दिल्ली

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अनोखी अद्भुत सूखी बर्फ
Posted on 20 Oct, 2015 12:28 PM

सूखी बर्फ मानव जीवन में कई तरह से लाभदायक सिद्ध हो रही है। कृषि क्षेत्र में भी यह उपयोगी है। इस

दिल्ली में प्रदूषण एक अध्ययन
Posted on 20 Oct, 2015 12:26 PM

प्रदूषण आज विश्वव्यापी समस्या बन चुकी है। भारत सहित विकासशील देशों में यह समस्या विशेष रूप से ख

यूँ तो सुफल नहीं ला पाएगी ‘नमामि गंगे’
Posted on 20 Oct, 2015 12:13 PM नदी बाँध विरोधियों के लिये अच्छी खबर है कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने दिल्ली सरकार को चेताया है कि वह बाँधों के निर्माण के लिये तब तक दबाव न डाले, जब तक कि वह दिल्ली की जल-जरूरत को पूरा करने के लिये अपने सभी स्थानीय विकल्पों का उपयोग नहीं कर लेती। जाहिर है कि इन विकल्पों में दिल्ली के सिर पर बरसने वाला वर्षाजल संचयन, प्रमुख है। आदेश में यह भी कहा गया है कि दिल्ली अपने जल प्रबन्धन को सक्षम बनाए तथा जलापूर्ति तंत्र को बेहतर करे।

पनबिजली के विरोधाभास


नदी बाँध विरोधियों के लिये बुरी खबर है कि देश की इसी सबसे बड़ी अदालत ने अलकनंदा-भागीरथी नदी बेसिन की पूर्व चिन्हित 24 परियोजनाओं को छोड़कर, उत्तराखण्ड राज्य की शेष पनबिजली परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिये, पर्यावरण मंत्रालय को छूट दे दी है।
Hydro power project
उद्योगजनित बीमारियाँ और बचाव
Posted on 19 Oct, 2015 04:32 PM

आधुनिक चिकित्सा पद्धति के आविष्कार से पहले महामारियों में लाखों व्यक्ति काल-कवलियत हो जाय

शुष्क क्षेत्रों में फलोत्पादन की सम्भावनाएँ
Posted on 19 Oct, 2015 03:32 PM

भारत जैसे तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या वाले देश में लोगों की खाद्यान्न आवश्यकताओं की पूर्त

उर्वरकों का सन्तुलित प्रयोग करना जरूरी
Posted on 19 Oct, 2015 02:47 PM

उर्वरकों के सन्तुलित प्रयोग-उपभोग में वृद्धि तथा दक्ष उपयोग क्षमता को बढ़ावा देने के लिए यह आवश

मूर्ति विसर्जन पर एक चिट्ठी, धर्माचार्यों के नाम
Posted on 18 Oct, 2015 03:16 PM

नवरात्र विशेष


धर्म जगत के सभी आचार्यों को प्रणाम।
मूर्ति विसर्जन पर एक विनम्र निवेदन प्रस्तुत कर रहा हूँ।
उचित लगे, तो स्वीकारें और अनुचित लगे, तो मुझे सुधारें।
खुशी होगी।


आचार्यवर!
.आम धारणा है कि मुख्य रूप से उद्योग, सीवेज और शहरी ठोस कचरा मिलकर हमारी नदियों को प्रदूषित करते हैं। इसीलिये प्रदूषण के दूसरे स्रोत, कभी किसी बड़े प्रदूषण विरोधी आन्दोलन का निशाना नहीं बने। समाज ने खेती में प्रयोग होने वाले रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों को नदी के लिये कभी बड़ा खतरा नहीं माना।

संस्कार व दूसरे धार्मिक कर्मकाण्डों में प्रयोग होने वाली सामग्रियों के कारण नदियों का कुुछ नुकसान होने की बात का विरोध ही हुआ। देखने में यही लगता है कि धूप, दीप, कपूर, सिंदूर, रोली-मोली, माला, माचिस की छोटी सी तीली, और पूजा के शेष अवशेष मिलकर भी क्या नुकसान करेंगे इतनी बड़ी नदी का। इसी सोच के कारण हम अपनी आस्था को आगे पाते हैं और नदी की सेहत को पीछे।
statue immersion
दिल्ली के भूजल में पानी कम रसायन अधिक
Posted on 18 Oct, 2015 12:34 PM दिल्ली में लाखों लोग पानी के साथ लेड, कैडमियम, फ्लोराइड, नाइट्रेट व क्रोमियम जैसे भारी तत्वों का सेवन कर रहे हैं। इन तत्वों से हड्डियाँ प्रभावित होती हैं और बच्चों के स्वांस तंत्र को नुकसान पहुँचता है। इतना ही नहीं, कई मामलों में तो ये कैंसर जैसी गम्भीर बीमारियों का कारण भी बन जाते हैं।
Yamuna
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