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जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और आपदा प्रबंधन
Posted on 23 Jan, 2016 02:35 PM
भारत जैसे विकासशील देशों जहाँ कृषि एवं अन्य संसाधनों का उपयोग आजीविका और आर्थिक प्रगति के लिये आधारभूत प्राथमिक स्रोत के रूप में किया जाता है, में चुनौतियाँ विशेषकर ज्यादा गंभीर है। भूकम्प, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन आदि भौगोलिक आपदाओं की तुलना में जलवायु परिवर्तन से संबंधित आपदाओं का प्रभाव कहीं अधिक दर्ज किया गया (आरेख 1)।
तुरत-फुरत के नहीं, दीर्घकालिक नजरिए से हों प्रयास
Posted on 23 Jan, 2016 01:24 PM
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) ने वायु प्रदूषण को विश्व में द
मन्त्रियों की कबड्डी लीग
Posted on 23 Jan, 2016 10:27 AM


यह साफ हो चुका है कि पर्यावरण मन्त्री प्रकाश जावड़ेकर और गंगा संरक्षण मन्त्री उमा भारती के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। इसे यूँ समझिए कि गंगा दशा–दुर्दशा पर कोई भी सवाल उमा भारती की ओर ही उछाला जाता है क्योंकि उनके मन्त्रालय का नाम गंगा संरक्षण मन्त्रालय है।

लेकिन गंगा पर सबसे ललचाई नजर पर्यावरण मन्त्रालय की है। पिछले दिनों जब पर्यावरण मन्त्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में लिखकर दिया कि वह गंगा पर बाँध परियोजनाओं पर आगे बढ़ना चाहता है। (इस कॉलम में काफी पहले ही ये आशंका जताई गई थी) तो उमा भारती का सब्र का बाँध टूट गया, इसका हरगीज ये मतलब नहीं कि गंगा मन्त्रालय बाँध विरोध में है।

साल-दर-साल होता मौसम का गर्म मिज़ाज
Posted on 23 Jan, 2016 09:48 AM
इस बार जनवरी माह का औसत तापमान पिछले सारे रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। यदि इसकी तुलना पिछले 15 सालों के जनवरी माह के औसत तापमान से की जाये तो यह साबित होता है कि इस बार जनवरी सबसे अधिक गर्म बना हुआ है।
वैकल्पिक ऊर्जा, पर्यावरण और विकास
Posted on 22 Jan, 2016 02:30 PM

भारत सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे गैर परंपरागत स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के दोहन के लिये पर्याप

आर्थिक विकास और जलवायु परिवर्तन की कीमत
Posted on 22 Jan, 2016 01:51 PM

भारत का आईएनडीसी का प्रपत्र एक एडीबी अध्ययन को उदृत करते हुए बताता है कि 2050 तक जलवायु प

आओ, साथ बैठ थोड़ा सा रो लें
Posted on 22 Jan, 2016 10:59 AM
आजादी है फूल की खुश्बू
आजादी है भोर की लाली
धरती अम्बर आज पुकारे आज़ादी आज़ादी

असीम गिरी व चारुल -विनय
प्रकृति : असहिष्णुता का फैलता दायरा
Posted on 22 Jan, 2016 10:01 AM

जल को जीवन का आधार मानने वाले जल के प्रति ही हम इतने असहिष्णु हो गए कि देश की 150 से ज्या

सूखे के कारण पलायन कर रहे हैं बुन्देलखण्डी
Posted on 21 Jan, 2016 02:57 PM

‘‘मैं हर जगह गया
पंजाब गया, बंगाल गया, गया कर्नाटक
राजस्थन के मरुस्थल से,
शिमला की बर्फ से, कश्मीर के चिनारों तक
रहा मेरा एक ही अनुरोध
यूँ शिकारी कुत्तों सा ना न सूँघो
उसी मिट्टी से बनी है मेरी देह
लगी है जो तुम्हारे तलुओं में।’’


ਅੱਜ ਵੀ ਖਰੇ ਹਨ ਤਾਲਾਬ
Posted on 21 Jan, 2016 10:41 AM

ਮਾੜਾ ਸਮਾਂ ਆ ਗਿਆ ਸੀ।

ਭੋਪਾ ਹੁੰਦੇ ਤਾਂ ਜ਼ਰੂਰ ਦੱਸਦੇ ਕਿ ਤਾਲਾਬਾਂ ਲਈ ਮਾੜਾ ਸਮਾਂ ਆ ਗਿਆ ਹੈ। ਜਿਹੜੀਆਂ ਸਹਿਜ, ਸਰਲ, ਰਸਭਰੀਆਂ ਪ੍ਰੰਪਰਾਵਾਂ, ਮਾਨਤਾਵਾਂ ਤਾਲਾਬ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਸਨ, ਉਹ ਸਭ ਸੁੱਕਣ ਲੱਗ ਪਈਆਂ ਸਨ।

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