फ्लोराइड नामक विष और उससे होने वाली बीमारी फ्लोरोसिस के बारे में हमें 1930 में ही पता चल गया था। फ्लोरोसिस रोग का फैलाव देश के बड़े भू-भाग में हो चुका है और 19 राज्यों के लोग इसके चपेट में आ गए हैं। इसके भौगोलिक फैलाव और इससे होने वाली समस्या की गम्भीरता का आकलन मुमकिन होने के बावजूद अब तक हमारे पास इसके बारे में समुचित जानकारी नहीं है। देश में अब भी फ्लोराइड प्रभावित इलाकों की खोज हो रही है; परन्तु इसके फैलाव की सीमा रेखा खींचने का काम अभी बाकी है। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि यह कहीं और विद्यमान नहीं है।
बरसों से इसने पेयजल के जरिए मिलने वाले पोषण को नुकसान पहुँचाया है। फ्लोराइड प्रभावित इलाकों में लोग बड़ी तेजी से अपंग हो रहे हैं। आज वास्तव में उस इलाकों में रहने वाले लोग एक अलग मुल्क के बाशिंदे लगने लगे हैं। उस देश के सभी नागरिक भावनात्मक रूप से एक हो गए हैं, सभी ज़मीन से निकाला गया ऐसा पानी पीते हैं, जिसमें प्रति लीटर पानी में 1.5 मिलिग्राम (मि.ग्रा.) से भी ज्यादा फ्लोराइड है। यहाँ रहने वाले सभी लोग बीमार हैं।
Posted on 02 Jul, 2015 11:54 AMपूरे कर्नाटक में धरती पर छोटे-छोटे ताल बिखरे पड़े हैं। गोकट्टी कहे जाने वाले यह ताल मवेशियों के लिये बनाए गए हैं। गोकट्टी जानवरों को पीने के लिये पानी और आराम के लिये स्थल प्रदान करते हैं। बारिश के पानी से भरने वाले यह ताल पूरे वर्ष जानवरों के लिये पानी के स्रोत और समुदाय की सम्पत्ति के रूप में काम करते हैं।
Posted on 02 Jul, 2015 11:51 AMफोटोग्राफी जितना बड़ा विज्ञान है उतनी ही बड़ी यह कला भी है। आधुनिक डिजिटल कैमरों की मदद से अब इस मोहक विषय पर विशेषज्ञता प्राप्त करना सरल है।
Posted on 02 Jul, 2015 11:39 AM करीब–करीब आधे मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों के लिए प्रकृति ने अलार्म बजा दिया है। यह अलार्म है इस इलाके की धरती में करोड़ों साल से संग्रहित पानी के खत्म हो रहे भू-जल की। अब इस अलार्म को सुनने और समय रहते प्रयास करने की बारी हमारी है। भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक़ साढ़े छः करोड़ सालों से संग्रहित होते आ रहे पानी के खजाने को खत्म करने की कगार पर हम पहुँच