दिल्ली

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जंगलों के अभाव में वन्यजीवों का हो रहा जीना मुश्किल
Posted on 02 Feb, 2018 02:57 PM

बीते सालों के आँकड़ों पर नजर डाली जाये तो पता चलता है कि साल 2014 से 2016 के बीच के इन तीन सालों में 1052

forest
फसलों के लिये संजीवनी बनी ठंडक और धुंध
Posted on 02 Feb, 2018 11:07 AM
मौसम में बनी ठिठुरन और धुंध ने बेशक आम आदमी की परेशानी बढ़ाने का काम किया है लेकिन यह ठंडक और धुंध का मौसम रबी की फसलों के लिये संजीवनी से कम नहीं है। रबी की फसल गेहूँ, सरसों और जौ के लिये हाल ही में हुई हल्की बूँदाबाँदी एक प्रकार से संजीवनी साबित होगी, क्योंकि फसलों की बीजाई के बाद से ही किसान कम-से-कम एक बरसात होने का इन्तजार कर रहे थे। अन्ततः किसानों की यह तमन्ना कुदरत ने पूरी कर दी। किसा
आर्द्रभूमि को लेकर सूख रही आँखों की नमी
Posted on 01 Feb, 2018 04:30 PM

विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2 फरवरी 2018 पर विशेष


2 फरवरी को दुनिया भर में विश्व आर्द्रभूमि (वेटलैंड्स) दिवस मनाया जाता है। सन 1971 में इसी दिन वेटलैंड्स को बचाने के लिये ईरान के रामसर में पहला सम्मेलन किया गया था। इसलिये इस सम्मेलन को रामसर सम्मेलन (कन्वेंशन) भी कहा जाता है।

इस कन्वेंशन में एक अन्तरराष्ट्रीय समझौता किया गया था। इस समझौते की बुनियाद में विश्व भर की आर्द्रभूमि की सुरक्षा का संकल्प था।
लोकटक झील
इस मानसून, अब हमारी बारी
Posted on 29 Jan, 2018 01:07 PM
पेड़ों, पहाड़ों, नदियों की आराधना करने वाले हम प्रकृति से दूर हो गये हैं। प्राकृतिक स्रोतों का हर पल आभार मानना हमने छोड़ दिया है। जीवनशैली इतनी कैसी बदल सकती है कि जीवन की ही अवहेलना होने लगे? बहुत समय हो गया प्रकृति से लेते-लेते, अब एहसान चुकाने की बारी हमारी है।
प्लास्टिक की इंजीनियरिंग
Posted on 27 Jan, 2018 11:27 AM
प्लास्टिक कचरा ऐसी समस्या है, जिस पर सबसे ज्यादा बहस होती है। पर्यावरण को इससे काफी नुकसान पहुँचता है। प्लास्टिक के इस्तेमाल पर कई राज्य सरकारों ने पाबंदी भी लगाई पर ज्यादा कामयाबी नहीं मिली। राजगोपालन वासुदेवन ने अपनी खोज से पर्यावरण के दुश्मन प्लास्टिक को बेहद उपयोगी बना दिया और इसीलिये उन्हें ‘प्लास्टिक मैन ऑफ इंडिया’ कहा जाता है। इसी खोज के लिये उन्हें पद्मश्री देने का ऐलान किया गया…
नमामि गंगे - बन्द करो निर्मलता का नाटक
Posted on 25 Jan, 2018 11:28 PM


अब यह एक स्थापित तथ्य है कि यदि गंगाजल में वर्षों रखने के बाद भी खराब न होने का विशेष रासायनिक गुण है, तो इसकी वजह है इसमें पाई जाने वाली एक अनन्य रचना। इस रचना को हम सभी ‘बैक्टीरियोफेज’ के नाम से जानते हैं।

बैक्टीरियोफेज, हिमालय में जन्मा एक ऐसा विचित्र ढाँचा है कि जो न साँस लेता है, न भोजन करता है और न ही अपनी किसी प्रतिकृति का निर्माण करता है। बैक्टीरियोफेज, अपने मेजबान में घुसकर क्रिया करता है और उसकी यह नायाब मेजबान है, गंगा की सिल्ट।

गंगा
कन्फेक्शनरी के काम आएगी मूंगफली की नई किस्म
Posted on 23 Jan, 2018 09:41 AM
नई दिल्ली : भारतीय वैज्ञानिकों ने मूंगफली की ऐसी किस्म विकसित की है जो किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण साबित हो सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि देश के किसान कन्फेक्शनरी उत्पादों में बहुतायत में उपयोग होने वाली तेल की उच्च मात्रा युक्त मूंगफली इस नई किस्म की खेती करके फायदा उठा सकते हैं। जल्दी ही मूंगफली की यह किस्म भारत में जारी की जा सकती है।
greeen house
ग्रामीण पर्यटन : विकास और विस्तार की ओर
Posted on 21 Jan, 2018 12:33 PM
ग्रामीण भारत के पास लोगों को देने के लिये बहुत कुछ है। इन क्षेत्रों की पहचान करने और इस क्षेत्र में पर्यटन की सम्भावनाएँ खोजने के लिये केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के एकजुट प्रयासों की आवश्यकता है। देश में ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिये यह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। ऐसा करने पर ही ग्रामीण पर्यटन का विस्तार और विकास हो सकता है।
भारत में ग्रामीण पर्यटन में सम्भावनाएँ
Posted on 21 Jan, 2018 12:24 PM
प्रेम के शाश्वत प्रतीक ताजमहल से लेकर दक्षिण भारत के मन्दिरों और राजस्थान के भव्य किलों जैसे स्मारक देशभर में फैले हुए हैं। इसी तरह बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियाँ, घने जंगल, सुनहरे तट और रेतीले मरुस्थल भारत को पर्यटकों के लिये सही मायने में ‘अतुल्य’ गन्तव्य बनाते हैं। चिकित्सा, आरोग्य और गोल्फ जैसे खेलों के खास मकसद से यात्रा करने वाले पर्यटकों के लिये भी भारत के पास देने को बहुत कुछ है।
धुंध, वायु गुणवत्ता और मानव स्वास्थ्य पर वार्ता
Posted on 20 Jan, 2018 03:48 PM
हाल ही के दिनों में दिल्ली के पड़ोसी राज्यों द्वारा फसल जलाये जाने के कारण दिल्ली में फैले मात्र 8 प्रतिशत स्मॉग ने राजधानी को एक सप्ताह के लिये घेर लिया। वास्तव में, इस स्मॉग के मुख्य कारण वाहनों द्वारा होने वाला प्रदूषण और इमारतों का निर्माण कार्य हैं जिनके कारण पार्टिकुलेट कण वातावरण में जमा होते रहते हैं। फसलों के जलाये जाने से वायु की गुणवत्ता और अधिक घट जाती है और वही कारण है कि दिल्ली
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