चित्रकूट जिला

Term Path Alias

/regions/chitrakoot-district

युवा पानीदार समाज बनाने की एक कोशिश
Posted on 26 Mar, 2018 01:50 PM
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सूनपानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून…

आज से लगभग 400 वर्ष पूर्व ही रहीम दास जी ने पानी के बारे में समाज और सत्ता को एक बड़ी चेतावनी दे दी थी कि जल ही जीवन है। पानी के बिना इस संसार और जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पूरा देश आज पानी के संकट के मुहाने पर खड़ा बेबस नजर आ रहा है। पीने के पानी की गुणवत्ता भी एक बड़ी चुनौती है।
भूजल प्रबन्धन की ट्रेनिंग में प्रशिक्षण लेते प्रतिभागी
संकट में चित्रकूट की लाइफ लाइन मन्दाकिनी
Posted on 26 Mar, 2018 01:03 PM


जब से मानव सभ्यता का विकास हुआ है तब से हम पानी को जानते व समझते आए हैं ऐसा माना जाता है कि मानव सभ्यता का विकास नदियों के किनारे ही हुआ है तथा पला-बढ़ा विकसित हुआ है। इस तथ्य से जल व नदियों की महत्ता का अन्दाजा लगाया जा सकता है।

मन्दाकिनी नदी
पर्यावरण संरक्षण के सतत प्रयास (Efforts For Environment Conservation)
Posted on 07 Jul, 2016 03:11 PM

आज का मानव मशीन की तरह कार्य करता है। उसने आणविक एवं जैविक हथियारों का विकास कर लिया है।

नर्मदा जल से संभव नहीं मंदाकिनी का उद्धार
Posted on 01 Jun, 2014 09:41 AM ग्रीन ट्रिब्यूनल के सामने जल संसाधन के इंजीनियर इन चीफ ने स्वीकारा 120 करोड़ के खर्चे का अनुमान। वाटर लिफ्टिंग पर खर्च होगी 6 मेगावाट बिजली 11 किलोमीटर लंबी नई नहर भी बनानी पड़ेगी।
रबी ऋतु में मिश्रित फसलें
Posted on 07 Apr, 2013 04:24 PM (कठिया गेहूं + देशी चना+ अलसी + सरसों)

अनाज, दलहन, तिलहन सभी का प्रतिनिधित्व करने वाली मिश्रित खेती किसान के खेत व घर दोनों को पोषक तत्वों व खाद्यान्न से प्रचुर बनाए रखती है।

परिचय

खरीफ ऋतु में मिश्रित फसलें
Posted on 07 Apr, 2013 04:20 PM (देशी बाजरा + देशी तिल + देशी मूंग + देशी अरहर)

मिश्रित फसलें एक तरफ जहां किसान की खाद्य सुरक्षा व पोषकता को बढ़ाती है, वहीं अलग-अलग जड़ व प्रकृति की होने के कारण मृदा उर्वरता व नमी को संरक्षित करने में भी सहायक होती हैं।

परिचय

वॉटरशेड विकास से बुझी बुंदेलखंड की प्यास
Posted on 02 Jul, 2012 11:25 AM बुंदेलखंड कभी पानी को सहेजने के लिए जाना जाता था। बड़े-बड़े तालाब और नदियों की वजह से बुंदेलखंड के लोग हमेशा पानीदार रहते थे। विकास के अंधी दौड़ में बुंदेलखंड की तालाब तथा नदियों की जो हालत हुई है उससे पानी का संकट उत्पन्न हो गया है। बुंदेलखंड में पानी की समस्या से बचने के लिए वॉटरशेड विकास पर काम किया जा रहा है जिससे चित्रकूट में वॉटरशेड विकास से क्षेत्र की सूखी धरती की प्यास बुझने लगी है। वॉट
मंदाकिनी रूठी, तो क्या रूठ नहीं जायेंगे श्रीराम?
Posted on 22 Nov, 2011 09:38 AM

चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर।
तुलसीदास चंदन घिसें, तिलक देंय रघुवीर।।

मंदाकिनीमंदाकिनीएक जमाने तक यह चौपाई सुनाकर रामचरितमानस के वाचक रामभक्त तुलसी के महत्व बखान किया करते थे। किंतु अब वाचक तो वाचक, पूर्णिमा-अमावस्या स्नान दर्शन के लिए पैदल ही खिंचे चले आने वाले भी शायद भूल चुके हैं कि उनकी जिंदगी में मानिकपुर, मैहर और चित्रकूट का क्या महत्व है। यदि आस्थावानों की आस्था सच्ची होती, तो इनका हाल बेहाल न होता।

उल्लेखनीय है कि ये तीनों स्थल बुंदेलखण्ड में आस्था के बड़े केंद्र हैं। यहां के पहाड़, जंगल और नदियां ही इन स्थलों की शक्ति रहे हैं। वनवास के दौरान श्रीराम, लक्ष्मण और देवी सीता ने इन्हीं शक्तियों से शक्ति पाई। किंतु बीते कुछ वर्षों से यह शक्ति लगातार क्षीण हो रही है। केन, बेतवा, धसान जैसी महत्वपूर्ण नदियां थक रही हैं। स्रोत से शुरू हुई जलधारा अब नदियों के अंतिम छोर तक नहीं पहुंच रही है। चित्रकूट का मनप्राण-मंदाकिनी का प्रवाह भी अब मंद पड़ गया है। मंदाकिनी नदी की 30 किमी तक सूख गई है। मंदाकिनी की आकर्षित करने वाली नीलिमा अब कालिमा

mandakini
×