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/regions/chitrakoot-district
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बेलू वाटर नामक संस्थान ने कोरसीना बांध परियोजना के लिए 18 लाख रुपये का अनुदान देना स्वीकार कर लिया। इस छोटे बांध की योजना में न तो कोई विस्थापन है न पर्यावरण की क्षति। अनुदान की राशि का अधिकांश उपयोग गांववासियों को मजदूरी देने के लिए ही किया गया। मजदूरी समय पर मिली व कानूनी रेट पर मिली। इस तरह गांववासियों की आर्थिक जरूरतें भी पूरी हुईं तथा साथ ही ऊंचे पहाड़ी क्षेत्र में पानी रोकने का कार्य तेजी से आगे बढ़ने लगा।
जहां एक ओर बहुत महंगी व विशालकाय जल-परियोजनाओं के अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहे हैं, वहां दूसरी ओर स्थानीय लोगों की भागेदारी से कार्यान्वित अनेक छोटी परियोजनाओं से कम लागत में ही जल संरक्षण व संग्रहण का अधिक लाभ मिल रहा है।नवभारत टाइम्स / मधु और भारत डोगरा
आज देश में क्या वजह है कि अब भी करोड़ों देशवासी जिंदगी की इस मूलभूत जरूरत के लिए तरस रहे हैं? हर साल गर्मियां शुरू होते ही शहरों और गांवों में पानी के लिए हाहाकार क्यों मचने लगता है?
पिछले दिनों हमने इस समस्या को समझने के लिए कुछ बस्तियों का