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ਤਾਲਾਬ ਬੰਨ੍ਹਦਾ ਧਰਮ ਸੁਭਾਅ
Posted on 21 Jan, 2016 10:30 AM

ਸ਼ਾਇਦ ਅੱਜ ਜ਼ਿਆਦਾ ਪੜ੍ਹ ਲਿਖ ਗਏ ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਸਮਾਜ ਤੋਂ ਕਟ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਪਰ ਉਦੋਂ ਵੱਡੇ ਵਿਦਿਆ ਕੇਂਦਰਾਂ ਵਿੱ

भूगर्भीय जल संसाधन की सम्भाल करना जरूरी
Posted on 19 Jan, 2016 02:12 PM
1970 और 2008 के बीच भारतवर्ष में लगभग 250 लाख हेक्टेयर असिंचित कृषि भूमि को सिंचाई योग्य बनाया गया, जिसमें भूजल का योगदान 85 प्रतिशत रहा।
ਮ੍ਰਿਗ-ਤ੍ਰਿਸ਼ਣਾ ਝੁਠਲਾਉਂਦੇ ਤਾਲਾਬ
Posted on 19 Jan, 2016 02:02 PM
ਦੇਸ਼ ਭਰ ਵਿੱਚ ਪਾਣੀ ਦਾ ਕੰਮ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਇਹ ਮੱਥਾ ਰੇਗ਼ਿਸਤਾਨ ਵਿੱਚ ਮ੍ਰਿਗ-ਤ੍ਰਿਸ਼ਣਾ ਨਾਲ ਘਿਰ ਗਿਆ ਸੀ।ਇਹ ਖੇਤਰ ਸਭ ਤੋਂ ਸੁੱਕਾ ਅਤੇ ਸਭ ਤੋਂ ਗਰਮ ਹੈ। ਇੱਥੇ ਸਾਲ ਭਰ ਵਿੱਚ ਕੋਈ 3 ਇੰਚ ਤੋਂ 12 ਇੰਚ ਤੱਕ ਮੀਂਹ ਵਰ੍ਹਦਾ ਹੈ। ਜੈਸਲਮੇਰ, ਬਾੜਮੇਰ ਅਤੇ ਬੀਕਾਨੇਰ ਵਿੱਚ ਕਦੇ-ਕਦੇ ਪੂਰਾ ਸਾਲ ਸਿਰਫ਼ ਇੰਨਾ ਹੀ ਮੀਂਹ ਪੈਂਦਾ ਹੈ, ਜਿੰਨਾ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਬਾਕ ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿੱਚ ਸਿਰਫ਼ ਇੱਕ ਦਿਨ ਵਿੱਚ ਹੀ ਪੈ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਸੂਰਜ ਵੀ ਇੱਥੇ ਸਭ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਚਮਕਦਾ ਹੈ। ਗਰਮੀ ਦੀ ਰੁੱਤ ਵਿੱਚ ਲਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਗ
ਸੈਂਕੜੇ ਹਜ਼ਾਰ ਨਾਂ
Posted on 19 Jan, 2016 01:21 PM

ਰੱਖ-ਰਖਾਅ ਦੇ ਚੰਗੇ ਦੌਰ ਵਿੱਚ ਵੀ ਕਦੀ-ਕਦੀ ਤਾਲਾਬ ਸਮਾਜ ਲਈ ਗ਼ੈਰ-ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਸੀ। ਅਜਿਹੇ ਤਾਲਾਬਾਂ ਨੂ

ਸਾਫ਼ ਮੱਥੇ ਦਾ ਸਮਾਜ
Posted on 19 Jan, 2016 12:09 PM

ਪੁਰਾਣੇ ਤਾਲਾਬ ਸਾਫ਼ ਨਹੀਂ ਕਰਵਾਏ ਗਏ ਅਤੇ ਨਵੇਂ ਤਾਂ ਕਦੇ ਬਣੇ ਹੀ ਨਹੀਂ। ਗਾਰਾ ਤਾਲਾਬਾਂ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ, ਸਗੋਂ

‘गंगा कोई नैचुरल फ्लो नहीं’ : स्वामी सानंद
Posted on 17 Jan, 2016 03:58 PM

स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद- प्रथम कथन


सन्यासी बाना धारण कर प्रो जीडी अग्रवाल जी से स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद जी का नामकरण हासिल गंगापुत्र का संकल्प किसी परिचय के मोहताज नहीं। जानने वाले, गंगापुत्र स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद को ज्ञान, विज्ञान और संकल्प के एक संगम की तरह जानते हैं। माँ गंगा के सम्बन्ध में अपनी माँगों को लेकर स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद द्वारा किये कठिन अनशन को करीब सवा दो वर्ष हो चुके हैं और ‘नमामि गंगे’ की घोषणा हुए करीब डेढ़ बरस, किन्तु माँगों को अभी भी पूर्ति का इन्तजार है। इसी इन्तजार में हम पानी, प्रकृति, ग्रामीण विकास एवं लोकतांत्रिक मसलों पर अत्यन्त संवेदनशील लेखक व पत्रकार श्री अरुण तिवारी जी द्वारा स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद जी से की लम्बी बातचीत को सार्वजनिक करने से हिचकते रहे, किन्तु अब स्वयं बातचीत का धैर्य जवाब दे गया है। अब समय आ गया है कि इस बातचीत को सार्वजनिक करें। इण्डिया वाटर पोर्टल (हिन्दी), प्रत्येक रविवार आपको इस शृंखला का अगला कथन उपलब्ध कराता रहेगा; यह पोर्टल टीम का निश्चय है।

 

इस बातचीत की शृंखला में पूर्व प्रकाशित संवाद परिचय को पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें...


पहला कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है :


.तारीख 01 अक्टूबर, 2013: देहरादून का सरकारी अस्पताल। समय सुबह के 10.36 बजे हैं। न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री अरविंद पांडे आकर जा चुके हैं। लोक विज्ञान संस्थान से रोज कोई-न-कोई आता है। श्री रवि चोपड़ा भी आये थे। मैं पहुँचा, कमरे में दो ही थे, नर्स और स्वामी सानंद जी। 110 दिन के उपवास के पश्चात भी चेहरे पर वही तेज, वही दृढ़ता!

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Posted on 17 Jan, 2016 03:34 PM

आर्थिक उदारीकरण का युग आने के बाद से खासतौर पर दिल्ली-मुम्बई के बड़े अंग्रेजी अखबार बड़े शर

जलवायु परिवर्तन, प्रौद्योगिकी एवं संपोषणीय ऊर्जा
Posted on 17 Jan, 2016 02:38 PM
1890 के दशक में न्यूयॉर्क शहर दलदल बन गया था - तूफान से नहीं, घोड़े की बदबू भरी लीद से। - यूएसए टुडे, 30 दिसंबर 2013
उर्वर प्रदेश में जलकुंभियां
Posted on 17 Jan, 2016 09:22 AM

कई बार हम अपने प्रतीकों को चुनते हुए इस बात से बेखबर होते हैं कि हमारे अभिप्राय से अलग उन

अपनी बुलेटप्रू्फ कार का शीशा तो खोलिए
Posted on 16 Jan, 2016 04:24 PM

अब कार कम्पनियाँ कह रही हैं कि उनको प्रदूषण फैलाने के लिये और अवसर दिया जाए!

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