भारत

Term Path Alias

/regions/india

भरपूर पानी हमारे पास फिर भी कंठ में प्यास
Posted on 03 May, 2019 03:40 PM

इस धरती पर मीठे पानी का असल स्रोत बारिश है और बारिश के इस पानी को हमारे पुरखे अनेकानेक विधियों से सदियों से संरक्षित करते चले आए हैं। पानी को सहेजने की अनगिनत विधियों की जानकारी रखने के नाते ही इस देश की सभ्यता सुजला-सुफला रूप में हजारों वर्षों तक टिकी रही। इन बातों को इस जमाने के लोग जानने लगे हैं, फिर भी जैसे विस्मृति के शिकार हैं, और इसी का नतीजा है कि पानी के बँटवारे के सवाल पर जनता-सत्ता,

पानी भरपूर फिर भी कंठ है प्यासी
मजबूत हौसले से बहुत कुछ हो सकता है
Posted on 03 May, 2019 10:51 AM

पानी बचाने का काम घर से ही शुरू करना पड़ेगा। जब आप अपने घर का वातावरण इस तरह बना लें कि हर कोई पानी बचाने में ज

पानी बचने का प्रयास घर से ही करना होगा
पहाड़ की आत्मकथा : हाँ, मैं हूं हिमालय का पहाड़ बहुत उदास, नित दरकता, सूखता।
Posted on 02 May, 2019 03:55 PM

बड़ी-बड़ी मशीनें मेरी रूह पर निरंतर और घंटों चल रही हैं। मुझे खोदा जा रहा है ताकि उनका सफर आसान हो। मुझसे मिट्टी और पत्थर खरोंचे जा रहे हैं। जब मानव का दिल चाहता है वो एक विस्फोट करता है और मुझसे मरे शरीर का एक हिस्सा ले लेता है। जो काम का नहीं, उसे फिर मेरे शरीर पर ही डाल देता है और वृक्ष रूपी मेरे शरीर के बाल भी इस मलबे में दफन हो जाते हैं। वो जब मुझे विकास के नाम पर बलि चढ़ाते हैं, मेरे प्रवाह

पानी की रिहाई
Posted on 02 May, 2019 12:55 PM

बरसात के समय मे 90 प्रतिशत आपदाओं का कारण पानी है। दूसरी ओर पानी जीवन का आधार है। वह चाहे नदियों, जल स्रोतों, जलाशयों, बारिश की बूंदों के आदि के रूप में जहां से भी आ रहा हो, इनमें मानसून  के समय मे पानी की मात्रा बढ़ जाती है, लेकिन यही समय है कि जब अधिक-से-अधिक पानी को जमा करके सालभर की आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है। मकानों की छतों से बरसात में बहने वाले पानी को पीने के लिए, फैरोसीमेंट टैंक ब

निर्मल गंगा की आशा में प्रधानमंत्री को एक चिट्ठी
Posted on 26 Apr, 2019 05:44 PM

सेवा में,
प्रधानमंत्री जी

ग्लोबल वार्मिंग के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था 31% कमजोर हो गयी है
Posted on 25 Apr, 2019 04:07 PM

पर्यावरण या ग्लोबल वार्मिंग जैसे मुद्दे तात्कालिक लाभ-हानि के पैमाने पर खरे नहीं उतरते, इसलिए ये चुनाव के मुद्दे तो नहीं ही बनते हैं। लेकिन स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के दो अध्येताओं ने ‘पर्यावरण बदलाव का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव’ पर एक अध्ययन किया है, उसके अनुसार क्लाइमेट चेंज से अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हो रहा है। भारत के संदर्भ में उनका कहना है कि ग्लोबल वार्म

पानी से सम्बन्धित तथ्य जिन पर आपने ध्यान नहीं दिया होगा
Posted on 22 Apr, 2019 04:37 PM

धरती जहां हम रहते हैं, कई रहस्यों को अपने में समेटे हुई है। कहा जाता है कि यह बेशकीमती धातुओं और खजानों से भरी हुई है। यह धरती हमें सींचती है। हमें बड़ा करती है। हमें जीवन देती है। लेकिन हम शायद जीवन देने वाली इस जननी की कद्र नहीं कर रहे। आज पृथ्वी दिवस है, इस मौके पर आपके लिए लेकर आए हैं पृथ्वी और पानी से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ इस लेख में हम आपको पानी के बारे में कुछ रोचक तथ्य बता

मवेशियों का खून पीते हैं पिशाच चमगादड़ बदले में देते हैं रेबीज बीमारी
Posted on 04 Apr, 2019 08:42 AM

भारतीय ग्रन्थों, साहित्यों व कहानियों में पिशाचों (वैम्पायर्स) का कई प्रारूपों में उल्लेख मिलता है। यही नहीं फिल्मों व टेलीविजन के कई सीरियल्स में भी खून पीने वाले पिशाचों को अनोखे अन्दाज व डरावने रूपों (ड्रैकुला,चुड़ैल,भूत, राक्षस, चमगादड़ इत्यादि) में अक्सर दिखाया जाता है। लेकिन विज्ञान में इनका कोई स्थान नहीं है। परन्तु प्राणी-जगत में ऐसे भी स्तनधारी जीव हैं जो अपनी क्षुधा को शान्त करने के लिय

पिशाच चमगादड़ की अनोखी बनावट
नदी तंत्र पर मानवीय हस्तक्षेप और जलवायु बदलाव का प्रभाव
Posted on 16 Mar, 2019 06:09 AM

आदिकाल से नदियाँ स्वच्छ जल का अमूल्य स्रोत रही हैं। उनके जल का उपयोग पेयजल आपूर्ति, निस्तार, आजीविका तथा खेती इत्यादि के लिये किया जाता रहा है। पिछले कुछ सालों से देश की अधिकांश नदियों के गैर-मानसूनी प्रवाह में कमी हो रही है, छोटी नदियाँ तेजी से सूख रही हैं और लगभग सभी नदी-तंत्रों में प्रदूषण बढ़ रहा है। यह स्थिति हिमालयीन नदियों में कम तथा भारतीय प्रायद्

नदी तंत्र
कोयल कमाल के शातिर चालाक व बर्बर परिंदे
Posted on 16 Mar, 2019 05:12 AM महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य के कथनानुसार जो ज्यादा ही अधिक मीठा बोलता है वो अक्सर भरोसेमन्द नहीं होता। ऐसे लोग प्राय: आलसी, कामचोर, चालाक व धूर्त प्रवृत्ति के होते हैं। वहीं इनकी शारीरिक भाषा एवं आँखों की पुतलियों की हरकत भी अलग सी होती है।
एशियन मादा कोयल
×