राहुल पुरोहित

राहुल पुरोहित
नदियां हमें बचानी होंगी
Posted on 08 Apr, 2014 03:49 PM

देखों नदियां धधक रही हैं,
हमको आगे आना होगा।
तालाब कुएं सब सूख रहे हैं
इनको हमें बचाना होगा।
निर्मल-निर्मल पानी है देखो,
हमकों क्या-क्या नहीं देते हैं
इनसे ही जीवन है अपना,
अमृत रस ये देते हैं,
गंदगी का है परचम भारी
हमें इसे मिटाना होगा।
देखों नदियां धधक रही हैं,
हमको आगे आना होगा।
नदियों से ही पानी मिलता,
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