भारत

Term Path Alias

/regions/india

भारतीय कृषि की ज्वलंत समस्या—भूमिक्षरण (Burning issue of indian agriculture - Land Degradation)
Posted on 02 Jul, 2015 12:31 PM भारत जैसे कृषि प्रधान और जनसंख्या बहुल राष्ट्र में उचित भूमि प्रबं
फ्लोराइड : विष का अविरल प्रवाह (Fluorosis in India: An Overview)
Posted on 02 Jul, 2015 12:08 PM

काल और स्थान (टाइम और स्पेस)


फ्लोराइड नामक विष और उससे होने वाली बीमारी फ्लोरोसिस के बारे में हमें 1930 में ही पता चल गया था। फ्लोरोसिस रोग का फैलाव देश के बड़े भू-भाग में हो चुका है और 19 राज्यों के लोग इसके चपेट में आ गए हैं। इसके भौगोलिक फैलाव और इससे होने वाली समस्या की गम्भीरता का आकलन मुमकिन होने के बावजूद अब तक हमारे पास इसके बारे में समुचित जानकारी नहीं है। देश में अब भी फ्लोराइड प्रभावित इलाकों की खोज हो रही है; परन्तु इसके फैलाव की सीमा रेखा खींचने का काम अभी बाकी है। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि यह कहीं और विद्यमान नहीं है।

बरसों से इसने पेयजल के जरिए मिलने वाले पोषण को नुकसान पहुँचाया है। फ्लोराइड प्रभावित इलाकों में लोग बड़ी तेजी से अपंग हो रहे हैं। आज वास्तव में उस इलाकों में रहने वाले लोग एक अलग मुल्क के बाशिंदे लगने लगे हैं। उस देश के सभी नागरिक भावनात्मक रूप से एक हो गए हैं, सभी ज़मीन से निकाला गया ऐसा पानी पीते हैं, जिसमें प्रति लीटर पानी में 1.5 मिलिग्राम (मि.ग्रा.) से भी ज्यादा फ्लोराइड है। यहाँ रहने वाले सभी लोग बीमार हैं।
क्या धरती पर जीवन अब अन्त की ओर
Posted on 02 Jul, 2015 12:01 PM अमेरिका के तीन नामी विश्वविद्यालयों के शोध के अनुसार, धरती पर जीवन
मवेशियों के लिये पोखर-गोकट्टी
Posted on 02 Jul, 2015 11:54 AM पूरे कर्नाटक में धरती पर छोटे-छोटे ताल बिखरे पड़े हैं। गोकट्टी कहे जाने वाले यह ताल मवेशियों के लिये बनाए गए हैं। गोकट्टी जानवरों को पीने के लिये पानी और आराम के लिये स्थल प्रदान करते हैं। बारिश के पानी से भरने वाले यह ताल पूरे वर्ष जानवरों के लिये पानी के स्रोत और समुदाय की सम्पत्ति के रूप में काम करते हैं।
फोटोग्राफी के मूल सिद्धान्त
Posted on 02 Jul, 2015 11:51 AM फोटोग्राफी जितना बड़ा विज्ञान है उतनी ही बड़ी यह कला भी है। आधुनिक डिजिटल कैमरों की मदद से अब इस मोहक विषय पर विशेषज्ञता प्राप्त करना सरल है।
हर घर में एक कुआँ : रावुर गाँव की कथा
Posted on 02 Jul, 2015 11:47 AM

पिछले दशक में कुछ कुएँ गर्मियों में सूखने लगे। लेकिन गाँव इस बात के लिये सचेत है कि कठोर और निय

भू-जल खत्म हुआ तो हालात होंगे गम्भीर
Posted on 02 Jul, 2015 11:39 AM करीब–करीब आधे मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों के लिए प्रकृति ने अलार्म बजा दिया है। यह अलार्म है इस इलाके की धरती में करोड़ों साल से संग्रहित पानी के खत्म हो रहे भू-जल की। अब इस अलार्म को सुनने और समय रहते प्रयास करने की बारी हमारी है। भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक़ साढ़े छः करोड़ सालों से संग्रहित होते आ रहे पानी के खजाने को खत्म करने की कगार पर हम पहुँच
Groundwater
पंचगव्य एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था
Posted on 02 Jul, 2015 11:29 AM वर्तमान अर्थव्यवस्था में गोपालन एवं पंचगव्य ही एकमात्र ऐसी शक्ति ह
स्वजलधारा : जनता को स्वयं अपनाने होंगे भू-जल समृद्धि कार्यक्रम
Posted on 02 Jul, 2015 11:26 AM पारिस्थितिकी-अनुकल व्यवस्था स्थापित करने हेतु भारतीय ऋषि-मुनियों न
‘नमामि गंगे’ योजना से बर्बाद हो जाएगी गंगा
Posted on 02 Jul, 2015 11:22 AM केन्द्र सरकार की योजना पर भाजपा सांसद मुरली मनोहर जोशी ने उठाए सवाल
×