलों में रहने वाले लोगों ने इस फैसलों पर शीर्ष अदालत में कोई चुनौती न

forest-conservation
एक एक बूंद का इस्तेमाल करना होगा
Posted on 06 May, 2019 04:12 PM

पिछले साल गर्मियों में हिमालय की गोद में बसे शहर शिमला में पानी की भारी किल्लत हो गई थी। इस शहर को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए रोजाना 440 लाख लीटर पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन उस वक्त हालात ऐसे हो गए थे कि हर दिन 150 लाख लीटर पानी जुटाना भी मुश्किल हो गया था। इस कारण स्थानीय लोगों को तो परेशानी से गुजर ना ही पड़ा, यहां आने वाले पर्यटकों को भी खासी मुश्किलें पेश आई। हालांकि इस तरह का जल संकट

एक-एक बूँद पानी का महत्व समझना होगा
पर्यावरण पर ‘पुरस्कृत’ गंभीरता नहीं दिखी
Posted on 04 May, 2019 11:20 AM

जलवायु परिवर्तन पर पूरी दुनिया में एक नई बहस छिड़ी हुई है। सोलह साल की ग्रेटा थनबर्ग ने जलवायु परिवर्तन के लिए स्कूल हड़ताल शुरू की जिसके बाद पूरी दुनिया में खासकर बच्चों और युवाओं ने पर्यावरण बचाने की लड़ाई को अपने हाथों में ले लिया। गीता सहित इन युवाओं का सबसे बड़ा आरोप है कि पूरी दुनिया में राजनीतिज्ञ और सत्ता में बैठे लोग जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। नई पीढ़ी अपने भविष्य क

मवेशियों का खून पीते हैं पिशाच चमगादड़ बदले में देते हैं रेबीज बीमारी
Posted on 04 Apr, 2019 08:42 AM

भारतीय ग्रन्थों, साहित्यों व कहानियों में पिशाचों (वैम्पायर्स) का कई प्रारूपों में उल्लेख मिलता है। यही नहीं फिल्मों व टेलीविजन के कई सीरियल्स में भी खून पीने वाले पिशाचों को अनोखे अन्दाज व डरावने रूपों (ड्रैकुला,चुड़ैल,भूत, राक्षस, चमगादड़ इत्यादि) में अक्सर दिखाया जाता है। लेकिन विज्ञान में इनका कोई स्थान नहीं है। परन्तु प्राणी-जगत में ऐसे भी स्तनधारी जीव हैं जो अपनी क्षुधा को शान्त करने के लिय

पिशाच चमगादड़ की अनोखी बनावट
नदी तंत्र पर मानवीय हस्तक्षेप और जलवायु बदलाव का प्रभाव
Posted on 16 Mar, 2019 06:09 AM

आदिकाल से नदियाँ स्वच्छ जल का अमूल्य स्रोत रही हैं। उनके जल का उपयोग पेयजल आपूर्ति, निस्तार, आजीविका तथा खेती इत्यादि के लिये किया जाता रहा है। पिछले कुछ सालों से देश की अधिकांश नदियों के गैर-मानसूनी प्रवाह में कमी हो रही है, छोटी नदियाँ तेजी से सूख रही हैं और लगभग सभी नदी-तंत्रों में प्रदूषण बढ़ रहा है। यह स्थिति हिमालयीन नदियों में कम तथा भारतीय प्रायद्

नदी तंत्र
कोयल कमाल के शातिर चालाक व बर्बर परिंदे
Posted on 16 Mar, 2019 05:12 AM महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य के कथनानुसार जो ज्यादा ही अधिक मीठा बोलता है वो अक्सर भरोसेमन्द नहीं होता। ऐसे लोग प्राय: आलसी, कामचोर, चालाक व धूर्त प्रवृत्ति के होते हैं। वहीं इनकी शारीरिक भाषा एवं आँखों की पुतलियों की हरकत भी अलग सी होती है।
एशियन मादा कोयल
अंधेरे गाँवों को रोशन करने का काम
Posted on 14 Mar, 2019 01:00 PM

मैं पटना में पली बढ़ी। इसके बावजूद ग्रामीण भारत की समस्याओं को मैं गहराई से समझती हूँ। वर्ष 2014 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) से सामाजिक उद्यमिता में मास्टर्स की डिग्री लेने के बाद मैं इंटर्नशिप करने के लिये मध्य प्रदेश में झाबुआ के एक गाँव में चली गई। झाबुआ की उस यात्रा ने मेरी आँखें खोल दी। वहाँ के जिस गाँव में मैं गई, वहाँ किसी घर में शौचालय नहीं था और न ही बिजली थी। इस का

Electricity
महुआ ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सदाबहार पोषक
Posted on 27 Feb, 2019 06:16 PM वनस्पति जगत में ऐसे पेड़-पौधे बहुत कम हैं जिनका हर भाग व अंग जैसे तना, छाल, पत्तियाँ, फूल, फल व बीज किसी-न-किसी रूप में न केवल इंसानों के बल्कि विभिन्न प्रजाति के जीव-जन्तुओं के लिये बहु उपयोगी होते हैं।
महुआ पेड़ की पत्तियाँ
कैनवास पर प्रकृति के रंग
Posted on 23 Feb, 2019 05:49 PM
प्रकृति तब सबसे अधिक सुन्दर दिखती है, जब फिजा में बसन्ती हवा की खुशबू फैलने लगती है और पेड़-पौधें यहाँ तक कि हर एक पत्ता अलमस्त धूप में खिलखिलाने लगता है। तभी तो चित्रकार की कूची सबसे अधिक बसन्त ऋतु में ही प्रकृति के चित्र उकेरती है…
दृश्य चित्रण
राष्ट्रीय जल स्वास्थ्य मिशन
Posted on 18 Feb, 2019 05:26 PM

इनरेम फाउंडेशन द्वारा नीति आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई मिशन की एक झलक

मुख्य बिंदु:

- पानी की खराब गुणवत्ता और उससे पैदा होने वाली बीमारियों से लड़ने के लिये एक राष्ट्रीय कार्यक्रम

फ्लोरोसिस
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