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खेती में मशीनीकरण का अव्यावहारिक पक्ष
Posted on 03 Dec, 2017 01:30 PM
भारत में खेती की स्थिति कमाल की है। राजनीति में इसका जितना ऊँचा स्थान है, नीति-निर्माण में इसे उतना ही नजरअंदाज किया गया है। आजीविका के लिहाज से यह जितनी व्यापक है, अर्थव्यवस्था में योगदान के लिहाज से इसका स्थान उतना ही गौण है। इस विरोधाभासी स्थिति का ही नतीजा है कि किसान से करीबी का दावा करने वाले नेताओं और मंत्रियों से भरे इस देश में आजादी के 70 साल बाद भी जब खेती का जिक्र आता है, तब किसान
फुटपाथ ने मुझे कार्टूनिस्ट बनाया अब सेव वॉटर, सेव गॉड मिशन
Posted on 03 Dec, 2017 12:19 PM
सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट, कहानीकार, उपन्यासकार, कवि और अब एक्टिविस्ट डब्बूजी यानी आबिद सुरती इन दिनों पानी बचाने की रचनात्मक मुहिम में लगे हैं। उनके नजरिये से यह सृजनधर्मिता का वास्तविक दाय है। अपने में समूचे समय और विशद अनुभवों को समेटे डब्बूजी एक खुली किताब की तरह हैं। यहाँ प्रस्तुत है संजय सिंह से हुई विस्तृत बातचीत के प्रमुख सम्पादित अंश-
किसान की स्थिति में सम्भव है सुधार
Posted on 03 Dec, 2017 10:45 AM

जमीन किसान के लिये सिर्फ जमीन नहीं है। जमीन उत्पादन के लिये महत्त्वपूर्ण इनपुट है। जोखिम से बचाव का इंश्योरेंस है। विरासत में देने-लेने की संपत्ति है। और सबसे बढ़कर किसान के तौर पर उसकी थाती है। इसलिये वह अपनी जमीन बचाने के लिये खुद को जमीन में गाड़ने और विरोध-प्रदर्शन के लिये जी-जान लगाने से भी गुरेज नहीं करता।

मर्ज बढ़ता गया जो यूँ दवा हुई
Posted on 02 Dec, 2017 04:24 PM

कुछ माह पूर्व मध्य प्रदेश के लगभग सभी दाल व्यापारी हड़ताल पर चले गये थे क्योंकि सरकार उन पर ‘‘एमएसपी” के म

आदर्श ग्राम योजना में रुचि क्यों नहीं दिखा रहे सांसद
Posted on 02 Dec, 2017 01:43 PM

यह सच है कि शिक्षा, जनस्वास्थ्य तथा आधारभूत विकास सहित मानवीय जीवन स्थितियों में बड़े-बड़े बदलाव रातों-रात

पर्यावरणीय-सामाजिक मानकों पर निगरानी रखने की जरूरी
Posted on 01 Dec, 2017 11:50 AM
परियोजनाआें में विस्थापन के दौरान जो खतरे पैदा होते हैं, उन्हें पहले से पहचान कर समाधान के समुचित प्रयास जरूरी है। प्रभावित लोगों से चर्चाएँ की जानी चाहिये, जिससे उनका विश्वास तथा भागीदारी बढ़े। अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं ने अनुदान की शर्तों में पर्यावरणीय तथा सामाजिकता के जो मानक दर्शाये हैं, उन पर अमल तथा निगरानी सख्ती से होना जरूरी है। हाल ही में जो नई रुप-रेखा तैयार की है उसमें वि
इलेक्ट्रो होम्योपैथी में सम्भावनाएँ हैं अपार
Posted on 30 Nov, 2017 03:08 PM

क्या है इलेक्ट्रो होम्योपैथी

जागरुक करने के लिये कला को बनाया माध्यम
Posted on 30 Nov, 2017 03:05 PM
अगर लंदन की टेम्स नदी को पुनर्जीवित किया जा सकता है तो फिर यमुना को क्यों नहीं। ये कहना है कि मुम्बई के 37 वर्षीय कलाकार भूषण कल्प का। भूषण अपनी कला के जरिए दिल्ली में यमुना नदी किस तरह खत्म हो रही है, इस पर रोशनी डाल रहे हैं। भूषण ने बताया कि किस तरह कला बदलाव का सबसे महत्त्वपूर्ण जरिया बन सकती है। इसकी मदद से लोग ये समझेंगे कि यमुना को पुनर्जीवित करने के लिये क्या करने की जरूरत है। इसमे
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