अनोखी अद्भुत सूखी बर्फ

सूखी बर्फ मानव जीवन में कई तरह से लाभदायक सिद्ध हो रही है। कृषि क्षेत्र में भी यह उपयोगी है। इसे रासायनिक प्रक्रिया से निर्मित किया जाता है। लेखक ने प्रस्तुत लेख में सूखी बर्फ के विभिन्न उपयोग बताए हैं।

सूखी बर्फ के नाम से भला कौन परिचित नहीं होगा? वस्तुतः यह एक ऐसी बर्फ है जिसका पानी से लेश मात्र भी लेना-देना नहीं है। वैसे बर्फ का नाम सुनते ही हमारे मस्तिष्क में पानी, दूध या अन्य तरल पदार्थों की ठोस अवस्था तस्वीर के रूप में उभरने लगती है जिसे हम बड़े चाव से खाते हैं। लेकिन विचित्र बात तो यह है कि सूखी बर्फ का हमारे आहार से दूर तक का भी कोई सम्बन्ध नहीं है।

वास्तव में सूखी बर्फ और कुछ नहीं अपितु ठोस बनाई गई कार्बन-डाई-ऑक्साइड गैस का ही दूसरा नाम है। इसकी शक्ल पानी की बर्फ से काफी मिलती-जुलती है परन्तु यह न तो खाई जाती है और न ही इससे कपड़े भीगते हैं। ठोस कार्बन-डाइ-ऑक्साइड को सूखी बर्फ इसलिए कहते हैं क्योंकि सामान्य बर्फ की तरह यह ठोस द्रव में परिवर्तित नहीं होती है बल्कि वायुमंडलीय दाब और 78.7 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान पर ठोस से सीधे गैस में परिवर्तित हो जाती है। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि सूखी बर्फ भी कपूर या नैप्थलीन की तरह ठोस से बिना द्रव अवस्था में आए ही गैसीय अवस्था में बदल जाती है। हालाँकि आवश्यकता पड़ने पर इसे कुछ विशेष रासायनिक क्रियाओं द्वारा द्रव अवस्था में लाया जाता है जो एक कठिन और खर्चीली प्रक्रिया है।

कैसे बनती है सूखी बर्फ


सूखी बर्फ बनाने के लिए कार्बन-डाइ-ऑक्साइड गैस को मुख्यतः कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, जो मिट्टी का तेल या पेट्रोलियम पदार्थों को जलाकर प्राप्त किया जाता है। वैसे कभी-कभी चूने की भट्टियों या अल्कोहल बनाने के कारखानों से भी यह गैस प्राप्त कर ली जाती है। इस तरह से प्राप्त कार्बन-डाइ-ऑक्साइड गैस को कास्टिक सोडा, सक्रिय तारकोल से गुजारकर शुद्ध कर लिया जाता है।

तत्पश्चात शुद्ध कार्बन-डाइ-ऑक्साइड को संपीड़ित करके 900 से 1000 पौंड प्रति वर्ग इंच का दबाव उत्पन्न किया जाता है जिससे यह गैस मात्र 15.5 डिग्री सेन्टीग्रेड पर ही द्रव अवस्था में आ जाती है। फिर इसे यान्त्रिक संपीड़कों में दबाया जाता है जिससे यह ठोस बन जाती है और यही ठोस कार्बन-डाइ-ऑक्साइड गैस सूखी बर्फ कहलाती है। इसका उर्ध्वपातन (सब्लिमेशन) रोकने के लिए क्राफ्ट पेपर में लपेटकर तापरोधक बर्तनों में ठीक से रख दिया जाता है।

विशेषता


यह बहुत ठंडी होती है तथा छूने पर शरीर का ताप शीघ्र ग्रहण कर वाष्पित हो जाती है। यह सामान्य बर्फ अर्थात ‘आइस’ के समान ही श्वेत ठोस होती है। इसका अपेक्षित घन्त्व भी पानी की बर्फ से अधिक होता है। सूखी बर्फ 78.7 डिग्री सेन्टीग्रेड पर सीधे गैस में बदलने लगती है। इसके शरीर के सम्पर्क में आने पर खूब तेज जलन होती है जिससे फफोले तक पड़ जाते हैं। यही कारण है कि इसे हाथ से न छूकर चम्मच आदि से उठाया और रखा जाता है। यह जानकर आश्चर्य होगा कि सामान्य बर्फ की तुलना में यह चौगुनी गर्मी समाप्त करती है। इसलिए आम बर्फ की तुलना में इसकी केवल एक चौथाई मात्रा की ही खपत होती है। इससे धीरे-धीरे मुक्त होने वाली कार्बन-डाइ-ऑक्साइड गैस जीवाणुओं को मारने एवं उसकी मात्रा बढ़ाने से रोकने में काफी सहायक होती है।

उपयोगिता


सूखी बर्फ का उपयोग मुख्य रूप से बर्फ जमाने की फैक्ट्री में किया जाता है। सूखी बर्फ और ईथर के मिश्रण का तापक्रम 79 डिग्री सेन्टीग्रेड तक होता है। अतः कमरों को ठंडा करने के लिए प्रशीतक के रूप में भी सूखी बर्फ का व्यापक उपयोग किया जाता है। सब्जी, फल आदि के संरक्षण में भी इसका इस्तेमाल होता है। इसका उपयोग मछली, माँस, अंडे, आइसक्रीम इत्यादि को ठंडा रखकर दूर-दूर तक सही-सलामत पहुँचाने में भी होता है। विभिन्न शोध कार्यों में भी इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

यही नहीं, इसकी मदद से बादलों को ठंडा कर जहाँ चाहें वहाँ वर्षा कराई जा सकती है। इसके लिए हवाई जहाज द्वारा एक निश्चित ऊँचाई पर सूखी बर्फ, सिल्वर आयोडाइड आदि रसायनों का आवश्यकतानुसार छिड़काव किया जाता है। ये रसायन जल अणुओं को गुच्छों में बदलने के लिए उत्प्रेरित करते हैं, जिससे कृत्रिम वर्षा होती है। सूखी बर्फ की मदद से रेगिस्तानी इलाकों में भी वर्षा कराई जाती है। इतना ही नहीं, इसकी मदद से पाइप लाइनों में पानी को बर्फ बनाकर उसके बहाव को अवरुद्ध किया जा सकता है और तब पाइप लाइन की मरम्मत की जा सकती है।

इस प्रकार सूखी बर्फ का हमारे जीवन से घनिष्ठ सम्बन्ध है। अब तो कुछ पेय पदार्थों के निर्माण में भी इसकी सहायता ली जाती है। सच में व्यवसाय जगत इसका अत्यंत ऋणी है। इसी की बदौलत हम दूर-दराज में पैदा की जाने वाली फलों एवं सब्जियों का उपयोग चाव से कर पाते हैं अन्यथा हम विभिन्न प्रांतों के फलों आदि की खुशबू से अपरिचित ही रहते हैं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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