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आज के कवियों की पर्यावरण-चिन्ता
Posted on 03 Aug, 2015 03:46 PM साहित्य और मानव जीवन तो एक-दूसरे के सदा से ही अभिन्न रहे हैं और यही कारण है कि साहित्य में निरन्तर मानव-जीवन के सरोंकारों की अभिव्यक्ति होती आई है।
विश्व जल शान्ति यात्रा
Posted on 03 Aug, 2015 01:09 PM स्थान : महात्मा गाँधी समाधि स्थल, राजघाट, नई दिल्ली
तारीख : 5 सितम्बर 2015, प्रातः 10 बजे

Gandhi vichar parishad
पुरानी या नई कारें, उन्हें बसों के लिये रास्ता बनाना होगा
Posted on 03 Aug, 2015 11:32 AM दस साल पुरानी डीजल गाड़ियों को प्रतिबन्धित करने के पीछे व्यावहारिक
वाम धारा से मुक्त हुई सरस्वती
Posted on 02 Aug, 2015 11:09 AM 6 दिसम्बर, 2004 को केन्द्र सरकार ने सरस्वती के अस्तित्व को मानने से मना कर दिया था। सरकार का यह दृष्टिकोण तब तक रहा, जब तक वह अपने अस्तित्व के लिये वामपंथी दलों पर आश्रित थी। सरकारी गठबन्धन से वाम दलों के प्रस्थान के बाद सरकार ने 3 दिसम्बर, 2009 को राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में सरस्वती नदी के अस्तित्व को ‘बिना किसी सन्देह’ के स्वीकार किया। उत्तर के कथन में यह भी कहा गया कि खोज में पाये गए
पानी की कीमत
Posted on 02 Aug, 2015 10:57 AM गर्मी की छुट्टियों में सुशान्त अपने मामा के यहाँ आया हुआ था। एक दिन सुबह के समय जैसे ही वह जागा, उसे गुसलखाने में से पानी बहने की आवाज सुनाई दी। सुशान्त ने गुसलखाने में जाकर देखा कि नल के नीचे रखी बाल्टी भर चुकी थी और नल में से पूरी रफ्तार से पानी बह रहा था। इससे पानी लगातार नाली में जाकर बर्बाद हो रहा था। सुशान्त ने नल की टोंटी बन्द कर दी।
मिथक, इतिहास और आदिवासी
Posted on 01 Aug, 2015 03:48 PM प्रकृति प्रेम और मानव स्वभाव सभी आदिवासी समूहों में एक समान मिलेगा।
एक जनचिन्तन
Posted on 31 Jul, 2015 04:28 PM जब तक जंगल और गाँव साथ-साथ था, जब तक जंगल सिर्फ जिन्दगी की बुनियादी
क्यों आती है बाढ़
Posted on 31 Jul, 2015 01:04 PM

सालों से वैज्ञानिक पर्यावरणीय खतरों को लेकर आगाह करते रहे हैं। दो दशक पहले रिमझिम बारिश का एक ल

Flood
भूकम्प : उत्पत्ति एवं प्रभाव
Posted on 30 Jul, 2015 03:13 PM भूकम्प का अभिप्राय सामान्यतः पृथ्वी की सतह के कम्पन से है। यह कम्पन पृथ्वी पर जीवन एवं सम्पत्ति को हानि पहुँचाने के लिए पर्याप्त होता है। भूकम्प की तीव्रता को सीस्मोमीटर (आधुनिक रूप) या रिएक्टर स्केल द्वारा मापा जाता है जिसे सीस्मोग्राफ कहते हैं। भूकम्प के फलस्वरूप झटकों को मरकैली पैमाने पर मापा जाता है। भूकम्प की तीव्रता में, एक तीव्रता की वृद्धि (यानी 6.0
क्या नदियाँ बची रह पाएँगी
Posted on 28 Jul, 2015 01:59 PM आज देश के सामने नदियों पर अस्तित्व का संकट मँडरा रहा है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हालिया अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि देश की 35 नदियाँ बुरी तरह से प्रदूषण की चपेट में हैं। बोर्ड द्वारा 2005 से 2013 के बीच आँकड़ों के आधार पर किये अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है कि देश की 40 नदियों की प्रदूषण जाँच में असम की एक और दक्षिण भारत की चार नदियाँ
Polluted river
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