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नरेगा और सोशल ऑडिट
Posted on 21 Mar, 2011 11:44 AM

मनरेगा के पारदर्शिता और जवाबदेही समूह के सदस्य शेखर सिंह की जुबानी- मनरेगा में सोशल ऑडिट की कहानी। शेखर सिंह यहां अपनी बातचीत में राजस्थान और आंध्र प्रदेश के सोशल ऑडिट के बारे में बता रहे है।

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नरेगा में जिम्मेदार व्यक्ति
Posted on 21 Mar, 2011 11:18 AM

नरेगा में कौन क्या है

 

केंद्र –

ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार

 

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वाटरएड और फोर्स का 'वाक फॉर वाटर'
Posted on 19 Mar, 2011 05:00 PM 19 मार्च 2011, नई दिल्ली। 'वाक फॉर वाटर' नामक रैली वाटरएड और फोर्स ने निकाली। इंडिया गेट से निकली रैली ने लगभग 5 किमी की दूरी पूरी की। जो इंडिया गेट से जल यात्रा निकली, वह राजपथ से होकर विजय चौक के पास समाप्त हुई। इसे 'वॉक फॉर वॉटर' नाम दिया गया। यह इस बात की प्रतीक थी कि देश में अभी लोगों को खासकर महिलाओं को कई जगहों पर 5 किमी से भी ज्यादा दूरी रोजाना पानी के लिए जाना पड़ता है।
रैली में इकट्ठे बच्चे
विश्व जल दिवस पर बान की मून का संदेश
Posted on 19 Mar, 2011 04:20 PM

विश्व जल दिवस 22 मार्च 2011 पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून का संदेश

वर्षाजल संचयन पर संयुक्त अपील
Posted on 19 Mar, 2011 02:58 PM

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने सुरक्षित पेयजल की मानव अधिकार के रूप में पुष्टि की है।

दो घूंट पानी
Posted on 19 Mar, 2011 10:15 AM ‘पानी पिलाया?’ दो शब्दों का यह छोटा सा सवाल अपने भीतर ग्रंथों के बराबर का जवाब समेटे हुए है। एक ‘हां’ सुनते ही प्यासे कंठ के तृप्त होने के बात चेहरे पर उभरे संतुष्टि के भाव याद हो आते हैं और जब इसका प्रयोग मुहावरे के रूप में हो तो जवाब सुन दूसरे पक्ष की हार सुकून देती है। पानी है ही ऐसी चीज निर्जीव में प्राणों का संचार कर देने वाला पानी असल आब है। आजकल तो नहीं दिखता लेकिन कुछ बरस पहले तक पानी पिला
तालाब का सूखना
Posted on 19 Mar, 2011 10:12 AM तालाब या झील के मायने क्या हैं? मिट्टी की दीवारों के बीच सहेजा गया पानी कहीं प्राकृतिक संरचना तो कहीं इंसानी जुनून का परिणाम। यही तालाब, पोखर, झील आज सूख रहे हैं... देखभाल के अभाव में रीत रहे हैं और कहीं मैदान, कहीं कूड़ागाह के रूप में तब्दील हो रहे हैं। कितना दुखद पहलू है कि जिन झीलों में जहाज चला करते थे... जिनको नाप लेने के लिए भुजाएं आजमाईश किया करती थीं...जो प्यास बुझाते थे...
पानी को न जाना कुछ भी
Posted on 19 Mar, 2011 10:08 AM मीरा बाई ने बरसों पहले एक भजन में कुछ सवाल पूछे थे। उनका पहला प्रश्न था- जल से पतला कौन है? सभी जानते हैं कि जल से पतला ज्ञान बताया गया था। बात इतनी सी है कि जल की इस तरलता को समझने में हमने बरसों लगा दिए, फिर भी अज्ञानी ही रहे।
पानी की हर बूंद मांगेगी हिसाब
Posted on 19 Mar, 2011 09:33 AM

घरों में भी पानी बचाने वाले उपकरणों का इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे शॉवर, डिश वॉशर और क्लॉथ वॉशर इत्यादि। कुछ देशों में पानी की रक्षा के लिए कठोर मानकों पर आधारित घरेलू उपकरण ही बेचने व प्रयोग करने का प्रावधान किया गया है।

शहरों में घरों से निकलने वाली गंदगी हो या फिर कारखानों का कचरा, उसे पानी में बहाकर नष्ट करना हमारी पुरानी आदत और व्यवस्था रही है। हम शहरों में नदियों का पानी लाते हैं और उसे कूड़े-करकट से प्रदूषित कर दोबारा नदियों में छोड़ देते हैं। कारखानों से निकलने वाला विषैला कूड़ा न सिर्फ नदियों व कुओं को प्रदूषित बना रहा है, बल्कि भूगर्भ जल को भी पीने लायक नहीं रहने दे रहा है।

वर्तमान में शहरों में मानव मल को साफ करने के लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है, उसमें अत्यधिक मात्रा में पानी का प्रयोग किया जाता है।

जॉब एवं कैरियर में बड़ा फर्क है
Posted on 19 Mar, 2011 08:08 AM

सैकड़ों कैरियर विकल्प हैं, ऐसे में उपयुक्त का चुनाव कैसे किया जाए, छात्रों के सामने यह एक विकट समस्या होती है। कई छात्र यह जानते ही नहीं कि उन्हें क्या बनना है या करना है?

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