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कथा एक नद की महाबाहु ब्रह्मपुत्र
Posted on 03 Jul, 2015 09:32 AM ब्रह्मपुत्र असमिया जाति के इतिहास की धारा का प्रतीक है। यह विकासमान असमिया संस्कृति का महाकाव्य है। यह नदी नहीं नद है। यह किरातों को महानद है। यह मात्र जलधारा नहीं है, बल्कि इतिहास में विकासमान एक भावसत्ता भी है
ग्लोबल वार्मिंग की नई चुनौतियाँ
Posted on 02 Jul, 2015 01:18 PM बढ़ते तापमान के अलावा ऐसा और भी बहुत कुछ हमारी पृथ्वी पर हो रहा है,
बिलाते वनवासी
Posted on 02 Jul, 2015 01:03 PM अंडमान के आदिम कबीलों में से कई नष्ट हो गए, जो बचे हैं वे भी खत्म होने की कगार पर हैं। इसमें सरकारी नीतियों की भी बड़ी भूमिका रही है। उनकी जीन-शैली का अध्ययन किए बिना उन्हें मुख्यधारा में लाने के जो भी प्रयास हुए उनका प्रतिकूल असर ही दिखाई दिया। उनके खान-पान में बदलाव से अनेक बीमारियों ने उन्हें घेरना शुरू कर दिया, उनकी आबादी निरन्तर घटने लगी। अंडमान की अपनी विभिन्न यात्राओं के हवाले से वहाँ के
फ्लोरोसिस के साथ जिन्दगी
Posted on 02 Jul, 2015 12:44 PM


भारत में फ्लोरोसिस का पता 1930 के दशक में चला और तब से तकरीबन एक सदी बीतने के बावजूद यह एक विकराल समस्या के रूप में हमारे सामने मौजूद है। 1970 के दशक तक इस मसले पर कुछ गम्भीर शोध किये गए, मगर उस वक्त से अब तक इस विषय को लेकर कोई ढंग का रचनात्मक शोध नहीं हुआ है। जबकि इस दौरान समस्या और जटिल होती चली गई, जिससे इस समस्या पर काम करने वालों के लिये इससे जुड़कर आगे बढ़ना ही मुश्किल हो गया।

इस रोग से लाखों लोगों के पीड़ित होने के बावजूद वैश्विक स्तर पर इसके निदान के लिये कोई कार्यक्रम तैयार नहीं हुआ है और कोई ऐसी संस्था नहीं है जिसके पास इस रोग से मुकाबले की विशेषज्ञता हो, कुछ छोटे संस्थानों को छोड़कर जो इस दिशा में शोध कर रहे हैं और अपने नतीजों के सहारे फ्लोरोसिस से मुकाबला कर रहे हैं।

प्यास और विकास
Posted on 02 Jul, 2015 12:40 PM एक प्यास पानी की होती है और एक विकास की। पानी की प्यास जीवन बचाती है और विकास की प्यास सभ्यताओं का अग्रणी बनाती है। जाहिर है कि पानी और विकास दोनों की प्यास का होना जरूरी है। किन्तु पानी की प्यास बुझाए बगैर, विकास की प्यास की पूर्ति कभी नहीं हो सकती। यह एक वैज्ञानिक सत्य है। ऐसे में बगैर विनाश, विकास की प्यास रखने वालों के समक्ष यदि आज कोई सबसे बड़ी चुनौती है, तो यह कि इन दो प्यासों के बीच सन्तु
water
आपदा प्रबन्धन में असहाय
Posted on 02 Jul, 2015 12:36 PM देश में आपदा प्रबन्धन के लिए स्थापित किए गए विभागों पर लगभग दो करोड़
भारतीय कृषि की ज्वलंत समस्या—भूमिक्षरण (Burning issue of indian agriculture - Land Degradation)
Posted on 02 Jul, 2015 12:31 PM भारत जैसे कृषि प्रधान और जनसंख्या बहुल राष्ट्र में उचित भूमि प्रबं
फ्लोराइड : विष का अविरल प्रवाह (Fluorosis in India: An Overview)
Posted on 02 Jul, 2015 12:08 PM

काल और स्थान (टाइम और स्पेस)


फ्लोराइड नामक विष और उससे होने वाली बीमारी फ्लोरोसिस के बारे में हमें 1930 में ही पता चल गया था। फ्लोरोसिस रोग का फैलाव देश के बड़े भू-भाग में हो चुका है और 19 राज्यों के लोग इसके चपेट में आ गए हैं। इसके भौगोलिक फैलाव और इससे होने वाली समस्या की गम्भीरता का आकलन मुमकिन होने के बावजूद अब तक हमारे पास इसके बारे में समुचित जानकारी नहीं है। देश में अब भी फ्लोराइड प्रभावित इलाकों की खोज हो रही है; परन्तु इसके फैलाव की सीमा रेखा खींचने का काम अभी बाकी है। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि यह कहीं और विद्यमान नहीं है।

बरसों से इसने पेयजल के जरिए मिलने वाले पोषण को नुकसान पहुँचाया है। फ्लोराइड प्रभावित इलाकों में लोग बड़ी तेजी से अपंग हो रहे हैं। आज वास्तव में उस इलाकों में रहने वाले लोग एक अलग मुल्क के बाशिंदे लगने लगे हैं। उस देश के सभी नागरिक भावनात्मक रूप से एक हो गए हैं, सभी ज़मीन से निकाला गया ऐसा पानी पीते हैं, जिसमें प्रति लीटर पानी में 1.5 मिलिग्राम (मि.ग्रा.) से भी ज्यादा फ्लोराइड है। यहाँ रहने वाले सभी लोग बीमार हैं।
क्या धरती पर जीवन अब अन्त की ओर
Posted on 02 Jul, 2015 12:01 PM अमेरिका के तीन नामी विश्वविद्यालयों के शोध के अनुसार, धरती पर जीवन
फोटोग्राफी के मूल सिद्धान्त
Posted on 02 Jul, 2015 11:51 AM फोटोग्राफी जितना बड़ा विज्ञान है उतनी ही बड़ी यह कला भी है। आधुनिक डिजिटल कैमरों की मदद से अब इस मोहक विषय पर विशेषज्ञता प्राप्त करना सरल है।
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